तेरी याद में
ज़िंदगी रोज़ जीते रहे
तेरी यादों में मरने के लिए
ख्वाहिशें बर्बाद लिए
इक दिन तुझसे मिलने के लिए
सोचा न था
कुछ यूं गुजरेंगे
ज़िंदा तेरी यादों में
तिल तिल कर मरेंगे
कौन खुशनसीब है
जिनके नसीब में
मुहब्बत लिखीं होंगी
भटकते रहे यूं ही
ताउम्र राहों में
लोग हमें सफ़र के तलबगार समझते रहे
बताते चलें वो कि
राहों में साथ साथ, सफ़र कटते गए
हम उनकी यादों को ताज़ा कर
तय दूरियों को करते गए
राहों में उनकी अदा देख
कुछ ऐसा लगा
सफ़र तो सफ़र रहा
मुश्किलों में पड़ा मंजिल
राह ही बेपनाह खूबसूरत रहा!
ज़िंदगी रोज़ जीते रहे
तेरी यादों में मरने के लिए
क्या ख़्वाब हैं!
मुकम्मल ना हुए
टूट गए कुछ ऐसे वो मुझसे
मिलने का फिर मौसम ना आया
बहुत हुए रुख
तेरे शहर की ओर
शामें,विरानें रही
बरसातें,मन का सूखा हर ना सकीं
बहुत याद और बहुत याद....
प्रियतम तुम आए!
नैनों की चुप्पी
मन की भटकन
उमस भरी ये गर्मी
कोई बात अब इस दिल को छू ले
ऐसी कोई तदबीर हाथ आ न सकीं
तुम याद में याद
और बहुत याद!
प्रियतम तुम आए....
ज़िंदगी रोज़ जीते रहे
इक दिन तेरी याद में
मर जाने के लिए !!
प्राची सिंह "मुंगेरी"