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एक होनहार का कत्ल

26 नवम्बर 2021

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जीतू  जीतू  जीतू  जीतू................ मैदान के बाहर बैठे दर्शक ये हल्ला कर रहे थे और जीतू का हौसला बढ़ा रहे थे, क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल मैच बोचहाँ के एक स्कूल के मैदान में खेला जा रहा था और जीतू अपने बल्ले से रनों की बरसात कर रही थी, थोड़ी ही देर बाद मैच जीतू की टीम ने जीत लिया, उसके ऐसे खेल के लिये उसे वुमन ऑफ द मैच और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया I जब वो मैदान से बाहर आ रही थी तो दर्शक बोल रहे थे ! वाह जीतू आज क्या खेला है तुमने, कवर ड्राइव, हुक शॉट, फ्रंट फुट, बैक फुट सब परफेक्ट था, ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात सचिन तेंदुलकर खेल रहे हों तुम्हारे रूप में, ऐसे ही खेलती रहोगी तो तुझे भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने से कोई नहीं रोक सकता है I

जीतू बिहार के एक छोटे से गांव बोचहाँ के एक गरीब परिवार में पैदा हुई थी, पिता जी ने उसका नाम बहुत सोंच समझकर जीतू रखा था, वो कहते हैं जीतू जब पैदा हुई तो वो खुद पेट से बाहर आ गई थी, उसने बोलना चलना भी खुद से सीखा, पैदा लेते ही जीती थी इसलिए हमने इसका नाम जीतू रखा I

जीतू के पिताजी की साइकिल बनाने की एक छोटी सी दुकान बाजार में थी, कभी कोई साइकिल खराब हो जाये या पंचर हो जाये तो पैसे मिलते थे नहीं तो खाली हांथ घर जाना पड़ता था, जिस दिन पैसे नहीं मिलते उस दिन कभी-कभी भूखे भी सोना पड़ता था, जीतू इकलौती थी तो माँ-पिताजी की लाडली भी थी, उसे पढ़ने का शौक था, लेकिन पिता जी के पास रुपये नहीं थे पढ़ाने के लिये, एक दिन उसके गाँव के बाजार में एक बाइक बाली कंपनी का प्रमोशन के लिये स्टॉल लगा था, उस स्टॉल पर शहर से दो तीन लड़के लड़कियां प्रमोशन के लिये आये हुए थे और कुछ सवाल पूछ रहे थे, सही जवाब देने बाले लोगों को गिफ्ट भी दे रहे थे, जीतू भी बाजार मे अपने पिताजी के पास गई थी खाना देने के लिये और जब वो खाना दे कर लौट रही थी तभी वो उस स्टॉल के पास भीड़ देख कर रुक गई और भीड़ को चीरते हुए सबसे आगे आ गई, जैसे ही बाइक प्रमोशन बालों ने प्रश्न किया जीतू ने फट से जवाब दे दिया, बाइक प्रमोशन बालों ने जीतू को बुला कर एक चाभी का झल्ला गिफ्ट में दिया और उससे पूछा ! बेटा तुम्हारा नाम क्या है? जीतू ने बोला ! मेरा नाम जीतू है! फिर उन्होंने दूसरा प्रश्न किया, इसबार भी जीतू ने ही फिर से उनके प्रश्न का जवाब दे दिया, प्रमोशन बाले ने इसबार जीतू को बुला कर उसे पुरस्कार तो दिया ही साथ में उससे पूछा ! जीतू तुम किस क्लास में और किस स्कूल में पढ़ती हो ? जीतू ने बोला ! मैं तो कहीं नहीं पढती ! तो प्रमोशन बाले ने पूछा ! क्यूं ? क्यूँ नहीं पढती? फिर जीतू ने बोला! पिताजी ने बोला है हम गरीब हैं, हमारे पास पैसे नहीं है फीस देने के लिये ! फिर प्रमोशन बाले ने जीतू से पूछा तुम पढ़ना चाहती हो? जीतू ने जवाब दिया हाँ! मगर पिता जी के पास पैसे नहीं हैं मुझे पढ़ाने के लिये ! प्रमोशन बाले ने बोला ! यहाँ तुम किसके साथ आई हो? जीतू ने बतलाया कि मेरे पिताजी की साइकिल बनाने की दुकान है इसी बाजार मे, मैं उन्हीं के पास खाना देने आई थी ! तब फिर से प्रमोशन बाले ने बोला! मुझे अपने पिताजी से मिलाओगी ? जीतू ने उन्हें हाँ में जवाब दिया ! तब प्रमोशन बाले ने पूछा ! अभी ले चलोगी उनके पास ? जीतू ने बोला हाँ ! और उन्हें अपने पिताजी के दुकान पर ले गई ! पिताजी! पिताजी! देखिये आपसे मिलने कौन आए है! पिताजी एक साइकिल का पंचर बना रहे थे, उन्होंने पूछा ! कौन हैं? तब प्रमोशन बाले ने जवाब दिया ! मैं हूँ ! मेरा नाम राज है! मैं आपसे मिलना चाह रहा था, हम अपने बाइक के प्रमोशन के लिये यहां आये हुए हैं, ये आपकी बेटी जीतू बहुत ही होनहार है, बहुत ही तेज है, इससे हमने तीन सवाल किया और इसने तीनों सवाल के जवाब एकदम सही दिये, हमने इसे पुरस्कार भी दिया है, मैंने जब इससे पूछा कि किस क्लास में पढ़ती हो तो इसका जवाब था! मैं कहीं नहीं पढ़ती ! तब हमे बहुत आश्चर्य हुआ कि बिना पढ़े इसे इतना कुछ कैसे पता है! फिर जब हमने इससे पूछा कि तुम पढ़ना चाहती हो, तो इसका जवाब था ! हाँ ! इसी के बाड़े में मैं आपसे बात करना चाह रहा था I तब जीतू के पिताजी ने प्रमोशन बाले राजू से बोला! बोलिये क्या बात करनी है ! राजू ने पुछा ! आप इसे पढ़ाना चाहते हैं ? अगर हाँ तो मैं आपकी मदद इसे पढ़ाने में कर सकता हूँ ! जीतू के पिताजी ने बोला! मैं पढ़ाना तो चाहता हूँ लेकिन मैं मजबूर हूँ, मेरे पास खाने के लिये रुपये तो बहुत मुश्किल से इकठ्ठा होते हैं तो इसे पढ़ाने के लिये कहाँ से लेकर आऊंगा ! इस पर राजू ने बोला! मैं आपको रुपये के लिये तो बोल ही नहीं रहा हूं, बस आप हाँ कर दीजिये, हम इसकी पढ़ाई का इंतजाम कर देंगे! जीतू बहुत ही तेज है, इसको जरूर पढ़ाईये, मैं एक एन.जी.ओ बाले को जानता हूँ वो इसके पढ़ाई का  सारा खर्चा देंगे, आपको कुछ भी नहीं देना है, ये सुन जीतू के पिताजी ने हाँ कर दी और खुशी से जीतू का सिर चूम लिया और उससे पुछा कि तुम पढ़ना चाहती हो ना ? जीतू ने भी हाँ बोला! राजू ने जीतू के पिताजी को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और बोला ! हम अगले सप्ताह में आपके पास आयेंगे जीतू का स्कूल में एडमिशन के लिये, ये बोल कर वो चले गये I अगले ही सप्ताह में राजू एक एन.जी.ओ बाले को लेकर जीतू के पिताजी के साइकिल की दुकान पर पहुँचा, फॉर्म भरवाने के लिये, जीतू के गाँव से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा सा स्कूल था, उसी स्कूल का फॉर्म लेकर राजू आया था, राजू,  जीतू के एडमिशन का सारा प्रक्रिया पूरा करके जीतू के पिताजी से फॉर्म पर उनका अंगूठा लगवा कर चला गया और जीतू का एडमिशन स्कूल में आठवीं क्लास में करवा दिया, राजू ने गाँव में आकर जब जीतू को ये ख़बर सुनायी कि तुम्हारा एडमिशन स्कूल में हो गया है, तो ये सुन कर जीतू के खुशी का ठिकाना न था, पूरे गाँव मे चिल्ला चिल्ला कर बोलने लगी कि अब मैं भी स्कूल पढ़ने जाऊँगी, एन.जी.ओ बालों ने स्कूल से घर आने-जाने के लिये गाड़ी का भी इंतजाम करवा दिया था और स्कूल ड्रेस, किताब-कॉपी, पेन- पेंसिल सभी कुछ खरीद कर दे दिया, जीतू अब रोज स्कूल जाने लगी और बहुत खुश थी ।

दिन बिता, धीरे-धीरे जीतू आगे बढ़ती गई, पढ़ने में वो तेज तो थी ही, तो जब नवमीं के परीक्षा का रिजल्ट आया उसमे वो पूरे स्कूल में प्रथम आई, उसके बाद तो वो स्कूल में हर किसी की प्यारी बन गई, स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक उसे बहुत मानने लगे, एक दिन स्कूल के मैदान में जीतू क्रिकेट का खेल देख रही थी, क्रिकेट कोच कुछ लड़कियों को क्रिकेट खेला रहे थे, तभी एक खिलाड़ी ने बल्ले से जोरदार हिट मारा और बॉल सीधे जीतू के पास आया और जीतू ने बॉल को लपक लिया और जोड़ से बौलर की तरफ फेंका, यह देख कर कोच को बहुत आश्चर्य हुआ, कोच ने जीतू से बोला! आओ जीतू तुम भी खेलो ! जीतू ने बोला ! सर जी मुझे खेलना नहीं आता ! तब कोच ने बोला ! मैं तुम्हें क्रिकेट सिखलाऊंगा, उसी दिन से जीतू ने पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट भी खेलना शुरू कर दिया, पहले तो उसे फील्डिंग और विकेट कीपिंग करना ही अच्छा लग रहा था, लेकिन बाद मे उसे बैटिंग करना ही पसंद आया, उसके कोच ने भी उसे बैटिंग करने की ही सलाह दी, उसके कोच ने उसे जो भी सिखलाया जीतू ने वो बहुत अच्छे से सीखा, भगवान ने उसे इतना अच्छा दिमाग दिया था कि वो हर चीज को बहुत अच्छे से सीख जाती थी, देखते-देखते जीतू बहुत जल्द ही स्कूल की अच्छी बैट्सवुमैन बन गई, इंटर स्कूल चैम्पियनशिप में कभी भी उसका स्कूल आगे नहीं बढ़ पाया था लेकिन इस साल जीतू की बदौलत चैम्पियन बन गयी, जीतू वुमन ऑफ द सीरीज कहलाई, फिर तो स्कूल जीतू की बदौलत हर टूर्नामेंट को जीतती चली गयी, अब स्कूल में बस जीतू के ही चर्चे होने लगे, वो दशमी की परीक्षा में भी पूरे जिला में प्राथम आई, उसके बाद स्कूल के मालिकों ने जीतू के ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाने का निर्णय लिया, क्यूंकि उसके कारन उनके स्कूल का नाम होने लगा था, बहुत जल्द वो पूरे जिले मे अपनी पढ़ाई और खेल की बदौलत पहचाने जाने लगी, स्कूल ने इन्टर कॉलेज टूर्नामेंट में भाग लिया वहाँ तो जीतू ने कहर ही बरपा दिया, हर मैच में चौके छक्के की बरसात और सबसे ज्यादा रन बनाया, इस खेल की बदौलत उसका सलेक्शन जिला क्रिकेट एसोसिएशन में हो गया, इधर बारहवीं के परीक्षा में भी जीतू ने टॉप किया, लेकिन स्कूल बाले मायूस थे क्यूंकि अब जीतू उस स्कूल को छोड़ कर कॉलेज में चली जाएगी, प्रधानाचार्य और शिक्षक, जीतू के साथ खेलने बाले बच्चे और कोच सब मायूस थे, सब ने लेकिन खुशी खुशी जीतू को बिदाई दी, जीतू भी मायूस थी क्यूंकि अब उसको ये सारी सुविधायें नहीं मिलेंगी, इतने अच्छे शिक्षक नहीं मिलेंगे और आगे की पढ़ाई कैसे होगी, आगे खेलने और पढ़ने के लिये रुपये कहाँ से आयेंगे, ये सब उसके दिमाग में चल रहा था I

खेल की बदौलत जीतू का एडमिशन कॉलेज में बी.ए में हो गया, वहीँ वो एक क्रिकेट क्लब को भी जॉइन कर लिया, कुछ रुपये जो पुरस्कार में मिले थे जीतू को, उस रुपये से वो अपने पढ़ाई के लिये किताब खरीदी और नया क्रिकेट कीट भी ले लिया, धीरे-धीरे समय बीता उसकी पढ़ाई और खेल जारी रही लेकिन रुपये की तंगी के कारन आने जाने में दिक्कत होने लगी, इसका असर प्रैक्टिस पर भी होने लगा, जीतू जब एक दिन रात में परेशान इधर उधर घूम रही थी तो पिता जी ने पूछा ! क्या हुआ बेटा, क्यूँ परेशान हो? तब जीतू ने हिचकिचाते हुए उनको अपनी सारी बात बताई कि रुपये के कारन उसको कैसे दिक्कत हो रही है, तब पिताजी ने उसे बोला! बेटा तुम क्यूँ नहीं राजू भैया से बात करती हो, वो तुम्हारी जरूर कुछ मदद करेंगे, अगले दिन जीतू ने राजू भैया से सम्पर्क किया और उनसे अपनी सारी परेशानी कह सुनायी, उसकी बात सुन कर राजू भैया ने बोला ! मैं एन.जी.ओ बालों से बात करूँगा तुम्हारे लिये, ये बोल कर राजू चला गया और अगले दिन एन.जी.ओ बालों से बात की लेकिन उन्होंने खेलने के लिये रुपये से मदद करने को मना कर दिया और उन्होंने बोला ! हम पढ़ाई के लिये मदद करते हैं खेल के लिये नहीं, राजू ने अगले दिन यही बात जीतू को बताई, जीतू ये बात सुन कर बहुत उदास हो गई, उसे उदास देख कर राजू ने जीतू से बोला! मुझे एक दिन का समय और दो, मैं कल तुम्हें किसी से बात करके बताऊँगा, अगले दिन राजू ने एक कंपनी जिसका उसने कभी इवेंट किया था, में मार्केटिंग वालों से जीतू के खेल को प्रायोजक बनने की बात की, वो कंपनी जीतू का प्रायोजक बनने के लिये तैयार हो गई, ये बात राजू ने जीतू को बतलाया तो जीतू ये सुन कर बहुत खुश हुई और बोला ! राजू भैया आपको पता नहीं आपने मेरा कितना बड़ा टेंशन दूर कर दिया है, आज मैं बहुत खुश हूँ, धन्यवाद भैया ! अब जीतू को खेलने का कोई टेंशन नहीं था, अब वो और अच्छे से प्रैक्टिस करने लगी थी, बहुत जल्द उसने वहाँ के जिला क्लब से खेलना शुरू कर दिया, कई टूर्नामेंट में भाग लिया और जीती भी, खैर देखते-देखते तीन साल बीत गये, जीतू ने अपना बी.ए. पूरे यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल लेकर कम्प्लीट किया, अब उसके पास दो ऑप्शन थे, या तो वो आगे पढ़ाई में अपना कैरियर बनाये, या फिर वो क्रिकेट को अपना कैरियर बनाये, लेकिन उसने क्रिकेट को ही अपना कैरियर चुना, अब वो पूरी तरह अपना ध्यान क्रिकेट पर देने लगी I

एक दिन अचानक उसके कोच ने उसे बोला ! जीतू तुम स्टेट खेलने के लिये तैयार हो जाओ, तुम्हारा खेल देख कर स्टेट सचिव साहब मो. रजा तुमसे मिलना चाह रहे हैं, वो यहीं आये हुए हैं किसी काम से, होटल में ठहरे हुए हैं, उन्होंने खुद तुम्हारे बारे में मुझ से बात की है, कल उन्होंने तुम्हें बुलाया है ! ये सुन जीतू बहुत खुस हुई, अब उसको अपना सपना साकार करने का मौका मिल रहा था, वो तुरंत तैयार हो गई और बोली! सर ! कल कब चलना है और कहाँ? कोच ने बोला ! मैं उनसे बात कर के कल सुबह तुम्हें बताऊँगा, जीतू ने बोला ! ठीक है सर, मैं इंतजार करुँगी ! अगले दिन सुबह कोच सर जीतू को लेने उसके घर आ गये और बोला ! जीतू उन्होंने अभी बुलाया है होटल रुद्र में ! जीतू ने बोला ! ठीक है सर, मैं बस दो मिनट में तैयार हो कर आती हूँ, थोरी ही देर में जीतू कोच सर के साथ उनके बाइक के पीछे बैठ कर चल दी, कुछ ही मिनट में वो दोनों होटल पहुंच गये और प्रतीक्षा एरिया में इंतजार करने लगें, कोच सर ने होटल के काउन्टर से सचिव साहब के कमरे में फोन करके उन्हें अपने और जीतू के आने की जानकारी दी, सचिव साहब ने बोला मैं आ रहा हूँ, थोड़ी देर में मो. रजा आये, कोच ने जीतू को सचिव साहब मो. रजा से मिलवाया, जीतू ने तुरंत मो. रजा को पैर छू कर प्रणाम किया, फिर इन तीनों के बीच बातें होने लगी, थोड़ी देर बाद मो. रजा ने कोच से बोला ! क्या आप मेरे लिये सिगरेट ले आयेंगे! कोच ने बोला ! हाँ मैं अभी लेकर आता हूँ, कोच सर चले गये सिगरेट लाने के लिये, इस बीच मो. रजा ने जीतू से बात करना शुरू किया और उसके खेल की खूब तारीफ की, फिर उसके फिगर की तारीफ करना शुरू कर दिया, जीतू को मो. रजा की बातों से उसकी नियत कुछ ठीक नहीं लगी, फिर भी उनकी बात सुनती रही, मो. रजा ने फिर अपना असली रंग दिखाना शुरु किया और जीतू से बोला!  देखो जीतू मैं तुम्हें स्टेट टीम में शामिल करवा दूँगा लेकिन तुम्हें इसकी कुछ कीमत देनी पड़ेगी, तुम्हें तो पता ही है कि कितनी लड़कियां सलेक्शन के इंतजार में लाइन में खरी हैं ! जीतू ने बड़े मासूमियत से बोला! मगर सर! मेरे पास देने के लिये तो कुछ भी नहीं है, मैं तो बहुत गरीब परिवार से हूँ, मेरे पिताजी ने बड़े मुश्किल से मुझे यहाँ तक पहुँचाया है, हमारे पास रुपये नहीं है ! इसपर मो. रजा ने बोला! जीतू तुम बहुत मासूम हो, मैं रुपये की तो बात ही नहीं कर रहा हूँ, मैं तो तुम्हें बस ये बोल रहा हूँ कि आज रात तुम मेरे साथ इस होटल में बिताओ और मुझे खुश कर दो, तुम मुझे खुश कर दो, मैं तुम्हें खुश कर दूँगा, मैं आज रात तक यहीं हूँ कल चला जाऊँगा ! ये सुन कर जीतू को बहुत गुस्सा आया और वो वहीँ रखी पानी से भरी ग्लास उठा कर मो. रजा के मुह पर फेंक दिया और बोली! तुम्हें शर्म तो आती नहीं होगी तुम तो अपनी बेटी से भी यही उम्मीद करते होगे, ये बोल कर जीतू गुस्से मे रोती हुई वहाँ से चली गई, थोड़ी ही देर में कोच सिगरेट ले कर वहाँ आ गया, मगर जीतू को वहाँ नहीं देख कर मो. रजा से पूछा ! सर क्या हुआ? जीतू कहाँ गई ? आपका ये हाल कैसे हुआ ? आप कैसे भींग गये ? क्या हुआ सर? जीतू कहाँ गई? इस पर गुस्से मे मो. रजा ने कोच से बोला ! ये लड़की निहायत ही बदतमीज और चरित्रहीन है, मेरा ज़बरदस्ती पैर पकड़ कर बोलने लगी! सर मुझे किसी भी कीमत पर स्टेट टीम में खेलना है ! और मेरे गले परने लगी, मैंने जब उसे बोला ! मैं वैसा नहीं हूँ, तब भी वो मेरे गले पर रही थी, ये देखकर मैंने उसे धक्का दे दिया तो वो उल्टा मुझी पर गुस्सा हो गई और गुस्से मे मेरे चेहरे पर पानी फेंक कर भाग गई, अब मैं उसे माफ नहीं करूँगा, मैं देखता हुँ अब वो कैसे खेलती है, उसे कौन खेलाता है, वो अब कहीं नहीं खेल पायेगी, मुझसे पंगा लेकर उसने बहुत गलत किया है, अब वो इसकी कीमत चुकाएगी ! ये बोल कर मो. रजा अपने कमरे में चले गये, इधर जीतू रोती हुई अपने घर आई और माँ से लिपटकर रोने लगी, माँ ने जीतू से पूछा क्या हुआ बेटी ? तब जीतू ने उन्हें सारी बात कह सुनाई, माँ ने बेटी को गले लगा कर बोला ! तू बहुत हिम्मत बाली है, ठीक किया तुमने, उसे तो और मारना चाहिये था और पुलिस से पकड़वाना चाहिये I पिताजी रात में जब घर आए और उन्होंने ये सारी बात सुनी तो गुस्से में लाल हो गए और उसी समय होटल जाने लगें तब जीतू ने उन्हें रोका और समझाया ! पिताजी हम लोग बहुत छोटे लोग हैं, हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगे, हमारे पास क्या है ? इज़्ज़त ही तो है ! वो गलत लोग है उसके पास उसका तो कोई इज़्ज़त है नहीं ! पिता जी ! मैं बच के आ गयी यही मेरे लिए काफी है, वर्ना वो तो हमे मरवा भी सकता है, जाने दीजिये ! ये सुन कर उसके पिताजी रुक गये I जीतू की माँ जीतू को समझाते हुए उसका बिस्तर लगा दिया और उसे सुला दिया I

जीतू दो दिनों के बाद जब जिला क्लब गई तो उसके कोच ने मो. रजा की बात को सही समझ कर उसे क्लब में आने से मना कर दिया, जीतू कोच को समझाती रही पर कोच ने जीतू की एक न सुनी, वो वहाँ से रोते हुए निकल गई, उधर मो. रजा ने जीतू के बारे में अखबार में झूठा खबर निकलवा दिया जिसके कारन हर किसी को जीतू गलत लगने लगी, जीतू जब दूसरे क्लब में गई तो वहाँ भी उसे यही सब सुनना पड़ा, वहाँ से भी वो मायूस होके निकली, अब वो जहां भी जाती उसे लोग गलत नजर से देखते, वो अब टूटने लगी, मगर हिम्मत नहीं हारी, उसने सोंचा क्यूँ ना सीधे जाके स्टेट का सलेक्शन में हिस्सा लिया जाये, वो वहाँ गई और भाग लिया उसका सलेक्शन भी हो गया लेकिन फिर वही हुआ जिसका उसको डर था, सलेक्शन कमेटी में सचिव का बंदा था उसने जीतू को रिजेक्ट करवा दिया, जीतू इधर उधर सब से मिली सब को बतलाया कि मेरा सलेक्शन हो गया था उसके बाद क्या हुआ जो मुझे रिजेक्ट कर दिया गया, लेकिन किसी ने उसकी सहायता नहीं की, उल्टा उसे मो. रजा के साथ हरकत के बारे में बोल कर बेइज्जत किया, अब वो टूट गई थी, रोते रोते घर आई और माँ पिताजी से सारी बात बतलाई, पिता जी ने इसबार जीतू को समझाया कि मैं मो. रजा से बात करूंगा कि वो क्यूँ मेरी बेटी की जिन्दगी को बर्बाद करने पर तुला है, उसकी गलती क्या है ? अगर होगा तो मैं अध्यक्ष जी से भी मिलूंगा, मैं तुम्हें ऐसे नहीं देख सकता, मैं तुम्हें न्याय जरूर दिलाऊंगा ! जीतू सिसकती सिसकती माँ के गोद में सर रख कर सो गई, पिता जी और माँ ने जीतू के सर को चूम लिया और बात करने लगें! कैसा ज़माना आ गया है! कोई कैसे गंदी बाते कर सकता है वो भी अपनी बेटी की उम्र के बच्चे के साथ और अगर कोई इसका विरोध करे तो वो लोग ऐसे परेशान करेंगे, यही बात करते करते वो लोग भी सो गये I

जरा सुनिये ! मुझे सचिव जी से मिलना है, वो किधर मिलेंगे, जीतू के पिताजी ने स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के ऑफिस में एक आदमी से पूछा! उसने जवाब दिया! आप पहले मंजिल के दाहिने से तीसरे नंबर के ऑफिस में चले जाईये, वही उनका कैबिन है ! ठीक है धन्यवाद! हांथ जोड़ कर जीतू के पिता जी ने बोला और जैसा उस आदमी ने बोला था वैसे ही वो उस कमरे की तरफ चल दिये, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ? पिता जी ने मो. रजा के कमरे के गेट पर खड़े होकर बोला ! हाँ आइये! मगर आप कौन है और क्या काम है? मो. रजा ने जीतू के पिता से पूछा ! मैं जीतू का पिता हूँ! ये सुन कर मो. रजा थोड़ा घबराया और बोला! कौन जीतू और क्या काम है आपको मुझसे! जीतू के पिताजी ने फिर बोलना शुरू किया और सारी बात बतलाई और पूछा आपको हक किसने दिया किसी को बदनाम करने का, वो तो हमारी शराफत थी कि हम पुलिस के पास नहीं गये बर्ना आज आप यहां नहीं होते जेल की हवा खा रहे होते ! इतना सुनते ही मो. रजा भी गुस्से में अपने कुर्सी से खारा हो गया और बोला पहले आप अपनी बेटी को समझाइए, जैसा उसने हरकत की है अब वो कहीं से खेल नहीं पायेगी, आप जैसे लोग ऐसे ही हम जैसे लोगों को फंसा कर काम निकलवाना चाहते हैं, आप निकल जाइए यहां से नहीं तो किसी को बुला कर धक्के मार कर निकलवाना पड़ेगा! इसपर जीतू के पिता ने कहा ! आप को भगवान माफ नहीं करेंगे ,आप को हम गरीब की हाय जरूर लगेगी, मैं आपको छोड़ूंगा नहीं! इतना बोल कर जीतू के पिताजी वहाँ से निकल गये I

जीतू जहां भी खेलने जाती वहीँ लोग उसके और मो. रजा के बीच की बात करने लगते थे, जीतू इस वज़ह से बहुत परेसान रहने लगी, घर से निकालना बंद कर दिया, अब वो कहीं बाहर नहीं आना जाना चाहती थी, वो अवसाद में चली गयी थी, देखते देखते तीन- चार साल निकल गये, जीतू के घर का हाल बद से बदतर होने लगा, पिताजी और माँ भी बूढे हो गये थे और बीमार भी रहने लगे थे, अब पिताजी कभी दुकान जाते तो कभी बीमारी के कारन घर मे ही रहना पड़ता, रुपये जो जीतू ने पुरस्कार में जीता था वो अब खत्म होने लगा था, परेशानी ज्यादा बढ़ने लगी, इधर जीतू की माँ जीतू की बढ़ती उम्र के कारन परेशान थी, एक दिन रात को जब जीतू के पिता जी दुकान से घर आये तो जीतू की माँ ने उनसे बात की! अजी सुनते हैं ! आप से कुछ बात करनी है जीतू को लेकर ! जीतू के पिता ने बोला हाँ बोलो! मैं सोच रही थी अब हम भी बूढे हो रहे हैं और जीतू की उम्र भी अब बढ़ रही है, अब हमे जीतू की शादी कर देनी चाहिये, वो भी घर में ही अब गुम-सुम सी बैठी रहती है, शादी के कारन कहीं जीतू का भाग्य बदल जाए, हमारे गरीबी के कारन हम कुछ नहीं कर सके अपनी बेटी के लिये ऊपर से मेरी बच्ची पर उस राक्षस की गंदी नजर परने के कारन वो वैसे ही परेशान है, शादी जब हो जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा, तभी कुछ गिरने की आवाज जीतू के कमरे से आई, जीतू की माँ ने जीतू के पिता से बोला! आपने कुछ सुना! हाँ लगता है कुछ गिरा है! चलो देखते हैं! हाँ चलिये! जीतू! जीतू! बेटा दरवाजा खोलो! क्या गिरा ? अंदर से कुछ आवाज आ रही है! जीतू दरवाजा खोल बेटा! जीतू के पिताजी कुछ कीजिये ना, ये दरवाजा क्यूँ नहीं खोल रही है, जीतू के पिताजी बाथरूम से  बाल्टी निकाल कर लाए और उसको पलट कर ऊपर चढ़ कर गेट के ऊपर से झरोखे से देखा और चिल्ला परे, नहीं जीतू, नीचे उतर कर गेट पर जोर जोर से अपने शरीर से धक्का मारने लगे, जीतू की माँ पूछने लगीं! क्या हुआ ? मुझे बहुत डर लग रहा है, कुछ तो बोलिये? तभी दरवाजा टूट गया और सामने जीतू को देख चिल्लाने लगी, सामने जीतू पंखे से लटकी थी और तरप रही थी, जीतू के पिताजी ने जल्दी से उसको अपने कंधे पर उठा लिया और माँ कुर्सी पर चढ़ कर जल्दी से जीतू के गले से दुपट्टे का फंदा निकाला, पिताजी ने जीतू को उठा कर पलंग पर लिटाया, जीतू बेहोश हो गई थी, पिताजी भाग कर ऑटो लेकर आये और जीतू को लेकर हॉस्पिटल भागे, हॉस्पिटल के वार्ड में बेड पर लिटा कर डॉक्टर को बुलाया और बोला ! डॉक्टर साहब देखिये ना मेरी बेटी ने ये क्या कर लिया, आप इसे बचा लीजिये, डाक्टर ने बोला ! हाँ मुझे पहले देखने दीजिये, डाक्टर ने देखा उसके गले की हड्डी टूट गई थी तुरंत उसके गले पर प्लास्टर किया और कुछ दावा दिया और बोला ये सब कैसे हुआ ! फिर जीतू के पिताजी ने डाक्टर साहब को सारी बात बता दी ! डॉक्टर साहब ने बोला ! आपन सही समय पर इसको लेकर यहाँ आ गये नहीं तो कुछ भी हो सकता था, खैर अब कोई दिक्कत नहीं है बस प्लास्टर दो महीने रहेगा, फिर ये सही हो जायेगी ! इसपर जीतू के पिता ने डॉक्टर से बोला ! डॉक्टर साहब ये एक क्रिकेट खिलाड़ी है, ये खेल तो पायेगी ना ? डॉक्टर ने बोला ! ये तो ठीक हो जायेगी मगर अब इसको खेलने मत दीजियेगा इसके गले पर ज्यादा जोर नही परना चाहिये और हाँ इसको अकेले मत छोड़िये, इसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, लगता है इसके दिमाग पर किसी घटना ने कुछ ज्यादा ही असर किया है, ये बोल कर डॉक्टर चले गये, मगर उन्होंने पुलिस को इस घटना की जानकारी दे दी, कुछ ही देर में पुलिस आ गई और जीतू के घर बालों से और जीतू से पूछताछ की, जीतू के पिता जी ने जीतू और मो. रजा के बीच जो घटना घटी थी उसके बारे में सारी बात बता दी और बोला ! सहाब उस मो. रजा ने मेरी बेटी की जिन्दगी खराब कर दी उसको आप छोड़ियेगा नहीं, मेरी बेटी को इन्साफ दिलाईऐ ! इंस्पेक्टर ने उनको विश्वास दिलाया कि मैं पुरी कोशिश करूँगा कि उसको सजा मिले, ये बोल कर वो चला गया I

राजू जीतू के घर भागा-भागा आया और उसके पिताजी से बोला, इतना कुछ हो गया और आपने मुझे कुछ भी नहीं बतलाया ? वो तो आज सुबह मैंने जब अखबार में पढ़ा इस घटना के बाड़े में, तब पता चला, हाँ मेरी भी गलती है कि पहली बार जब मैंने अखबार में जीतू और मो. रजा के बीच की घटना के बारे में पढ़ा तो मुझे भी लगा कि जीतू ही गलत होगी, मगर आज जब इस घटना के बारे मे पढ़ा तो सोंचा जो इतना बड़ा कदम उठा सकती है वो गलत हो ही नहीं सकती और मैं आ गया यहाँ, मुझे अपनी बहन पे भरोसा करना चाहिए था, राजू अंदर गया और जीतू से मिला, जीतू राजू भैया को देख कर उससे गले मिल कर जोर जोर से रोने लगी और बोला भैया आप मुझे बचपन से जानते हैं क्या आपको भी लगता है मैं गलत हूँ! राजू ने बोला ! नहीं बेटा तू गलत हो ही नहीं सकती है, जिसने गलत किया है उसको उसकी सजा जरूर मिलेगी, मैं दिलाऊंगा उसको सजा! राजू ने मन मे ठान लिया कि जीतू को कैसे भी हो इन्साफ दिलाऊंगा I

राजू अगले दिन उस होटल में गया जहां जीतू और मो. रजा की घटना घटी थी, वहाँ जा कर मैनेजर से बात की और उससे प्रतिक्षा वाले जगह पर जो कैमरा लगा था उसका घटना वाले दिन का रिकॉर्डिंग माँगा, मैनेजर ने बोला हम एक साल तक का रिकॉर्ड रखते हैं, ये घटना तो चार साढ़े चार साल पुराना है ! राजू मायूस हो कर बोला! क्या अब कुछ नहीं हो सकता ? मैनेजर ने बोला मैं एक बार सिक्युरिटी बाले से बात करके देखता हूँ ! राजू ने बोला! प्लीज एक बार अभी बात कर लीजिए, ये किसी के जिन्दगी और मौत से जुड़ा है ! मैनेजर राजू को लेकर सिक्युरिटी इनचार्ज से बात की, सिक्युरिटी इनचार्ज ने बोला हम दस साल तक का रिकॉर्ड रखते है और वो एरिया पब्लिक एरिया है इस लिये वहाँ का जो कैमरा है उसमे आवाज भी रिकार्ड होता है! ये सुन कर राजू बहुत खुश हुआ और बोला! क्या आप उस दिन की रिकॉर्डिंग अभी  मुझे दे सकते हैं! सिक्युरिटी इनचार्ज ने बोला आज तो नहीं मगर हाँ कल मैं जरूर निकलवा दूँगा, हम उसे हार्ड डिस्क में डाल कर स्ट्रॉन्ग रूम में डाल देते हैं, इसलिये वहाँ से मंगवाना पड़ेगा ! राजू बोला ठीक है मैं कल आता हूँ! ये बोल कर राजू ने मैनेजर और सिक्युरिटी इनचार्ज को धन्यवाद बोला और वहाँ से चला गया, अगले दिन वो फिर होटल आया तो सिक्युरिटी इनचार्ज ने वो फुटेज राजू को दिखाया और सुनाया, उस फुटेज को देखने और सुनने के बाद सब कुछ साफ हो गया कि कौन सही है और कौन गलत, राजू ने बोला! दिल तो करता है अभी उस सचिव के बच्चे को पीटते हुए नंगा कर के पूरे शहर मे घुमाऊॅ, लेकिन मैं कानून को अपने हांथ में नहीं लूँगा, लेकिन अब मैं उसे छोड़ूंगा भी नहीं, ये बोल कर वो वहाँ से फुटेज ले कर सीधा पुलिस थाने चला गया और वो फुटेज पुलिस को दे दिया, इंस्पेक्टर ने फुटेज देखा और सुना और बोला! अब मो. रजा नहीं बचेगा, अब मो. रजा को कोई नहीं बचा सकता है, मैं आज ही उसे गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे डालता हूँ, इंस्पेक्टर अपने टीम को लेकर मो. रजा के ऑफिस गया और उसे गिरफ्तार कर लिया, मो. रजा ने बहुत इधर उधर की बातेँ की, इंस्पेक्टर को रुपये का भी ऑफर दिया मगर बात नहीं बनी, उसे थाने लेकर आये और थर्ड डिग्री दिया फिर उसे फुटेज दिखाया वो देख कर मो. रजा ने अपना जुर्म तुरंत कबुल कर लिया, अगले दिन उसे पुलिस ने कोर्ट में पेश किया और कोर्ट को उसका फुटेज दिखाया जज साहब ने सारे सुबूतों को देखा और उसे सजा सुना दी, मो. रजा को जेल हो गई, राजू और जीतू के पिताजी ने ये खबर जीतू को सुनाया तो वो बहुत खुश हुई, अगले दिन अखबार के माध्यम से सब को ये खबर मिल गई, सब को सच्चाई पता चल गई, अब जिस जिस ने जीतू को गलत समझा था वो सब के सब शर्म से पानी पानी हो गये, सबको अपनी गलती का एहसास हो गया था I

जीतू को इन्साफ तो मिल गया था मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी, अब जीतू खेल नहीं सकती थी, किसी इंसान को जान से मार कर ही कत्ल नहीं किया जाता, उसे उसके इज़्ज़त का कत्ल कर के भी मारा जा सकता है, जैसा कि जीतू के साथ हुआ, उसके आत्म सम्मान का कत्ल हुआ था, उसके ज़ज्बात का कत्ल हुआ था, उसके हुनर का कत्ल हुआ था, उसके हौसले का कत्ल हुआ था, उसके पढ़ाई का कत्ल हुआ था, उसके गरीबी का कत्ल हुआ था, एक खिलाड़ी के खेल का कत्ल हुआ था, एक होनहार का कत्ल हुआ था I

✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)

Anita Singh

Anita Singh

कटु सत्य लिखा है सिस्टम कभी कभी टैलेंट को खा जाता है

30 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

30 दिसम्बर 2021

बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

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