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गायत्री उनको देखकर मुस्कुराई, फिर श्याम की तरफ देखकर पूछने लगी, “श्याम कल मुझे
कॉलेज छोड़ दोंगे? मेरी गाड़ी सर्विस के लिए गई हुई है,” “हाँ मुझे कल मैन रोड पर मिल जानाI” “थैंक्यू श्याम “I” और बबलू कैसे हो? इमरती कैसी है?” “ बस ठीक हूँ, गायत्री सुना है, तुम्हारी सगाई हो गई है?” हम्म !!!I
चलो, बधाई होI अब एक बार उसने
फिर दोनों को देखा और अपनी सहेली सुजाता के साथ स्टेडियम में सैर करने लगीI
“इस पर भी भगवान ने बड़ा ज़ुल्म किया हैI
मिट्टी लगाना ही
भूल गयाI इतनी पतली है कि ऐसे लगता है, बस जल्दी से पैक करकर ज़मीन पर भेज दियाI” श्याम ने मुँह बनाते हुए कहा, ” तू सही कह रहा हैI यार !! तू गायत्री
से सेटिंग कर लेता, बचपन से हम तीनो एक दूसरे को जानते हैI” यार !!! उसे मेरा पता चला तो मज़ाक उड़ाएगीI” “उसका मज़ाक कम उड़ता है, तुझे याद है, स्कूल में लड़के अपनी गर्लफ्रेंड को उसका पानी भी नहीं पीने देते थें कि कही उनकी माशूका की फिगर गायत्री जैसी न हो जाएI”
श्याम अब हँसाI बबलू बेंच से उठते
हुए बोला, “चल यार, मेरी तेरी तरह छुट्टी नहीं है, मुझे दुकान भी खोलनी हैI आज संडे है,
ग्राहक ज़्यादा
होंगेI “थोड़ी मदद करने आ जाइओ !!!”
“तेरी बेकरी की दुकान है, सुबह ही तो भीड़
होती हैI “अब साथ में एक छोटा
सा कमरा और लेकर खाने-पीने के लिए कैफ़े बना दिया हैI उसने गर्व से कहा
तो श्याम ने उसे देखकर हाथ हिला दियाI
गायत्री भी स्टेडियम से निकलकर अपनी सहेली के साथ घर की ओर जाने लगीI “तेरी और उस श्याम की जोड़ी सही रहती, तू भी प्रोफेसर, वो भी प्रोफेसरI “गायत्री ने मुँह बना दिया, इससे क्या होता
है, वह भी बाकी लड़को की तरह मेरा मज़ाक उड़ाता हैI” मैंने तो कभी नहीं देखा, उसेI “ “उसकी आँखे बताती
हैI” ज़्यादा पढ़ना भी बेकार हैI” सुजाता ने मुँह
बिचका लियाI
गायत्री घर पहुँच
गई, उसके बाबा ने उसे चाय पकड़ाते हुए कहा, “नहा धो ले,
फिर नाश्ता भी तैयार हैI” वह अपने कमरे में गई और बेड पर लेट गई और श्याम के बारे में सोचने लगीI ‘ उसे स्कूल से श्याम पसंद
था, मगर वो किताबों से घिरा
रहता, उसकी देखा देखी, मैं भी पढ़ने लग गईI कॉलेज में जाकर दोस्ती हुई तो तब भी उसे एक झिझक ही रहती, उसके दोस्त मेरे साथ देखकर उसे कहते,” क्या लीची के साथ जा रहा हैI खजूर जैसा हो जायेगाI फिर धीरे-धीरे वह मुझे अनदेखा करने लगाI आज हम दोनों के कॉलेज साथ-साथ ही है, मगर उसने कभी
नहीं कहा कि वह मेरे साथ चले, वो अलग बात है कि कभी किसी मज़बूरी में दोनों एक साथ चले जाते हैंI अब बाबा ने दोबारा
आवाज लगाई तो वह नहाने चली गईI
बाथरूम में नहाते समय, वह अपने आपको शीशे में देखते हुए बोली, “दिमाग के साथ थोड़ा बदन भी दे देते तो आपका क्या बिगड़ जाता, प्रभुI यह पैडेड ब्रा और
सिल्क की साड़ी पहनकर जाने से निशान पड़ते जा रहें हैंI अब तो मोटे होने
की दवाई भी नहीं खा सकती, अब अगर ज़्यादा सप्लीमेंट लिए तो डॉक्टर ने कहा है कि मासिक धर्म के चक्र पर बुरा असर पड़ेगाI उसने तौलिये से अपना बदन पोंछा और टी-शर्ट-पजामा
पहनकर बाहर आ गईI
शाम को श्याम बबलू की दुकान पर गया तो देखा, उसके छोटे से कैफ़े में भी काफी
भीड़ हैI उसकी बीवी इमरती समोसे, ब्रेड पकोड़े
बनाती है और चाव से उसका नौकर लोगों को परोसता है I श्याम उसके साथ बेकरी में बने कॉउंटर पर बैठ गया I
देखा!!! कितनी
अच्छी बीवी मिली हैI हर काम में बढ़िया है, हर काम में श्याम, हर काम में, मैं तो कहता हूँ कि किसी गॉंव की गौरी से ब्याह
कर लें, उनके लिए, उनका पति परमात्मा होता है, चाहे वो जैसा भी होI” “ओह !! परमात्मा
एक ढोकला खिला देंI” अब उसके नौकर ने
उसे एक ढोकला लाकर दियाI वह भी बबलू के ग्राहकों को सामान देने में मदद करने लगा,
तभी एक लड़की दुकान में आई और उसे देखकर पूछने लगी,
मैंने सुना है, आप यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर है?
सही सुना है ?
सर, क्या आप मुझे ट्यूशन पढ़ा देंगे ?
मैं ट्यूशन नहीं देताI
प्लीज !!! सर, प्लीज !!!
देखिए! मेरे पास इतना टाइम नहीं होताI उसने उसका केक पैक करते हुए कहाI
अब वह ग्राहक को एकतरफ करते हुए, उसकी तरफ आ गईI “सर मैं फ़ैल हो
जाऊँगी, प्लीज, पढ़ा दें, आप जो माँगेगे मैं देने के लिए तैयार हूँ,
अब वह उसकी शक्ल देखने
लगाI यह सुनकर बबलू भी उस लड़की की तरफ देखने लगाI