रात ये तारों जड़ी है |
एक झरता है सितारा ,
एक झरता अश्रु खारा ,
कौन जाने है गरम , दोनों जलन किसकी बड़ी है |
बह रही शीतल पवन है ,
बावरी कैसी मगन है ,
एक मेरी प्रीत पागल मौन मन मारे पड़ी है |
जिन्दगी भर जो जले है ,
दीखते कितने भले हैं ,
बादलों की बूँद भी उन पर न भूले से पड़ी है |
भाग्य इनका और मेरा ,
एक सा उजला अँधेरा ,
एक जलने की घड़ी है , एक बझने की घड़ी है |