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हौसला मेहनतकश इंसान का

7 नवम्बर 2021

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राजीव! हाँ यही नाम था, एक महत्वाकांक्षी, साँवले, पतले-दुबले, पढ़ने में कुछ खास नहीं, मगर मेहनती, कुछ कर गुज़रने की ललक, निडर, सपनों को साकार करने वाले लड़के का, वो मुझे कुछ साल पहले दिल्ली में मिला था, एक बिज़नस मीटिंग में, सब कुछ होने के बाद भी जमीन से जुड़ा हुआ, बहुत सीधा-साधा, दयालू इंसान, उसके पिछली जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला ।

राजीव बहुत महत्वाकांक्षी इंसान था, उसको कुछ बड़ा करना था, किसी काम को या किसी और को अपने से बड़ा नहीं समझता था, किसी काम को छोटा भी नहीं समझता था, एक काम के पीछे नहीं एक साथ कई काम करने की सोचता था, जैसे कोई उसे बोलता कि दो नाव में पैर रखने वाले डूब जाते हैं तो एक ही काम पर ध्यान दो, तो राजीव उदाहरण देता कि टाटा या अम्बानी कोई एक काम नहीं करते उनकी कितनी सारी कंपनियाँ है, क्या टाटा या अम्बानी डूब गये ? किसी ने बोला काम को कामयाब करने के लिये उस काम को ख़ुद बैठ के करना पड़ता है, तो राजीव उदाहरण देता कि टाटा, अम्बानी के कितने सारे कंपनी है क्या वो हर जगह बैठते हैं ? नहीं ना ? किसी ने बोला कोई काम करने के लिये पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी है तो वो उदाहरण देता अम्बानी, जिंदल कौन-सा एम०बी०ए० किए हुए थे, आज क़ामयाब हैं ना ? कोई उसे कहता राजीव तू बड़ा काम कर छोटा मत कर, तो फिर से वो टाटा का उदाहरण दे देता कि टाटा जगुआर भी बनाते हैं और नमक, चाय पत्ती भी बेचते हैं, तो वो तो छोटा नहीं हो गए ना ? मतलब उसके पास हर सवाल का जवाब था।

राजीव सपने देखता कि मुझे कुछ बड़ा करना है और उस सपने को साकार करने में लग जाता, उसका कहना था कि मैं बीस मंजिला इमारत के नीचे खड़ा होकर अगर सिर्फ ये सोच के वापस चला जाऊँ की ये इमारत बहुत ऊँचा है तो फिर मैं कभी आगे नहीं बढ़ पाऊँगा या फिर मैं कोशिश करूँ हो सकता है मैं बीस मंजिल नहीं लेकिन दस मंजिल तो जरूर चढ़ जाऊँगा, मतलब राजीव सपनों को साकार करने वालों में से था, हिम्मती था ।

राजीव अपनी पढ़ाई पुरी करके बड़े भाई के साथ दिल्ली आ गया काम की तलाश में, भाई ने जहाँ वो काम करते थे, वहीं पर अपने मालिक से बोल कर काम पर लगवा दिया 500 रुपये महीने पर, अभी तीन महीने ही गुजरे थे कि मालिक ने भाई को दूसरे राज्य में ऑफिस के काम से भेज दिया, राजीव यहाँ अंजान शहर में बिल्कुल अकेले था। एक दिन मालिक ने राजीव को बुला कर बोला कि तुम्हारे भाई को तुम्हारी जरूरत है तो तुम्हें कल ही दूसरे राज्य में निकलना पड़ेगा, मालिक ने दो हजार एडवान्स दिया और उसे घर भेज दिया, राजीव उस रुपये को अपने टी पॉकेट में रख कर बस से घर निकल गया, वो घर रात नौ बजे पहुँचा, उसे भूख बहुत लगी थी तो वो दुकान से खाने का समान खरीदने गया पर जैसे ही वो रुपये देने के लिए पॉकेट में हाथ डाला तो उसका होश उड़ गया, उसका पॉकेट तो फटा था किसी ने उसका रुपया पॉकेट काट कर निकाल लिया था, अब उसके पास एक रूपया तक नहीं था और इस अनजान शहर में वो किसी को जानता भी नहीं था, उस समय पीसीओ वाले फोन होते थे जिसमें सिक्का डाल कर फोन करते थे लेकिन राजीव के पास ना सिक्का था और ना ही किसी का नंबर, तो वो वापस अपने कमरे पर आके बेड पर लेट कर रो रहा था तभी एक चरसी जो कि राजीव के ही बिल्डिंग में ऊपर वाले रूम में रहता था वो राजीव को रोता देख कमरे में आ गया और पूछने लगा, क्या हुआ ? राजीव ने उसको सारी बात बता दिया, उस चरसी ने राजीव को मना लिया अपना खून बेचने के लिए, उसने राजीव को अपना चाय और ब्रेड दिया खाने के लिए और अगले दिन सुबह तैयार रहने को बोला, अगले दिन सुबह वो छह बजे आ गया और राजीव को साथ लेकर ब्लड बैंक पहुच गया, चरसी ने राजीव को खूब अच्छे से समझा दिया कि खुन देने के बाद वहाँ से उसे एक पीला कार्ड मिलेगा वो कार्ड लेकर उसे दे देना होगा तब उसे 500 रुपये मिल जाएँगे, हुआ भी ऐसा ही, राजीव ने खून देने के बाद कार्ड लेकर बाहर आके उस चरसी को दे दिया चरसी ने वो कार्ड बगल में ही खड़े एक इंसान को दे दिया, उस इंसान ने तुरंत उस चरसी को 1500 रुपये दिया, चरसी ने राजीव को उसमें से 500 रुपये दे दिया, राजीव उस रुपये को लेकर बस अड्डे निकल गया भाई के पास जाने के लिये, मतलब राजीव से दिल्ली शहर ने खून तक लिए।

वो जिंदगी से डरने वालों में नहीं था, किसी से भी भिड़ जाता, कुछ भी कर जाता चाहे परिणाम जो हो। एक बार राजीव ऑफिस के काम से बाहर गया, वहीं उसको गले में दर्द हुआ तो उसका जूनियर उसको हॉस्पिटल ले गया वहाँ डॉक्टर ने बोला आपके गले का ऑपरेशन करना पड़ेगा नहीं तो कुछ भी हो सकता है, आपको टीबी है। राजीव डरा नहीं और बोला कर दो ऑपरेशन, तब डॉक्टर ने बोला घर से किसी को बुला लो ऑपरेशन थोड़ा क्रिटिकल है कुछ पेपर पर हस्ताक्षर करने होंगे, राजीव ने अपने ऑफिस के जूनियर को बोला पेपर पर हस्ताक्षर करने को और ऑपरेशन करवा लिया। ऑपरेशन में डॉक्टर को आठ घंटे लगे, आधा गला खोलना पड़ा तब जाके छल्ले को निकाला गया, खैर अंत भला तो सब भला, राजीव का ऑपरेशन ठीक हो गया, लेकिन इसकी कीमत राजीव को नौकरी गवा के चुकानी पड़ी, मालिक ने टीबी को छुआ छूत की बीमारी बोल कर राजीव को ऑफिस आने से मना कर दिया, इससे राजीव को धक्का जरूर लगा मगर टूटा नहीं।

राजीव कहता लोग पैर उतना ही फैलाते हैं, जितनी लंबी चादर होती है। लेकिन मैं जरा हट के हूँ, मैं पहले पैर फैलाता हूँ, फिर जितना पैर चादर से बाहर निकलता है उतना बड़ा चादर के जुगाड़ में लग जाता हूँ। एक बार राजीव एक ऑफिस में गया काम लेने के लिए तब ऑफिस की मैडम ने राजीव को उसकी शक्ल और बाइक देख के खूब भला बुरा कहा, बोला आप यहाँ पाँच लाख का काम लेने आए हैं पचास हजार के बाइक पर, कुछ गलत हो गया तो कैसे रुपये भरेंगे ? उस दिन राजीव को वो बात दिल में चुभ गया, तब उसने सोचा की चाहे कुछ भी हो शरीर बनाना है और कार लेना है और कुछ ही महीनों में उसने कार ले भी लिया, उस समय उसको नौकरी से सिर्फ आठ हजार सैलरी मिलती थी उसमे पाँच हजार पाँच सौ बैंक को किश्त दे देता था उसके बाद दो लोगों को सैलरी, ऑफिस का रेंट सब करना मुश्किल था तो उस कमी को पूरा करने के लिए राजीव ने नौकरी के बाद और मेहनत करने की ठानी और आधे आधे घंटे का काम पकड़ लिया और उस रुपये की कमी को पूरा किया, उसके बाद वो मुड़ कर पीछे नहीं देखा। उसने अपनी पसंद से शादी की, दूसरा नौकरी तो पकड़ा साथ में अपना व्यापार भी बढ़ाया, ट्रैवल, चार्टर्ड प्लेन, हेलिकॉप्टर, कंप्युटर, मैनपावर, गिफ्ट शॉप, स्टेशनरी, बेकर शॉप, डेस्टिनेशन वेडिंग, फार्म हाउस, एडवेंचर टेंट हाउस, इवेंट मैनेजर, टैक्स मैनेजर, छोटे-बड़े सभी काम किया, सब में सफलता मिलती गई, नौकरी के साथ व्यापार करना थोड़ा मुश्किल हुआ तो नौकरी छोड़ कर पूरी तरह व्यापार पर ध्यान देने लगा। मुनाफा से एक भव्य मंदिर बनवाया, एन०जी०ओ० खोला, बी०एड० कॉलेज खोला, गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोला, जरूरतमंद कन्या के परिवार को रुपये से मदद कर शादी करवाई, घर, व्यापार के लिए रुपये देकर मदद की, राजीव ने अपने मन में बैठा लिया था कि अगर कोई उससे अपने पहले घर बनाने के लिए या बेटी-बहन की शादी के लिए मदद माँगेगा तो चाहे जैसे भी हो वो उसका मदद करेगा और ऐसा किया भी । 

इतना कुछ किया, जो किया खुद की मेहनत से किया, जीरो से सौ का सफर तय किया, ऐसे इंसान के जिन्दगी के सफर से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जैसे अपने आप को कभी कमतर मत समझो, किसी काम को छोटा या बड़ा मत समझो, सोच बड़ी रखो, मन में ठान लो तो कोई भी काम तुम्से बड़ा नहीं है, सही समय पर सही फैसले लो और अपनी अच्छाई से समझौता मत करो। ये सारे काम राजीव ने कर के दिखाया, ऐसे इंसान को मेरा सलाम है।

✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

ये राजीव कौन है भाई, हमें भी बता दो।

1 जनवरी 2022

Gaurav Karna

Gaurav Karna

1 जनवरी 2022

🙂🙏मेरे एक जानने बाले हैं

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया कहानी

30 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

30 दिसम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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