जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी
काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें
बहाया अश्कों का सागर यादों में जिनके
काश़ वो आंसुओं के दो बूंद बहाये तो होतें
जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी
काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें
हमने सोंचा न था गम-ए-बयां लफ्जों से करेंगे
गर इस कदर इश्क़ में तुम"गालीब"बनाये न होते
जलता न दिल बारिश में भी...इस कदर युं
जो मैने आंखों में सावन बसायें ना होतें
जीन्हे भुलने में है हमने उम्र गुजारी
काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें
.... इंदर भोले नाथ