"गुलज़ार गली" भाग-१
hindi poem
"तुम्हे जाना तो खुद पे हमें तरस आ गया,
तमाम उम्र यूँही हम खुद को कोसते रहें"............
"गुलज़ार गली" यही नाम था उस गली का....
मैने कभी देखा नहीं था बस सुना था, हर किसी के ज़ुबान पे बस उसी गली की चर्चा रहती "गुलज़ार गली" |
तकरीबन डेढ़ महीना हुआ होगा मुझे यहाँ आए हुए, इस डेढ़ महीने मे ऐसा कोई भी दिन नहीं था, जिस दिन मैने उस गली का ज़िक्र न सुना हो | किसी न किसी के ज़ुबान से पूरे दिन मे 2 या 3 बार तो सुन ही लेता था उस गली का नाम "गुलज़ार गली" |
आख़िर क्या है उस गली मे आख़िर क्यों इतनी मशहूर है वो गली जो हर कोई उस गली की चर्चा करता रहता है |
मैने कभी किसी से पूछा नहीं,सोचा खुद ही किसी दिन जाकर देख लेंगे आख़िर क्या है उस गली में और क्यों इतनी मशहूर है वो गली |