shabd-logo

गीत -- आलोक सिन्हा

20 जून 2017

159 बार देखा गया 159

रात ये तारों जड़ी है |

एक झरता है सितारा ,

एक झरता अश्रु खारा ,

कौन जाने है गरम , दोनों जलन किसकी बड़ी है |

बह रही शीतल पवन है ,

बावरी कैसी मगन है ,

एक मेरी प्रीत पागल मौन मन मारे पड़ी है |

जिन्दगी भर जो जले है ,

दीखते कितने भले हैं ,

बादलों की बूँद भी उन पर न भूले से पड़ी है |

भाग्य इनका और मेरा ,

एक सा उजला अँधेरा ,

एक जलने की घड़ी है , एक बझने की घड़ी है |

रेणु

रेणु

आदरणीय मंजरी जी --- आलोक जी कि ये हृदय स्पर्शी भावों से भरी रचना पढ़कर मन भावुक हो गया -------कौन जाने है गरम -- जलन किसकी बड़ी है ----- - एक जलने की घडी है एक बुझने की घडी है ----- बहुत खूब ---- आलोक जी को बहुत बधाई और शुभकामना ------

20 जून 2017

1

गीत ---आलोक सिन्हा

2 जून 2017
0
3
4

दूर हैं हमसे हमा

2

चार मुक्तक ----- अलोक सिन्हा

12 जून 2017
0
3
1

1 आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती , आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती | धन से हर

3

गीत ---- गोपालदास नीरज

14 जून 2017
0
2
1

धनियों के तो धन हैं लाखों ,मुझ निर्धन के धन बस तुम हो | कोई पहने माणिक माला , कोई लाल जडावे | कोई रचे महावर मेहदी , मुतियन मांग भरावे |सोने वाले , चांदी वाले , पानी वाले पत्थर वाले ,तन के तो सौ सौ सिंगार हैं , मन के आभूषण बस तुम हो | कोई ज

4

गीत -- आलोक सिन्हा

20 जून 2017
0
2
1

5

गीत --- आलोक सिन्हा

26 जून 2017
0
2
1

काग बोला है मुडेरी | क्या तुम्हें हम याद आये ,और तुमनें पग बढाये ,पर अभी टू

6

गीत -- अलोक सिन्हा

18 जून 2018
0
1
0

कब तक आशा –दीप जलाऊँ , इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ | जनम जनम से मन की राधा , खोज रही अपना मन भावन | तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की , रीत गया यह सारा जीवन

7

कविता

2 अक्टूबर 2018
0
3
1

गांधी बाबा के स्वराज में सुरा बहुत है राज नहीं है | राज बहुत खुलते हैं लेकिन खिलता यहां समाज नहीं है | यह देखो कैसी विडंबना राजनीति में नीति नहीं है और राजनैतिक लोगों को नैतिकता

8

गीत

20 जून 2019
0
3
0

शादी के बाद ससुराल से एक बेटी की अपनी माँ को भावनात्मकपाती -- गीत जिसकी रज ने गोद खिलाया , पैरों को चलना सिखलाया . जहाँ प्यार ही प्यारभरा था - वह आंगन बहुत याद आता है | सुबहसुबह आँखें खुलते ही , तेरा वहपावन सा चुम्बन | फिरदोनों बांहों में भरकर. हल

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए