हैं वो ना-समझ “भगवन”जो तुझे पैसों से रिझावे हैं,
दुआ करोड़ों की माँगे,चन्द सिक्के चढ़ावे हैं…
जिसे ज़रूरत है रोटी की,उसे पानी न पिलावे हैं,
जो बना है पत्थरों का, उसे मेवा खिलावे हैं…
... इंदर भोले नाथ…
30 जून 2016
हैं वो ना-समझ “भगवन”जो तुझे पैसों से रिझावे हैं,
दुआ करोड़ों की माँगे,चन्द सिक्के चढ़ावे हैं…
जिसे ज़रूरत है रोटी की,उसे पानी न पिलावे हैं,
जो बना है पत्थरों का, उसे मेवा खिलावे हैं…
... इंदर भोले नाथ…
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नाम-इन्दर , पिता का नाम -भोले नाथ , मैं एक हिंदी लेखक हूँ I बचपन से ही मुझे ग़ज़लें-कवितायेँ-कहानियां और शेरो शायरी लिखने का शौक़ है I
मेरी लिखी ग़ज़लें-कवितायेँ-कहानियां और शेरो-शायरी मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित होती रहती हैं I
मेरा ब्लॉग पता :-
http://merealfaazinder.blogspot.in/