दूर हैं हमसे हमारे |
अनगिनत तारे सजग हैं ,
पर सभी कितने अलग हैं,
जो तनिक दौड़े मिलन को , बुझ गये वे बेसहारे |
तुम नहीं तो हम नहीं हैं ,
और कुछ भी गम नहीं है ,
रम गये तुम में उसी दिन , जब मिले घूँघट उघारे |
कौन सी डोरी कसी है ,
भूलने में बेबसी है ,
नींद आती है सपन की , स्वप्न आते हैं तुम्हारे |
प्यार से सौ बार प्यारा ,
नाम ओठों पर तुम्हारा ,
मैं चला जाऊं कहीं भी , इस किनारे उस किनारे |
आलोक सिन्हा