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गौरव की गौरव गाथा, भाग 1

Gaurav Karna

26 अध्याय
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12 पाठक
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गौरव की गौरव गाथा एक कविता संग्रह है, इसमें सारी की सारी मेरे द्वारा रचित कविताएं हैं  

gaurav ki gaurav gatha

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बहुत ही सुन्दरता से अपने कविताओं का संग्रह बनाया है।बहुत ही स्पष्ट सन्देश देती कविताएं.सुन्दर संकलन


अच्छा लेखन

पुस्तक के भाग

1

मेरे देश का बड़ा मान है

7 नवम्बर 2021
7
3
8

<p>मेरे देश का बड़ा मान है, मेरा भारत सबसे महान है <br> <br> संस्कृति बहुआयामी है, सभ्यता भी युगों प

2

हिंदुस्तान ऐसा पाया है

7 नवम्बर 2021
3
2
4

<p>यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे का सम्मान करते हैं <br> यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे को सलाम करते हैं <br>

3

वो गाँव मुझे बुलाता

7 नवम्बर 2021
3
1
4

<p>वो गाँव मुझे बुलाता, वो गाँव मुझे बुलाता<br> क्यूं छोड़ आ गये सब, हर पल है ये रूलाता <br> वो गाँव

4

वो दिन कभी ना लौट आएगा

7 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>वो दिन कभी ना लौट आएगा, वो दिन कभी ना लौट आएगा<br> <br> वो खेतों में हलना, वो पुआलों में छुपना<br

5

थोड़ा किया थोड़ा और करना है

7 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>थोड़ा किया थोड़ा और करना है <br> नदियों सा मुझे बहते रहना है <br> पहाड़ सी ऊंचाई मुझे पाना है <br

6

इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं

8 नवम्बर 2021
3
2
4

<p>इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं <br> कुछ हाँ के साथ तो कुछ ना में होते हैं <br> कुछ हँ

7

मैं कैसे बदल जाऊँ

8 नवम्बर 2021
3
2
4

<p>मैं कैसे बदल जाऊँ, अब मैं कैसे बदल जाऊँ<br> भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ<br> <br>

8

जमाना इतना बुरा है

9 नवम्बर 2021
3
3
4

<p>मैने सोंचा न था, जमाना इतना बुरा है<br> हर चेहर के पीछे, झूठ का पर्दा पड़ा है<br> <br> अपने दिल क

9

भीड़ का हिस्सा नहीं बनना

9 नवम्बर 2021
3
1
6

<p>मैं गौरव हूँ, मुझे भीड़ का हिस्सा नहीं बनना <br> मैं गौरव हूँ, मुझे कुछ सबसे अलग है दिखना <br> <b

10

मैं नशे में हूँ

10 नवम्बर 2021
3
1
4

<p>पी पी के मैं टल्ली हो जाऊँ <br> मत बोल के, मैं नशे में हूँ <br> <br> मत पूछ मुझे मैं कहाँ गिरा <b

11

ऐ जिन्दगी चल नई शुरूआत करते हैं

10 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>ऐ जिन्दगी चल नई शुरूआत करते हैं <br> कभी तु आसमान में उड़ रहा था <br> ज़मी पे आने से मना कर रहा थ

12

आशा और निराशा

11 नवम्बर 2021
2
1
4

<p>जीवन कुछ रंग जगा,<br> मन में उमंग जगा<br> आँख मे सतरंग जगा<br> दिल मे तरंग जगा,<br> <br> क्यूँ जह

13

मन का द्वंद

11 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>ये कैसा है द्वंद मन मे, ये कैसा है द्वंद <br> मन ही मन से द्वंद करता, ये कैसा है द्वंद<br> <br> इ

14

खो गया है ख़ुशी मुझसे

12 नवम्बर 2021
3
2
4

<p>खो गया है ख़ुशी मुझसे <br> कोई तो ढूँढ के ला दो <br> मिल जाये जल्दी से मुझको <br> कोई तो रपट लिखा

15

कवि भी मैं कविता भी मैं

12 नवम्बर 2021
3
3
6

<p>कवि भी मैं कविता भी मैं <br> छंदों की व्यथा भी मैं <br> कवि की हूँ कल्पना भी मैं <br> 'गौरव' की र

16

सबसे अच्छा बचपन

13 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>सबसे अच्छा मेरा बचपन<br> सबमें सच्चा मेरा बचपन<br> बचपन बचपन खेलता बचपन<br> गिरता संभलता उठता बचप

17

बच्चे की शरारत

13 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु<br> उछल-कुद में माहिर बच्चा, मैं बरा उत्खाटु<br> <br> शरार

18

गुस्से में बीबी फन फैलाई नाग है

14 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>गुस्से में बीबी फन फैलाई नाग है <br> थोड़ा भी छेड़ दो डशने को तैयार है <br> गुस्से में बीबी फन फै

19

सोंचा था कुछ अच्छा करने का

14 नवम्बर 2021
3
2
4

<p>सोंचा था कुछ अच्छा करने का <br> दिमाग ने करने से रोक दिया <br> मन में फिर द्वंद सा होने लगा <br>

20

माँ बाप की प्यारी ये बेटियाँ

20 नवम्बर 2021
3
3
4

<p>माँ बाप की प्यारी ये बेटियाँ <br> होती हैं सारी ये बेटियाँ <br> भगवान ने बनाई ये बेटियाँ <br> जग

21

मैं तेरी भारत माता हूँ

21 नवम्बर 2021
3
3
4

<p>मैं कैसी बेबस माता हूँ <br> मैं तेरी भारत माता हूँ <br> छल कपट और लालच द्वेष में <br> अपनों से धो

22

माँ तुझसा कोई नहीं

21 नवम्बर 2021
5
3
6

<p>माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं <br> <br> जब सुबह उठना हो तो, माँ सा अलार्म कोई नहीं

23

तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी

26 नवम्बर 2021
3
3
4

<p>तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी <br> कभी मायूस थी जिंदगी आज हाल बदल गयी <br> <br> तेरे पहले निर

24

तुम अगर साथ हो मेरे

26 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>तुम अगर साथ हो मेरे, मैं हर मुश्किल को पाट दूँ <br> मैं हर हार को जीत जाऊँ, मैं हर खतरे को काट दू

25

गुरु ही ब्रम्हा, गुरु ही विष्णु

29 नवम्बर 2021
2
2
2

<p>गुरु ही ब्रम्हा, गुरु ही विष्णु <br> गुरु ही देव महेश्वर हैं <br> गुरु साक्षात परमेश्वर हैं <br>

26

बस चार दिन का जिंदगी

29 नवम्बर 2021
2
2
4

<p>भगवान ने दिया हमें काम की जिंदगी, बस चार दिन का जिंदगी -2<br> लड़कपन, बचपन, जवानी, बुढापा, यही है

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