मनुष्य के मनुष्य बनने के संस्कार बालपन से हमें मिलते है !
बचपन बहुत महत्व की चीज है ,मनुष्य के भविष्य की नीव बचपन पर ही आधारित होती है !पर हमारी मनुष्यता का यह बच्चा प्रातः सांय जो अपने बालपन में बहुविधा खेल से रूबरू हो सकता था ,ताकि उस से अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके ,लेकिन वह त. व. चैनलों से मुखातिब है और अपने हाथ में रिमोड कंट्रोल है!वह बार- बार दृश्य बदलता है ! और कही भी स्थिर नहीं रह पता है १ प्रत्येक क्षण विचलन उसकी जिन्दी का हिस्सा है ! और खेल के नाम पैर विडिओ खेल है !सिर्फ दिमाग और उसकी उन्लिया सक्रीय है बाकि सब बेकम ,हाथ ,पैर ,फेफड़े ,फुर्ती ,कौशल ,म्हणत --सब !
अख़बार की सुर्खिया दिमाग में है !आज की फिल्मे तेज और बेहया नाच गाने, मारधाड़ ,सेक्स ,शॉट्स ऽजुबे -कल्पनीय कारनामे !
बालपन बहुत उत्तेजित है !
क्रांति के नाम पैर 'सुचना क्रांति 'जिसका सबसे ज्यादा शिकार है --- बच्चा