गांधी बाबा के स्वराज में सुरा बहुत है राज नहीं है |
राज बहुत खुलते हैं लेकिन खिलता यहां समाज नहीं है |
यह देखो कैसी विडंबना राजनीति में नीति नहीं है
और राजनैतिक लोगों को नैतिकता से प्रीत नैन है |
श्री गोपाल प्रसाद व्यास
2 अक्टूबर 2018
गांधी बाबा के स्वराज में सुरा बहुत है राज नहीं है |
राज बहुत खुलते हैं लेकिन खिलता यहां समाज नहीं है |
यह देखो कैसी विडंबना राजनीति में नीति नहीं है
और राजनैतिक लोगों को नैतिकता से प्रीत नैन है |
श्री गोपाल प्रसाद व्यास
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शिक्षा - एम.ए ( समाजशास्त्र ) माँ का घर
(लखनऊ ) ससुराल (बुलन्दशहर ) कार्य स्थल ( गजरौला मुरादाबाद ) रूचि - मुशायरे ,
कविसम्मेलन सुनना , भोजन में नये नये व्यंजन बनाना , आस पास सभी के दुःख सुख
बांटना |