खामोश रहता हूँ मै
अब कलम को आवाज बनाता हूँ
बदली अंदाज ए जिंदगी
अब जज्बातों को अल्फाज़ बनाता हूँ
तुझे दिल से यूँ भुला देना
आसान नहीं था ए जिंदगी
लफ्जो को सजाकर हर रोज
अब मुमताज बनाता हूँ
😍😍😍
कतरा कतरा बुनकर
अब अक्षर का ताज बनाता हूँ
ज़र्रा ज़र्रा टूटकर
अब जिंदगी का नया साज बनाता हूँ
रूह तलक काँप गयी थी
तेरे रूठने से ए जिंदगी
आलम समझना जिंदगी
अब शब्दो मे गहरे राज छिपाता हूँ