बमम्म्म्म !!! एक ज़ोरदार आवाज़ और एक हाँथ उड़ कर मेरे घर के पास आ के गिरा, अचानक से कुछ पल के लिये एकदम सन्नाटा छा गया, थोड़ी देर बाद रोने और चीखने की आवाज़ आने लगी, मैं भी भागा उस ओर जिधर से ये आवाज़ आई थी, कुछ लोग झुंड बना के किसी को घेर कर खड़े थे, मैं झुंड को चीरते हुए अंदर गया और देखा एक आदमी खून से सना ज़मीन पर लेटा था, कौन है ये ? कुछ लोग पूछ रहे थे, तभी पुलिस भी आ गई, हटो-हटो, पिछे हटीये, पुलिस सब को हटाने लगी, सब हट गए, फिर एक पुलिस वाले ने उस आदमी का हाथ और गर्दन अपने हाथ से छू कर देखा और दुसरे पुलिस वाले को इशारों में बतलाया कि ये आदमी अब मर चुका है फिर उस आदमी के शरीर को पलटा और ओह !!! ये तो आलमा है !!! अनायास ही मेरे मुह से निकला, दुसरी तरफ आलमा की माँ को देखा कुछ औरतें सम्भाल रही थी, वो रो रो के बेहोश हो रही थी, इधर पुलिस वाले बात करने लगें, एक कुत्ते की मौत मरा साला, हमने हर बार समझाया कि गलत काम मत कर लेकिन इसने हमारी एक बात नहीं मानी, इसके लिये किसी का खून, किसी का बलात्कार, किसी का अपहरण करना कितना आसान था, कितनी बार जेल गया, पता नहीं कैसे निकल जाता था, कितनों की हाय लगी इसको, कितनों को इसने विधवा किया, कितनों के सर से बाप का साया छीन लिया, कितनों का बलात्कार करके उसे आत्महत्या करने के लिये मजबूर किया, ऐसे लोगों की ऐसे ही मौत होती है, गलत काम का गलत नतीज़ा, एक आवारा कुत्ता जब पागल हो जाता है तो या तो नगर निगम वाले गोली मार देते हैं या सड़क पर गाड़ी के नीचे आ के कुचल कर मर जाता है, कुत्ते और गुंडे का उम्र दस से बारह साल ही होता है, कुत्ते के शरीर का भी ऐसे ही चिथरा चिथरा हो जाता है और गुंडे के शरीर का भी यही होता है और यही हुआ है इसके साथ, इतने ही साल में ये भी मरा और वैसे ही जैसे एक आवारा कुत्ता, फिर पुलिस अपना काम करने लगी और मैं आलमा के बारे में सोंचता हुआ वहाँ से वापस आ रहा था, रास्ते में कुछ लोग बात कर रहे थे, ठीक हुआ !! सभी की बद्दुआ लगी इसको, बहुतों को ऐसे ही मारा है इसने, फिर थोड़ा आगे बढ़ा तो कुछ लोग रो रहे थे और बात कर रहे थे,भले ही किसी के लिये ये गलत था पर हमारे लिये तो हमारा हीरो था, हमारा हीरो हमारा भगवान हमे छोड़ कर चला गया, अब हमारा क्या होगा, कौन हमे बचाएगा, कौन खिलायेगा हमें, यही सब सुनते-सुनते मैं घर आ गया और यही सोंचने लगा कैसे एक इंसान को कुछ लोग गाली दे रहे हैं और उसी इंसान को दूसरे लोग भगवान समझ रहे हैं I
आलमा पांच भाईयों में सबसे छोटा था, बचपन झुग्गियों में काटा था, गरीबी देखी थी उसने लेकिन ऐसी भी नहीं कि भूखे रहे हो, पिता का मिठाई का दुकान था और दुकान खूब चलता था तो रुपये की कोई दिक्कत नहीं थी, मेरे मुहल्ले में ही रहता था इसलिए मैं उसके बारे में थोड़ा बहुत जानता था, मेरी और उसकी पहली मुलाकात क्रिकेट के मैदान में हुआ था, मैं खेलने जाता था और वो वहाँ अपना समान बेचने जाता था अपने एक दोस्त लंगड़ा राजू के साथ मैदान के एक कोने में, वो तो मुझे बाद में पता चला कि वो तमन्नचा बेचता था, मेरा उसके साथ सप्ताह में एक दो-बार बात जरूर हो जाती थी, लेकिन एक दिन उसने अपने सगे साले का गर्दन काट दिया एक धारदार हथियार से और वो भी सिर्फ शक के कारण, हम सब शाम को मैच खेल रहे थे उसी समय सब के सामने और आराम से उसके लाश को बाइक पर बीच में बैठा कर रेल्वे लाइन पर ले जाकर डाल दिया, उसके बाद मैंने उससे दूरी बना ली I
उसको बड़ा गुंडा बनना था रुपये उसको बहुत चाहिये थे इसलिये वो छीना झपटी करता, फिर चोरी और डाका डालने लगा, देखते देखते वो जुर्म की दुनिया का नामी आदमी बन गया, उसके नाम से सब कांपते थे, पुलिस भी उस पर हांथ डालने से डरती थी, उसका फायदा नेता लोग भी उठाने लगे, डराने बूथ लूटने के लिये उसका उपयोग करते थे, इसके बाद तो वो और खतरनाक हो गया, अब उसका एक फोन ही काफी होता किसी व्यापारी से रंगदारी लेने के लिये, वो दरबार लगाने लगा, सब उसके पास आते अपना फ़रियाद लेकर और वो सब की सुनता फिर फैसला देता, अब वो फैसला सही है या गलत उसकी परवाह वो नहीं करता था, लोगों को उसके आदमी पकड़ कर लाते दरबार में वो उसको सजा सुनाता, उसने अपने आदमियों की एक फौज तैयार कर ली थी हर गली मोहल्ले में, इधर वो अपने इलाके में कभी किसी को पैसे से, तो किसी का काम करवा के मदद कर देता, इसके कारण उसके इलाके में कोई और गुंडागर्दी नहीं करता था, नेताओं के साथ अच्छे संबंध होने के कारण उसके इलाके में बिजली पानी की कटौती कभी नहीं होती थी, इस सब की वज़ह से वो अपने इलाके की जनता के बीच हीरो हो गया, लोग उसके बुरे काम को भी यह कह के ढकने लगे कि वो अमीरों से लूट कर गरीबों को देता है, जबकि सच्चाई ये थी कि वो मदद करके उन्हें अपना आदमी बना लेता था और अपने इलाके के नौजवान को अपने बुरी दुनिया में ढकेल रहा था, वो उनकी बहन बेटियों के साथ गलत भी कर देता तो भी उसको कोई कुछ नहीं बोलते क्यूंकि वो उसको रुपये दे कर मदद किया हुआ होता था, अगर गलती से किसी ने उसका विरोध किया तो वो उसका अपहरण कर के मार डालता था, लोग डर से कुछ नहीं बोलते थे, लेकिन डर अगर हद से बढ़ जाए तो वो निडर हो जाता है, वही हुआ भी, उसको बम से मारने वाला उसी का अपना दोस्त था, जिसके बहन के साथ उसने गलत किया था I
मैंने आलमा को बचपन से देखा था उसने जुर्म की दुनियां मजबूरी में नहीं शौक से चुना था, कुछ लोग मजबूरी में गलत करते हैं तो समझ में आता है जैसे कि उसका दोस्त, जिसने आलमा को मारा क्यूंकि आलमा ने उसकी बहन का बलात्कार किया था, जिसका बदला उसने लिया, उसने एक बुराई का अन्त किया, लेकिन आलमा जो करता था वो राक्षसी तरीका था और हर युग में राक्षस का अन्त हुआ है, बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, चाहे वो जितना भी अच्छा काम करके अपने बुरे काम को ढंकने की कोशिश करे, कोई अगर किसी का बुरे मन से मदद करे तो उसके साथ गलत ही होता है,आलमा जो गलत काम करता था वो उसे कभी गलत नहीं समझता था, एक आतंकवादी कोई गलत काम करता है किसी इंसान या सेना को मारता है तो वो सोंचता है कि मैंने ये सही किया है, जब पुलिस या सेना उसको मारती है तो पुलिस या सेना सोचता है मैंने ये सही किया है, अब हम जो जनता हैं जो दोनों के कृत्य को देखते हैं हमको समझना है कि किसका कृत्या राम वाला है और किसका रावण वाला, हमारे शास्त्रों में भी बहुत अच्छी तरह बतलाया गया है सही और गलत के बारे में, रामायण में रावण वध, महाभारत में कृष्ण अर्जुन का गीता ज्ञान और माँ दुर्गा के द्वारा राक्षसों का वध, असत्य पर सत्य की जीत, रावण की लंका में सब सुखी थे मगर उससे डर कर, जैसे आलमा से उनके लोग डर कर उन्हें भगवान मानते थे, महाभारत में भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध भूमी में शिक्षा देते हैं अपनों पर वाण चलाने के लिये, तब अर्जुन कहते हैं मैं अपनों पर वाण कैसे चलाऊं तभी भगवान कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हैं और कहते हैं, वो अपने तो हैं मगर इस धर्म युद्ध में पापियों के साथ खड़े हैं तो वो भी पापी हैं, जैसा अलमा के दोस्त ने अपना होते हुए भी उसे मारा क्यूंकि वो गलत की तरफ था, माँ दुर्गा ने राक्षसों शुम्भ- निशुंभ, महिषासुर के द्वारा पाप ज्यादा करने के कारण उनका वध किया, जैसे उसके दोस्त ने उसे मारा क्यूंकि उसका पाप बहुत बढ़ गया था I
कभी भी किसी के गलत काम को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए, गलत अपना या पराया नहीं होता है, गलत गलत होता है, गलत आदमी थोड़ा कुछ सही काम करके सही नहीं हो जाता क्यूंकि एक तरफ वो गलत करता ही रहता है जैसा कि आलमा करता था, पर हाँ अगर गलत आदमी पूरी तरह अपनी गलती को सही करना चाहता है तो उसमे उसका सहयोग करना चाहिए, आप जैसा करते हो वैसा ही भोगते हो, आप किसी को आकस्मिक मौत दोगे तो आप भी कुत्ते की मौत मरोगे, जैसे कुत्ते की मौत आलमा मरा I
लेखक: गौरव कर्ण, गुरुग्राम, हरियाणा