नई ज़िंदगी मिल जाती है, उस रोज मैखाने में,
आब-ए-चश्म छलक जाते हैं जिस रोज पैमाने में...
.....इंदर भोले नाथ
26 जुलाई 2019
नई ज़िंदगी मिल जाती है, उस रोज मैखाने में,
आब-ए-चश्म छलक जाते हैं जिस रोज पैमाने में...
.....इंदर भोले नाथ
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नाम-इन्दर , पिता का नाम -भोले नाथ , मैं एक हिंदी लेखक हूँ I बचपन से ही मुझे ग़ज़लें-कवितायेँ-कहानियां और शेरो शायरी लिखने का शौक़ है I
मेरी लिखी ग़ज़लें-कवितायेँ-कहानियां और शेरो-शायरी मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित होती रहती हैं I
मेरा ब्लॉग पता :-
http://merealfaazinder.blogspot.in/