वर्त्तमान परिदृश्य
हम आज जिस स्वतंत्र फ़िज़ा में जी रहे है,यह उस परंपरा से हमे जोड़ती ह,जिस परंपरा के हम उत्तराधिकारी है!उस परंपरा को जिस राष्ट्रपिता गांधी ने कायम किया,वाही वह परंपरा,हुमारीमार बलिदानी सहीदो की दें है! उन्ही शहीदो के बल पर यह देश आज़ाद हो सका है जो विरासत में हमें मिली है,उसी के अनुकूल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया