हम आज जिस स्वतंत्र फ़िज़ा में जी रहे है,यह उस परंपरा से हमे जोड़ती ह,जिस परंपरा के हम उत्तराधिकारी है!उस परंपरा को जिस राष्ट्रपिता गांधी ने कायम किया,वाही वह परंपरा,हुमारीमार बलिदानी सहीदो की दें है! उन्ही शहीदो के बल पर यह देश आज़ाद हो सका है जो विरासत में हमें मिली है,उसी के अनुकूल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को अपनी दशा एवं दिशा निर्धारण करना ही होगा! यह भोत गंभीर जिम्मेदारी है,जिसे जहा ईमानदारी से निभाना है,वाही अपने प्राचीन आदर्शो एवं सिधान्तो के प्रति निष्टावान रहकर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को देश के सर्वांगीण विकास के पथ पर,अपनीब दिशा एवं दिशा तय करनी होगी!क्युकी इस माध्यम की असरदार भूमिका अनुशासन और बेहतर साख ही इसकी मूल पहचान बन सकती है!