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भारतीय साहित्य से गहरा सम्बन्ध--

15 सितम्बर 2015

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नदी, पर्वत ,वन,और अन्नपूर्णा धरती से भारतीय साहित्य का घर सम्बन्ध रहा है क्योकिउसने प्रकृति से अपनी सहधेर्मिता और सहअस्तित्त्व को पहचाना है ! भारत की पहली कविता ही पशु-पक्षी के विरुद्ध जन्मिति !कवियों ने प्रकृति की हलकी से हलकी धड़कन और स्पंदन को महसूस किया है ! आदि कवि वाल्मीकि जानते है की कड़कड़ाती ठण्ड में जलचर हंस, कैसे सम्हालकर ,दरकार ठन्डे पानी में पैर डालते है 'कालिदास को पता है की अनुकूल मंद -मंद पवन यात्रा का शुभ शकुन है ! "पद्माकर' मन में बसंत का बरगना महसूस करते है "पंत" बल -पक्षिणी से सवाल करते है किश्त में ,ढोसले में बंद ,अंदर में तुमनेकैसे जान लिया की सूर्य की पहली किरण अंतरिक्ष में प्रवेश कर चुकी है? "शमशेर " सोचतेहै की यह पशु कैसे सोते होंगे /"प्रेमचंद ' के बैल अपनी व्यथा -करुणा हमारे कण में कह जाते है !"प्रसाद "की प्रकृति हमें अतिवाद के प्रति सावधान करती है ! रचनाकार तो मनुस्य की संवेदना का प्रतिक भी है और प्रहरी भी है १लेकिन इलेक्ट्रानिक माध्यम में रचनाकार की उची गति लगभग शून्य हो गयी है १एलेच्त्रनिच माध्यम की पत्रकारिता में साहित्य संवेदना के लिए कोई स्थान ही नहीं रह गया है !साहित्य के प्रगति एक विरोध ,साहित्य विहीन पत्रकारिता के प्रति एक अद्भुत सम्मान जिस तरह से उभर रहा है,उससे निराशा होती है !यह किसी शब्द में साहित्यिकता का संस्कार ध्वनित भी होता है, उसके भी तथाकथित पत्रकारिता की पहचान दी जाती है
वर्तिका

वर्तिका

कवि और प्रकृति का बहुत ही गहरा नाता है|भले हीं वर्तमान समय में, पत्रकारिता में साहित्य संवेदना के प्रति अरुचि है परंतु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से, हम अपनी रचनाएँ, प्रतिक्रियाँए और सुझाव लोगों तक साझा कर सकते हैं|

15 सितम्बर 2015

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२१वि सदी की बाजारवादी व्यवस्था

14 सितम्बर 2015
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एककस्वीसदी सदी के इन दिनों में इस इस भूमण्ड़लीकरण की बाज़ारवादी व्यस्था के चलते मीडिया का ग्लोबल चेहरा एक नए मनुस्य की तलाश में है !* क्या आप जानते है की यह मनुष्य कहा से प्रकट होगा ?आज समूचा विश्व भूमांडलीकरण मीडिया द्वारा कई भौतिक यथार्थ वादी ,अलगाववादी खेमो में बट गया है ! आज विश्व में दो तरह की

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वर्त्तमान परिदृश्य

14 सितम्बर 2015
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हम आज जिस स्वतंत्र फ़िज़ा में जी रहे है,यह उस परंपरा से हमे जोड़ती ह,जिस परंपरा के हम उत्तराधिकारी है!उस परंपरा को जिस राष्ट्रपिता गांधी ने कायम किया,वाही वह परंपरा,हुमारीमार बलिदानी सहीदो की दें है! उन्ही शहीदो के बल पर यह देश आज़ाद हो सका है जो विरासत में हमें मिली है,उसी के अनुकूल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

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दशा और दिशा का निर्धारण करना

14 सितम्बर 2015
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इस देश के कवियों, मनीषियों, के द्वारा स्थापित उच्च मूल्यों की झाकी इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रत्येक कार्यकमों में इस्पस्टत्या झलकनी ही चाहिए !आर्थिकसंसाधन जुटाना एक व्यवसाय है ,किन्तु साथ ही इस व्यसाय की अनिवर्यता के साथ मीडिया एक ऐसी संस्था भी है, जिसमे काम करने वालो का आदर्श तो उचा होना ही चाहिए !

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डा टी ,डी एस के अनुसार ----

14 सितम्बर 2015
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स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व प्रत्येक पत्रकार जो मीडिया से जुड़ते थे , शब्दों के शिल्पी थे ! एक शब्द का प्रयोग वे बहुत सोच -विचार तथा पूर्ण सावधानी से करते थे !उनकी वाणी में लेखन में,हार्दिकता एवं संवेदनशीलता पूर्णतः एकाकार रहती थी !आज पत्रकार चाहे इलेक्ट्रानिक माधयम से जुड़ा हो या प्रिंट माध्यम से ,

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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अद्भुत क्षमता

14 सितम्बर 2015
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जिस क्षमता के बल पर यह माध्यम देश की कोटि कोटि प्रणाम जनता के मनोभावों और अंत करण पर शासन कर सकता है!जनता को शिक्षित एवं प्रेरित करके एक बहुत उपयोगी सहायक भी सिद्ध हो सकता ह,पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम ये सब कुछ करने विपरीत समाज की रूचि को ही छिन्न-छिन्न कर रहा हे,यह सब चिंता का विषय है! इलेक्ट्रॉनिक मीड

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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कि रिपोर्टिंग

14 सितम्बर 2015
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जनता जो सुचना को देख व सुन रही है! उसके विवेक को काम आंकना ठता उस सही सुचना देने की अनदेखी करना दोनों घातक काम है! इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दवा होना चाहिए की वह प्रतिदिन अपने असंख्य चैनेलो में उसी की सुचना के प्रवाह को बनाए जो जनता को बतानी आवश्यक है! इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की रिपोर्टिंग निश्चय रूप से त्

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डा आलोक के अनुसार -----

14 सितम्बर 2015
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इलेक्ट्रानिक माध्यम को अपनी एक मर्यादा करने की आवशयकता है ! नैतिकता ,चरित्र और मानवता का प्रशन बार-बार उठता है ,उसे मानव कल्याण के लिए इलेक्ट्रानिक माध्यम द्वारा यह बात आमजन के दिल दिमाग में बैठा दी जनि चाहिए की मनुष्य मात्र वोट नहीं है , जबकि आज देश में जिस तरह का प्रजातंत्र चल रहा है उस परिप्रेक्ष

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धर्म , राजनीती में मीडिया की भूमिका एवं स्थिति (पहले/बाद में )

14 सितम्बर 2015
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देखिए न ,वैश्विकता और सामूहिकता के वृत्त सिकुड़ते ही चले जा रहे है और लगने लगा है की प्रगति की लोक अवधारणा पीछे चूत गयी है ! समय के केंद्र में जब 'धर्म"या "राजनीती" थी तब इस्थिति इतनी बुरी नहीं थी ,जितनी आज "अर्थ" के केंद्र में आने से हो गयी है !आज साडी दुर्नीति और जटिलता इसी के विभिन्न संयोजनों और अ

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वर्तमान परिप्रेक्ष में समाज की महत्वपूर्ण एवं सबसे छोटी इकाई बालपन का भविष्यव एवं वर्तमान परिसिथिया

14 सितम्बर 2015
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मनुष्य के मनुष्य बनने के संस्कार बालपन से हमें मिलते है !बचपन बहुत महत्व की चीज है ,मनुष्य के भविष्य की नीव बचपन पर ही आधारित होती है !पर हमारी मनुष्यता का यह बच्चा प्रातः सांय जो अपने बालपन में बहुविधा खेल से रूबरू हो सकता था ,ताकि उस से अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके ,लेकिन वह त. व. चैनलों से मुख

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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मायावी दृश्य

14 सितम्बर 2015
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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस नासमझी को और गहरा दिया है जीवन को अभिशप्त करने बालक कृत्यों के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बढ़ावा दिया है! मनुष्य विरासत में जो एक सहज कृतित्व प्राप्त हुआ था, वह अकारथ हो गया!

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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मायावी दृश्य

14 सितम्बर 2015
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हनितबोध को उपजने वाले मायावी दृश्य दूरदर्शन के परदे पर जब दीखते है तो लगता ह, हम देश की उस मनीषा के कल्पवृक्ष के मूल से कट गए और एक दूसरे प्रकार का मायावती कल्प वृक्ष हमारी वासना को विस्तार ही दे रहा है और हम असंतुष्ट हो, मृगतृञ्ष्णा के मायावी जाल में उलझ गए है और हर पल मरुस्थल हमारी कल्पना दृष्टि स

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भारतीय साहित्य से गहरा सम्बन्ध--

15 सितम्बर 2015
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नदी, पर्वत ,वन,और अन्नपूर्णा धरती से भारतीय साहित्य का घर सम्बन्ध रहा है क्योकिउसने प्रकृति से अपनी सहधेर्मिता और सहअस्तित्त्व को पहचाना है ! भारत की पहली कविता ही पशु-पक्षी के विरुद्ध जन्मिति !कवियों ने प्रकृति की हलकी से हलकी धड़कन और स्पंदन को महसूस किया है ! आदि कवि वाल्मीकि जानते है की कड़कड़ाती

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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इलेक्ट्रानिक मीडिया का गम्भी चिंतन एवं मनन

15 सितम्बर 2015
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एलेक्ट्रॉनिक्मधयम का हेर कार्यक्रम एक ऐसा आलोकमय हो ,जिसमे ज्ञान के अँधेरे से तककेरलेने की प्रबल क्षमता हो !अन्यथा देश की लोकसत्ता के चौथे स्तम्भ में मजबूती का सम्बल देने वाले इस माधयम का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा सुचना के साथ खिलवाड़ ,मत के साथ छद्म पण की ध्रस्टता बहुत सिद्ध हो सकती है !इलेक्ट्रानिक म

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इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की करुणा और दिशा का सही मूल्याङ्कन (विकास में हर स्तार पर महत्वपूर्ण योगदान)

15 सितम्बर 2015
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मीडिया रिपोर्ट में लिखा है की दूरदर्शन का प्राथमिक लक्ष्य शिक्षा के माध्यम से विकास करना ,सुचना देना और जाग्रति पैदा करना ,व्यापक जनता के िस्तर में सुधर करना,विभिन्न समाजो एवं समुदायों, क्षेत्रो एवं राज्यों के बीच में आपसी समझदरीएवं सहानुभूति पैदा करके एक राष्ट्र के रूप में संगठित करना इनकी जीवन की

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इलेक्ट्रानिक मीडिया की चुनौतियां

15 सितम्बर 2015
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चुनौती उपलब्धि का मार्ग नहीं है किन्तु संभावित खतरे का मुकाबला होता है और जब इस मुकाबले में जीत का आभास हो जाये तो निःसंदेह चोनौटी को स्वीकारने का अपना ही एक आंनद भी महसूस होने लगता है !क्षमता का बोध जब हो जाता है तो सफलता दूर की सीडी नहीं लगती ! क्योकि इलेक्ट्रानिक माधयम एक प्रभत्पादक माधयम है ,इस

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संभावित खतरे (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की चुनौती)

15 सितम्बर 2015
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इलेक्ट्रॉनिक माध्यम को उन सांचो को तोडना होगा जिन सांचो के रहते देश में ब्रास्तचार, अनाचार व दुराचार व्याप्त हुए है या निर्मित हुए है! अनुकरणीय सभ्यता व संस्कृति को पदचिन्ह ये देश फिर से कायम कर सके उस उज्वल अस्तित्व के निर्माण में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मद्यमो का रचना संसार बेहद प्रभावकारी सिद्ध हो सक

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विश्व मानव के समक्ष समस्याएं एवं समाधान (संभावनाए- सबसे बड़ी चुनौती)

15 सितम्बर 2015
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देश के समक्ष तथा विश्व मानव के समक्ष जो समस्सयाएं है उनके समाधान के लिए एक दृस्टि इस माध्यम द्वारा मिलनी हि चाहिए और यह कैसे संभव है ! यही इलेक्ट्रानिक माध्यम के समक्ष बहुत बड़ी चुनौती है !स्वतंत्र अभिव्यक्ति जिसमे विचारो के प्रवाह में कोई ठराव न आता हो इस तरह का सहस इलेक्ट्रानिक मीडिया को बटोरना ही

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संभावित खतरे-- इलेक्ट्रानिक माध्यमो की चुनौतियां

15 सितम्बर 2015
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सभावित खतरे के प्रति जीत का उत्साह तभी सभव हो सकता है जब आंनद व् शिक्षा प्रद मनोरंजन की प्रस्था भूमि में इलेक्ट्रानिक माधयम इस चुनौती को स्वीकार करेंगे ! इलेक्ट्रानिक माध्यम दृश्य श्रव्य माध्यम का संयुक्त रूप है ! दोनों पक्ष इस माध्यम में सामान महत्व के है ! इलेक्ट्रानिक माध्यम की एक राष्ट्रीय पहचान

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इलेक्ट्रॉनिक माध्यमो में विचारो की गुरुता (एक चुनौतीपूर्ण कार्य )

15 सितम्बर 2015
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अतीत की धरा पर पैर टीकाकार ही आकाश को चुने का प्रयास सार्थक हो सकता है !अतीत के मूलय हमें मानव सभ्यता की मुख्य धरा से जोड़ते है! अतीतं से जुड़कर ही इलेक्ट्रानिक माध्यम एक अनुभव सिद्ध व्यक्तित्व का स्थान ले सकता है! अतीत के मूल्य हमे मानव सभत ही मुख्या धरा से जोड़ते है! देश की साहित्यिक मनीषा से इलेक्ट्

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सायबर

11 दिसम्बर 2015
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 ग्रे हैत् हैकर् ----आ्म् तोर पर नैतिक लेकिन कभी -कभि हैकर् नैतिकता का उल्लंघन करती है ! स्ते एंड अलोन कंप्यूटर और सोफ्त्वर् नेट वर्क में है ! नेट वर्क हैकर्स् हासिल करने की कोशिश सिर्फ चुनौती या जी गया सा के लिए ,  निजी कंप्यूटर नेटवर्क के लिए उपयोग या वातावरण , इनफार्मेशन , चोरी , बदलने की क्षति क

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