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<div> हे सुधांशु ! कहां जा रहे हो? क्षण भर रूको जरा। कहते कहते दीनदयाल जी
<div>था खूबसूरत सा वो सफ़र</div><div>थीं खूबसूरत सी उसकी यादें</div><div>करते हैं याद तन्हाइयों में<
<div>दिन रात ध्यान तेरा ही करती हूं</div><div>प्यार तुझे ही बस करती हूं</div><div>सुना दे एक बार बंस