चाँद भी वही तारे भी वही..!
वही आसमाँ के नज़ारे हैं...!!
बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!
जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!
वही सडकें वही गलियाँ..!
वही मकान सारे हैं.......!!
खेत वही खलिहान वही..!
बागीचों के वही नज़ारे हैं...!!
बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!
जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!
... इंदर भोले नाथ…