मीडिया रिपोर्ट में लिखा है की दूरदर्शन का प्राथमिक लक्ष्य शिक्षा के माध्यम से विकास करना ,सुचना देना और जाग्रति पैदा करना ,व्यापक जनता के िस्तर में सुधर करना,विभिन्न समाजो एवं समुदायों, क्षेत्रो एवं राज्यों के बीच में आपसी समझदरीएवं सहानुभूति पैदा करके एक राष्ट्र के रूप में संगठित करना इनकी जीवन की पद्द्ति की विशिष्टो संस्कृतीयो रीतिरिवाजों तथा परम्पराओ की सुरक्षा उन्हें मजबूत करना तथा सैमृध कारना है जबकि द्रितीय लक्ष्य है! मोरंजन के लिए मनोरंजन करना तथा आम प्रदर्शन के कार्यक्रमों को दिखाना है! दूरदर्शन ने मूल नीति से हटकर कार्य किआ है! राष्ट्र को उच्च मूल्यों के पथ पर ले जाने में दूरदर्शन ने अपनी उपयोगिता सिद्ध कर सकने की शमता रखते हुए भी मूल्यहीनता की स्तिथि को बढ़ावा दिया है! स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्याला के पाठ दूरदर्शन की मोहक छवि इसक समक्ष् अर्थहीन हो गए है! देश की जनता की सांस्कृतिक चेतनास और जीवन-स्तर को विकसित करने के लिए दूरदर्शन तथा रेडियो की भूमिका को सरथससक दिशा दी होती तो देश की तस्वीर ही कुछ और होती! यह देश अपनी मूल अस्मिता के सहारे विश्व में एक अलग ही छवि इसके साथ अपनी पहचान करने मई समक्ष होंतस! इन माध्यमो से न तो देश में विकास की गति को तेज करने में सहायता मिली न ह आम जनजीवन की दशा और दिशा तय हो सकी! जागृति का कोई भी भवन माध्यमो के द्वारा सुनिश्चित नही किआ जा सका! राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का स्वप्न इन माध्यमो के द्वारा सुनिश्चित किया जा सका!
राष्ट्रीय एकता एवं अखांडता का स्वप्न इन मद्यमो के द्वारा साकार कैसे हो सकता है?