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"गीत"

6 सितम्बर 2021

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"गीत"


जब काली घटा नभ में छाए

और मन मयूर बन नृत्य करे।

पायल की तब झंकार उठे।

बनकर पवन तुम आजाना।


जब भी बसंत की बेला में।

बागों में हरियाली छाए।

कोयलिया मीठा स्वर छेड़े,

तब बनके सपन तुम आ जाना।।


पंछी भी शोर मचाए जब,

फूलों पर भंवरे मंडराएं।

हो मधुर मिलन को मन आतुर,

तब बनके तरंग तुम छा जाना।


जब भी प्रभात की बेला में,

 पूरब में लाली छा जाए।

मंदिर में शंख ध्वनि बाजे

तब बनके उमंग तुम आ जाना।


               अम्बिका झा ✍️

Poonam kaparwan

Poonam kaparwan

उत्कृष्ट लेखन

6 सितम्बर 2021

आंचल सोनी 'हिया'

आंचल सोनी 'हिया'

वाह वाह.. आपको पढ़ कर बिल्कुल ऐसा लगा मैं हिंदी साहित्य के कोई पुराने प्रसिद्ध साहित्यकार को पढ़ रही हूं। आप यूं ही लिखते रहिए।💐🙏🏻😊🙏🏻

6 सितम्बर 2021

Ambika Jha

Ambika Jha

6 सितम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद 🌹

Reeta Gupta

Reeta Gupta

बहुत सुंदर

6 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
"सच्ची दोस्ती"
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कभी कभी हम इंसानों को जीव जंतु भी बहुत कुछ सिखा जातें हैं।

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