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प्यार का अधूरा बदला

2 जनवरी 2022

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खट खट, खट खट !! दरबाजा खोलिये ! टिंग टौंग ! हाँ भाई आ रही हूँ थोड़ा सब्र तो करो! पता नहीं कौन है I शाम का वक़्त था दिन के पांच बज रहे थे, गर्मी का समय था तो धूप अभी जाने ही वाली थी I कुसुम जी ने दरबाजा खोला ! सामने एक पुलिस वाला था! थोड़ा घबराते हुए पूछा! हाँ बोलिये आपको किस से मिलना है? पुलिस वाले ने बोला! यहाँ कोई कर्ण जी रहते हैं? कुसुम जी ने बोला हाँ वो मेरे पति हैं! पुलिस वाले ने बोला! उन्हें बुलाईऐ, मुझे उनसे बात करनी है ! कुसुम जी ने पूछा ! क्या हुआ? कोई बात है क्या? पुलिस वाले ने बोला? हां , उनके खिलाफ थाने में, टाली बाबु ने शिकायत लिखवाया है कि उन्होंने उनसे फ्रॉड किया है! तभी कर्ण जी बाहर आ गये और पूछने लगे! क्या हुआ? हाँ, आपको किन से मिलना है? तभी कुसुम जी ने उन्हें पुलिस की बात बताई! पुलिस ने बोला ! आप ही कर्ण जी हैं ? हाँ ! मैं ही कर्ण जी हूँ ! कर्ण जी ने बोला ! आपको मेरे साथ थाने चलना होगा, आपके खिलाफ शिकायत है कि आपने टाली जी से रुपये लिया वो वापस नहीं किया और जो चेक दिया भी वो बाउंस हो गया, आपने उनके साथ धोखाधड़ी किया है, आपके एकाउंट में रुपये नहीं थे फिर भी चेक दे दिया और वो बाउंस हो गया, तभी कर्ण जी ने बोला! देखिये थोड़ा बहुत मुझे भी पता है कानून का, मैंने कोई ऐसा काम नहीं किया जिसके लिये आप मुझे लेने आये हैं, आप मेरे बाड़े में किसी से भी यहाँ पूछ सकते हैं, मैं कोई चोर उच्चका तो हूं नहीं जिसके लिये आपको मेरे यहाँ आना पड़ा, मुझे पता है टाली जी ने किस वज़ह से शिकायत किया है, चेक बाउंस तो सिर्फ बहाना है, चेक तो सिर्फ तीन हजार के आसपास का था, बात तो कुछ और है, तभी पुलिस बाले ने बोला ! अगर आप चाहते हैं कि मैं वापस चला जाऊं तो मेरे आने जाने का कुछ खर्चा पानी दे दीजिये मैं अभी चला जाऊँगा I कर्ण जी ने अपने पैकेट से पांच सौ रुपये निकले और पुलिस वाले को दे दिया, पुलिस वाले ने भी रुपये लिये और खुशी खुशी वहाँ से चला गया I इधर कर्ण जी को जब सैलरी मिली तो उन्होंने सब से पहले टाली जी का रुपये उन्हें वापस कर दिया और पुलिस में से जो उन्होंने शिकायत की थी उस शिकायत को वापस करवा लिया I  

राज, कर्ण जी के पाँच बेटों में दूसरे स्थान पर है, बचपन से पढ़ने में बहुत तेज़ थे, मगर पढ़ाई के लिये वो ज्यादा मेहनत नहीं करते थे बस परीक्षा से एक दिन पहले अच्छे से पढ़ लेते और उतने ही मेहनत में वो पास भी हो जाते थे, वैसे ही उन्होंने बी.एस.सी. भी अव्वल नंबर से पास किया था, बड़ा परिवार होने के कारन घर में थोड़ी आर्थिक तंगी रहती थी तो अपने जेब ख़र्चे और ज़रूरतों के लिये राज ट्यूशन पढ़ाने लगे, जो रुपये ट्यूशन पढ़ाने से मिलता था उस रुपये से वो अपना शौक पूरा करते थे जैसे गिटार बजाना सीखा, वो गाना भी अच्छा गाते थे इससे लड़कियां उनसे बहुत इम्प्रेस हो जाती थी, वैसे ही एक दिन जिस लड़की को ट्यूशन पढ़ाते थे उसी से उनको प्यार हो गया, यहीं से उनकी दिक्कतें भी शुरु हो गई और जिन्दगी भी बदल गई l  

लड़की के पिताजी विजली विभाग में अच्छे पोस्ट पर थे, उनसे पहले कभी कर्ण जी ने अपने घर में विजली कनेक्शन लगवाया था तो वो उनको अच्छे से जानते थे और जब उनको पता चला कि राज जी उन्हीं के पुत्र हैं तो उनसे उनका पारिवारिक संबंध भी हो गया, उनका राज के घर और राज के घरवालों का टाली जी के घर आना जाना होने लग गया था, एक दिन राज के पिताजी को कुछ रुपये की ज़रूरत आन परी तो उन्होंने राज से मांगा, राज ने बोला मैं कल इंतजाम कर के आपको देता हूँ, अगले दिन राज ने टाली जी से रुपये लेकर उनको दे दिया मगर रुपये लौटाने में देर हो गई क्यूंकि कर्ण जी सरकारी स्कूल में शिक्षक थे और उनकी सैलरी तीन-तीन चार-चार महीने देर से सरकार देती थी, मगर टाली जी के ज्यादा ज़िद करने के कारन उन्होंने उन्हें एक चेक दे दिया और बोला ! जब मैं बोलूंगा तभी इसे आप लगाना, मगर टाली जी ने जानबूझकर वो चेक लगा दिया और एकाउंट में रुपये नहीं होने के कारन चेक बाउंस हो गया, उस समय अच्छे संबंध के कारन टाली बाबु ने कुछ नही बोला मगर वो बाउंस चेक अपने पास ही रख लिया था I  

राज जिस लड़की से प्यार करते थे उसका नाम दीप्ति था, एक दिन दोनों ने एक दूसरे के संग जिन्दगी बिताने की ठानी और दीप्ति ने राज से बोला! आप मेरे पापा से हमारी शादी की बात करे, राज भी वही चाहते थे तो एक दिन राज ने डरते डरते टाली बाबु से अपने दिल की बात बोल दी कि वो उनकी लड़की दीप्ति से प्यार करते हैं और उससे शादी करना चाहते हैं और दीप्ति भी यही चाहती है, ये सुन कर टाली बाबु भड़क गये और बहुत भला बुरा कहा कि तुम्हारी औकात ही क्या है, कितना कमा लेते हो ? जितना तुम कमाते हो उससे ज्यादा तो मेरी बेटी खर्च कर देती है, ये बोलकर राज को निकाल दिया, राज को ये बात चुभ गई और वो वहाँ से चले आये I इधर टाली जी ने राज और उसके परिवार को सबक सिखाने की ठान ली और उसने राज के पिता जी के खिलाफ पुलिस थाने में बाउंस चेक को लेकर झूठा शिकायत कर दिया और उनको फंसाने की कोशिश की, जब ये बात राज को पता चला कि टाली ने मेरे भगवान स्वरुप पिताजी को पुलिस भेज कर परेशान किया है तो वो इस घटना से बहुत व्यथित हुए, उन्होंने उसी दिन ठान लिया कि अब मैं कुछ बन कर दिखाऊंगा, टाली ने मेरा और मेरे पिताजी का अपमान किया है, मेरी शादी अपनी बेटी से नहीं होने दी, इस सब की वज़ह सिर्फ मेरे पास रुपये नहीं होना है, अब मैं कुछ बन कर दिखाऊंगा, चाहे कुछ भी हो, इस घटना ने राज को एकदम बदल दिया, उन्होंने दीप्ति से मिलना-जुलना छोड़ दिया और बदले की आग में जलने लगे मगर वो कर भी क्या सकते थे, एक दिन दीप्ति भाग कर राज के घर आ गई और राज की माँ और बहन से बोली ! मुझे राज से ही शादी करनी है मेरे पापा मेरी शादी जबरदस्ती कहीं और कर रहे हैं, मुझे किसी और से शादी नहीं करनी, मैं घर छोड़ कर आ गई हूं ! मगर राज की माँ और बहनों ने दीप्ति को खूब समझाया और घर वापस भेज दिया, कुछ समय बाद राज को खबर मिली कि टाली जी दीप्ति को लेकर नेपाल चले गए और जबरदस्ती उसकी शादी किसी और से कर दी, राज बस रो कर रह गये और दिल्ली चले गये सी.ए करने I 

दिल्ली की भागम-भाग में उनकी मदद उनके चचेरे जीजाजी और एक भतीजे ने किया, जीजाजी ने अपने कमरे में ही रहने के लिये पलंग के नीचे व्यवस्था कर दिया और भतीजे ने सी.ए में नाम लिखवा कर अपने जानने वाले सी.ए के पास रखवा दिया, अब राज को दिल्ली जैसे शहर में कम से कम खाने और रहने की दिक्कत नहीं थी, उस समय सी.ए उन्हें इंस्टिट्यूट की तरफ से जो फिक्स अमाउंट था दो सौ पचास रुपया प्रति माह मेहनताना वही देते थे, मगर काम वो पचास हज़ार बाले लेते थे, अब ढ़ाई सौ रुपये में काम तो होता नहीं तो राज ने पॉकेट खर्च के लिये यहाँ भी ट्यूशन पढ़ाना सुरु कर दिया, वो सुबह सुबह घर से निकलते बस में धक्के खाते हुए और सीधे रात मे ही आते थे और खा पी कर सीधे पलंग के नीचे सो जाते I दिन बीते समय बीता उनके सी.ए आर्टिकल का ट्रेनिंग खत्म हो गया, उन्होंने सी.ए की परीक्षा छह सात दफा दिया मगर हर बार उसमें 1-2 नंबर से रह जाते थे, फिर राज ने एम.बी.ए किया मगर उसे भी पूरा नहीं कर पाये, थक हार कर उन्होंने परीक्षा देना बंद कर दिया, अब काम करते हुए ठीक से तैयारी होती भी नहीं थी, इधर उनके एक मित्र ने उनको एक रेस्तरां में आठ हजार के मासिक बेतन पर एकाउंटेंट की नौकरी लगवा दिया, अब उस बेतन से उनका तो काम चल जाता था मगर घर बाले भी उनसे उम्मीद लगाये बैठे थे, एक दिन घर से पिता जी का संदेश आया कि बड़ी बहन की शादी ठीक हो गई है, लड़के बालों को स्कूटर देना है और ये तुम्हें ही करना होगा, राज ने भी हामी भर दी मगर रुपये का इंतजाम नहीं हो सका, बहुत कोशिश की, सबसे रुपये मांगे, जहां नौकरी कर रहे थे उनसे भी एडवान्स माँगा मगर किसी ने भी नहीं दिया, यहाँ तक कि लोन भी अप्लाई किया मगर वहाँ भी निराशा हांथ लगी, इस शर्म से वो घर पर शादी में भी नहीं आना चाह रहे थे मगर पिता जी ने उनसे बोला तुम आ जाओ मैंने स्कूटर का इंतजाम कर लिया है तब राज शादी में गये, वापस जब आये तो उनके पुराने सी.ए ने उन्हें अपने एक क्लाइंट जिसका इवेंट का काम था उसेके पास नौकरी का ऑफर दिया चालीस हजार मासिक बेतन का, राज ने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया, एक तो सैलरी ज्यादा थी दूसरा ओहदा भी अच्छा मिल रहा था मैनेजर एकाउंटेंट का, अब थोड़ा सब ठीक होने लगा था, राज ने किराये का एक अलग मकान ले लिया, अपने छोटे भाइयों और बहन को बुला लिया, पिता जी जब रिटायर हुए तो उन्होंने राज को एक बाइक खरीद दिया अब वो उसी से ऑफिस आते जाते थे I कुछ ही दिन बाद राज की भी शादी हो गई और उधर छोटी बहन की भी शादी ठीक हो गई, चुकी बहन साथ मे ही रहती थी तो उसकी शादी उन्होंने दिल्ली से ही की, इस शादी ने उन्हें आर्थिक रूप से बहुत कमजोर कर दिया, मगर राज ने हार नहीं मानी, धीरे-धीरे सब फिर से ठीक कर लिया l  

एक दिन राज को ऑफिस बॉय उनके कैबिन में बुलाने आया ! सर आपको बॉस ने बुलाया है ! राज ने बोला ! ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ! थोड़ी देर बाद! राज, अभी अपने कंपनी का सेल कितना होगा? बॉस ने पूछा ! सर! लगभग चालीस करोड़! राज ने जवाब दिया! तब बॉस ने बोला! एक ऑफर आया है कंपनी बेचने का, बाहर की कंपनी है, पूरी दुनियाँ और भारत में उसने बहुत सारी कंपनियों को खरीदा है,अपने कंपनी का कितना कीमत होगा? राज ने बोला ! सर, इस सेल के हिसाब से 8-10 करोड़ तो होना ही चाहिये, मगर आप ने अगर सोंच ही लिया है बेचने का तो!!!!! तो क्या? बॉस ने पूछा ! अगर आप बोले तो मैं इस कंपनी को 100-200 करोड़ में बेचने का जुगाड़ कर सकता हूँ! राज ने बोला! क्या बात कर रहे हो राज! 100-200 करोड़ ? सच मे इतना मिल जाएगा? बॉस ने आश्चर्य से पूछा! सर, मैं कोशिश करूँगा! राज ने जवाब दिया! राज तुमने अगर इतने में बिकवा दिया तो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा! बॉस ने राज को बोला! तुम तैयारी करो बेचने की मैं उस बाहर की कंपनी से अपने कंपनी को खरीदने की बात करता हूँ, ये बोल कर बॉस ने राज को भेज दिया I  

बॉस! मैंने जुगाड़ सोंच लिया कि कैसे हमे अपनी इस कंपनी को 100-200 करोड़ में बेचना है, आपने उस कंपनी से बात कर ली ? अपनी कंपनी को खरीदने के लिये ? राज ने पूछा ! हाँ, वो तैयार है! उसे पाँच साल का बैलेंस सीट चाहिये, तुम ये बैलेंस सीट का सेट बनाकर मुझे दे दो मैं उसे दे दूंगा, ये देख कर ही वो आगे की बात करेंगे ! बॉस ने बोला! राज ने बोला! ठीक है सर ! ये बोल कर राज वहाँ से चला गया I अगले दिन राज ने बैलेंस सीट और रिपोर्ट का सेट बनाकर बॉस को दे दिया, बॉस ने बैलेंस सीट देखा और बोला! राज, मुझे लग रहा है कुछ गलत हो गया है तुमसे ! अपना सेल तो चालीस करोड़ है ना? मगर यहाँ 400 करोड़ लिखा गया है जो कि गलत लग रहा है मुझे! तभी राज ने बोला! बॉस! ये गलत नहीं है, ये मैंने ही जान बुझ कर बनाया है, आप इसे उस कंपनी को दे देना, भगवान ने चाहा तो जैसा मैंने बोला है वो जरूर हो जायेगा I बॉस ने बोला ! राज कुछ गरबर मत कर देना ! राज ने बोला ! सर मुझ पर भरोसा रखो ऐसा कुछ गलत नहीं होगा l बॉस ने सारे पेपर को एक पैकेट में डाल कर डाक से भिजवा दिया, उस खरीदने बाले कंपनी के पास, कुछ दिन बाद!!! राज के पास फोन आया बॉस का! राज! मुबारक हो! वो बाहर की कंपनी तैयार हो गई हमारी कंपनी को खरीदने के लिये ! क्या ? ग्रेट न्यूज सर ! हाँ मगर वो लोग अपने ऑडिटर भेजेंगे अगले सप्ताह में, अकाउंट चेक करने के लिये, अब तुम देख लो कैसे क्या करना है, मुझे तो बहुत डर लग रहा है ! राज ने बोला! ठीक है सर, मैं अकाउंट तैयार करवाता हूं बैलेंस सीट के हिसाब से, आप डरो मत ! ये बोल कर राज अपने काम पर लग गया, 400 करोड़ का सेल दिखाना, उसके हिसाब से सॉफ्टवेयर में इंट्री, बैंक में इंट्री, बिल, वाउचर, लेनदार, देनदार दिखाना ये सब इतना आसान नहीं था मगर राज ने दिन रात खुद और स्टाफ को लगाकर सब तैयार कर दिया, अगले ही दिन ऑडिटर आ गया चेक करने, ऑडिटर ने 15 दिन लगाया मगर उसे कुछ भी गलत नहीं लगा और वो उसे अप्रूव करके चला गया, उसके बाद जो बाहर की कंपनी था उसने बाहर के ऑडिटर को भी भेजा चेक करने के लिये लेकिन उसे भी कुछ गलत नहीं मिला और उसने भी अप्रूव कर दिया, अब आखिरी में कंपनी बाले भी आये उन्होंने भी सब कुछ चेक किया उन्हें भी कुछ नहीं मिला और उन्होंने भी अप्रूव कर दिया, अब बस कंपनी का कीमत तय करना रह गया था, वैल्यूअर ने सारे ऑडिट रिपोर्ट चेक किया और चेक कर के कंपनी की कीमत 100 करोड़ लगाया, राज के बॉस को वैल्यूअर से जब कीमत पता चला वो तुरंत तैयार हो गया बेचने के लिये, उसने तो कभी सपने में भी सोंचा नहीं था कि उसकी कंपनी की कीमत उसे इतना मिलेगी, ये खबर उसने तुरंत राज को दिया और बोला ! राज तुम ग्रेट हो, तुम्हारा दिमाग सच मे ग्रेट है, पता नहीं तुमने ये सब कैसे कर दिया, उनके किसी ऑडिटर को पता तक नहीं चल पाया सही सेल का, माइंड ब्लोइंग, गुड जॉब राज l कंपनी बिक गई और रुपये भी राज के बॉस को मिलना शुरू हो गया मगर राज को उस रुपये में से 5 लाख ही बॉस ने दिया, बाकि सारा उसने खुद रख लिया, ये बात राज को बहुत बुरा लगा क्यूंकि उसके बॉस ने खुद बोला था कि अगर उसने इतने में कंपनी बिकवा दिया तो वो राज को मालामाल कर देगा मगर जब कंपनी बिक गया तो बॉस ने राज के मेहनत और उसके दिमाग की कीमत सिर्फ 5 लाख लगाया, खैर राज ने उस 5 लाख को अपने स्टाफ मे ही बांट दिया क्यूंकि उन्होंने खूब मेहनत किया था कंपनी के पेपर बनाने में, राज रात को सोते वक़्त सोंच रहा था कि मैंने इतना मेहनत किया, दिमाग लगाया मगर मुझे मिला क्या? 40 करोड़ को 400 करोड़ बना कर कंपनी बिकवा दिया, जहां 5-10 करोड़ मिलते वहाँ 100 करोड़ दिलवा दिया मगर मुझे मिला क्या, मैं इतना बफादार बन रहा था और मेरी बफादारी का मुझे मिला क्या ? आज से मुझे अपने आप को बदलना होगा, मैं बदलूंगा, ये सोंचते सोंचते राज सो गया I 

राज के बॉस ने जो रुपये कंपनी को बिकने से मिला उस रुपये से कई कंपनी खोली, अलग अलग व्यापार के, उसमे से एक कंपनी इवेंट की भी थी जो कि किसी और के नाम से खोली क्यूंकि कंपनी बेचने का शर्त यही था कि कंपनी बेचने के 10 साल तक उसके बॉस एक जैसी कंपनी नहीं खोल सकते थे इसी लिये इन्होंने दूसरे के नाम से कंपनी खोली और राज को पूरे ग्रुप कंपनी का सी.एफ.ओ. बना दिया, मगर राज ने सी.एफ.ओ. बनने से मना कर दिया लेकिन बॉस के काफ़ी जिद करने के कारन राज ने बॉस से बोला कि मैं आपकी कंपनी में फ्रीलांसर सी.एफ.ओ रहूँगा, बॉस मान गये, इधर राज के भाई की एक ट्रैवल कंपनी थी जिससे राज अपने इवेंट कंपनी के लिये एयर टिकट खरीदते थे, उसका अच्छा काम चल रहा था, एक दिन राज को उसके बॉस ने बोला! राज कोई ट्रैवल कंपनी देखो जिसमें कुछ इंट्री करवा सके, हम उस इंट्री का 3% देंगे उस कंपनी को, राज ने बोला! सर मेरे भाई की ट्रैवल कंपनी है जो कि अपने कंपनी का भी टिकट करता है, अगर आप बोले तो मैं भाई से बात करूँ? बॉस ने बोला! ठीक है बात करो! राज ने रात मे भाई से बात किया और भाई को समझाया कि ये कोई गलत काम नहीं है, वो लोग किसी बड़े कॉर्पोरेट के मालिक के लिये एयर चार्टर लेंगे, विदेश में उनका होटल, ट्रांसपोर्ट सब हमसे करवायेंगे, ये सब उन्ही का स्टाफ करेगा हमारे कंपनी के नाम से बिल बनेगा, पेमेंट आयेंगे-जायेंगे टैक्स हम भरेंगे और सर्विस चार्ज रहेगा 3 पर्सेंट का, उसमें वो हमे कुछ इवेंट भी देंगे करने को, ये सुन कर भाई तैयार हो गया काम करने के लिये, ये बात राज ने बॉस को बोला और फिर काम शुरू हो गया, देखते ही देखते 100-200 करोड़ का हर साल का काम होने लगा, राज ने उसके बाद कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, उसने भी उस कमाई से कई व्यापार शुरू कर लिया आई.टी, इवेंट, माइस, ट्रैवल, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल मीडिया, आउट डोर मीडिया, मेडिकल ये सब किया, 100-200 करोड़ लगा दिया व्यापार को खरा करने में, 300+ स्टाफ का टीम, स्टाफ भी हाइ प्रोफाइल, देखते-देखते राज ने एक ग्रुप ऑफ कंपनी बना लिया, राज ने कई गाड़ी बंगले, फार्म हाउस, सब बना लिये, राज खुद भी बढ़े और साथ में अपने भाइयों और रिश्तेदारों को भी बढ़ाया, राज अब एक नामी व्यापारी बन गये थे, हर कोई उनसे सटना चाहता था, हर कोई उनसे रिश्ता जोड़ना चाहता था l  

राज के पास एक फोन आया ! हाँ, हैलो! कौन ? उधर से आवाज आया! सर पहचाना मैं गुड्डू, टाली जी का बेटा ! अरे हाँ ! अब पहचान लिया, कैसे हो ? कहाँ हो! राज ने पूछा! गुड्डू ने बोला ! सर ठीक हूँ, मैं नोएडा में हूँ, बहुत साल गुजर गये, मैं आपसे मिलना चाहता हूँ ! राज ने बोला ठीक है आ जाओ, मैं गुरुग्राम में रहता हूँ, मैं अभी तुम्हें अपना पता भेजता हूँ और राज ने अपना पता भेज दिया I गुड्डू जब आया तो वो राज के ठाठ बाठ को देख कर देखता रह गया, राज के ड्राइवर ने उसे सारी कंपनी घुमाया, गुड्डू की आंखे चौंधीया गई सब देख कर, उसने राज से बोला सर आज पापा जिंदा होते तो ये देख कर बहुत खुश होते, तो राज ने चौंकते हुए पूछा! क्या तुम्हारे पापा गुजर गये ? गुड्डू ने बोला ! हाँ ! राज को बहुत ज्यादा धक्का लगा, राज सोंचने लगे ! मैं जिससे बदला लेना चाह रहा था अब वो ही नहीं हैं इस दुनियाँ में तो मैं बदला लूँगा किस से, फिर सोचने लगा ! खैर बेटी तो है, मुझे उसे भी तो दिखाना है, ये सोंच ही रहा था तभी ! सर ! किस सोंच में डूब गये ! नहीं कुछ बस ऐसे ही कुछ दिमाग में आ गया था, बहुत दुख हुआ सुनकर कि टाली जी अब इस दुनियाँ में नहीं रहे, राज ने बोला ! फिर गुड्डू खाना पीना खा कर चला गया I 

अगले दिन ही एक फोन आया राज के पास! हैलो! हाँ हैलो! कौन? मैं दीप्ति! कौन दीप्ति? मैं दीप्ति, राज की दीप्ति! ओह दीप्ति! कैसी हो? मेरा नंबर तुम्हें कहाँ से मिला! राज ने पूछा ! दीप्ति ने बोला! मुझे गुड्डू ने बतलाया आपके बारे मे, बहुत बड़ाई कर रहा था कि आप बहुत बड़े आदमी बन गये हैं, मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने चुपके से उसके मोबाइल से आपका नंबर ले लिया, मुझे आपसे मिलना है,आप नोएडा आ सकते हैं ! ठीक है मैं कल आता हूं, तुम कहां मिलोगी! राज ने पूछा! ग्रेट इंडिया प्लेस में मिलते हैं! दीप्ति ने बोला! ठीक है! राज ने जवाब दिया l अगले दिन ! अरे आप तो बिल्कुल नहीं बदले! दीप्ति ने बोला ! मगर तुम तो एकदम बदल गई, मोटी हो गई हो, राज ने बोला और पूछा! खुस हो? पति क्या करते हैं? कितने बच्चे हैं? हाँ खुस हूँ, पति बैंक मैनेजर है, दो बच्चे है और आपका? दीप्ति ने पूछा! मेरे भी दो बच्चे हैं, पति तुम्हारा बैंक मैनेजर है! कितना सैलरी मिलता होगा? महीने का एक लाख या उससे थोड़ा ज्यादा ? इससे ज्यादा तो मैं अपने अकाउंट बाले को दे देता हूँ, तुम्हारे पिता ने मुझे दुत्कारा था सिर्फ रुपये के कारन, लेकिन आज देखो मेरे पास क्या नहीं है, बंगला, गाड़ी, नौकर चाकर, इतनी सारी कंपनियां, इतने स्टाफ, उस दिन से लेकर आज तक मैं बदले की आग में जल रहा हूं, तुमने भी मुझे छोर दिया था, कभी याद नहीं किया, शायद तुमने भी यही सोंचा होगा कि पता नहीं राज से शादी करके मेरी जिन्दगी कैसी हो जायेगी, इसलिए तुमने किसी और से शादी करने के लिये हाँ कर दिया, आज तुम्हारे पिताजी जिंदा होते तो मैं जरूर उन्हें अपनी सानों शौक़त दिखाता और उन्हें अपने किये पर शर्म जरूर आता खैर अब वो हैं नहीं तो सब खत्म आज मेरा बदला अधूरा ही सही मगर पूरा हो गया, दीप्ति ने बोला! अब सब कुछ भूल जाओ, अब आप भी शादी शुदा हो और मैं भी, हम दोनों अपने अपने रास्ते पर बहुत आगे बढ़ चुके हैं, जिससे गलती हुई वो अब इस दुनियां में नहीं हैं, मगर ये बात तो आपको माननी पड़ेगी कि मेरी वजह से ही आप आज यहाँ तक पहुंचे हैं, ना मुझसे आप प्यार करते ना आपको मेरे पापा बेइज्जत करते और ना आप उस बदले की आग में यहाँ तक पहुँचते, तो धन्यवाद कीजिये मेरा, और हाँ आज के बाद हम प्रेमी ना सही, पति पत्नी ना सही मगर दोस्त तो हो सकते हैं न ? राज ने बोला! हाँ, और दोनों फिर अपने अपने रास्ते चले गये, आज फिर से दीप्ति का परिवार और राज का परिवार पिछ्ली सारी करवाहट को भूल कर एक साथ हो गये I  

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रचनाएँ
गौरव की गौरव कहानियाँ, भाग -1
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कहानी, लघु कथायें और आलेख
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हौसला मेहनतकश इंसान का

7 नवम्बर 2021
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<p>राजीव! हाँ यही नाम था, एक महत्वाकांक्षी, साँवले, पतले-दुबले, पढ़ने में कुछ खास नहीं, मगर मेहनती,

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एक कुत्ते की मौत

7 नवम्बर 2021
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<p>बमम्म्म्म !!! एक ज़ोरदार आवाज़ और एक हाँथ उड़ कर मेरे घर के पास आ के गिरा, अचानक से कुछ पल के लिय

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रामेश्वर का तप

7 नवम्बर 2021
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<p>"धरती पर जब जब परेसानी बढ़ा है <br> भगवान ने तब तब एक रूप गढ़ा है" <br> <br> सन 1938, देश आजादी क

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कुसुम का भरोसा

7 नवम्बर 2021
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<p>गाँव की दो औरतें बाजार से सामान लेकर लौट रही थीं, आसमान नीला दिख रहा था, गर्मी और बरसात का महीना

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एक होनहार का कत्ल

26 नवम्बर 2021
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<p>जीतू जीतू जीतू जीतू................ मैदान के बाहर बैठे दर्शक ये हल्ला कर रहे थे

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प्यार का अधूरा बदला

2 जनवरी 2022
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खट खट, खट खट !! दरबाजा खोलिये ! टिंग टौंग ! हाँ भाई आ रही हूँ थोड़ा सब्र तो करो! पता नहीं कौन है I शाम का वक़्त था दिन के पांच बज रहे थे, गर्मी का समय था तो ..

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