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अब उसने वहाँ रखें टिश्यू से अपने आंसू पोंछे और विकास को घर चलने के लिया कहा
I “थोड़ी देर और
रुकते है, “ “नहीं, मुझे अभी जाना है,
चलना है तो चलो वरना मैं अकेले जा रही हूँI” यह सुनकर, वह साथ चलने के
लिए तैयार हो गयाI “क्या हुआ, गायत्री”? उसने गाड़ी उसकी गली के
बाहर रोकते हुए पूछाI मैंने तुम्हारे दोस्तों की बात सुन ली थीI
उसने उसे घूरते
हुए कहाI वह अब झेंप गया,
मगर फिर उसे
समझाने लगा,
वो लोग मज़ाक रहें थेंI डे आर मैन जोक!!
मैन जोक हमेशा वुमन पर ही क्यों होते हैं!!! और कोई तुम्हारी मंगतेर पर कमेंट कर रहा था तो
तुम्हारे पास उनका मुँह बंद करने के लिए कुछ नहीं थाI
नहीं, क्योंकि मैं खुद चाहता हूँ कि तुम खाओ- पियो और अपनी सेहत पर ध्यान दोI
“देखो !!! समीर अभी भी वक्त है, तुम इस शादी से इंकार कर सकते हो, गुडनाइट!!” अब वह गाड़ी से निकली और अपने घर की तरफ जाने लगीI तभी उसकी नज़र गली में घूमती इमरती पर गई तो वह थोड़ा हैरान होते हुए बोलीI
भाभी आप? गली में क्या कर
रही हैI
हमने बबलू जी को कहा कि सैर करते हैं, मगर वह थक गए थें तो हम अकेले ही बाहर आ गएI
छत पर घूम लेतीI
क्यों यहाँ घूमना मना है, क्या ???
अरे !!! नहींI रात बहुत हो गई थीं इसलिए कह रही हूँI
फिर तुम भी हमारे साथ घूम लोI अब वह दोनों साथ में सैर करने लगेI
पार्टी मे गई थीं!!!!अच्छी लग रही होI
क्यों मज़ाक उड़ा रही हैI
नहीं, सही कह रहें हैंI अब गायत्री का उतरा हुआ मुँह देखकर वह बोली, “ देखो !!! दुनिया तो
कुत्ते की तरफ भोंकती रहेगी, तुम्हें जो अच्छा लगता है, वो करोI तुम्हारे पास जो
है, उस पर ध्यान दो, जो नहीं है, उस पर नहींI वैसे इतना पतले होने का
एक फायदा भी है कि सही उम्र का पता ही नहीं चलताI अब दोनों हँस पड़ीI
अच्छा चलती हूँ, “ इमरती जाने लगी तो उसने
उसे टोकते हुए कहा,
भाभी !! थैंक्स !
क्यों उम्मीद नहीं थी कि गॉंव की होकर इतनी समझदार बात कर लेती हूँI नहीं, ऐसी बात नहीं हैI वह झेंप गईI अच्छा गुडनाइट
!!!
अब इमरती ने उसे रोका, वह मुड़ी !!! “जी भाभी !!”
हमारा नाम इमरती है, इस नाम से बुलाऊँगी तो अच्छा लगेगाI वह मुस्करा दी, “गुडनाइट इमरती I”
श्याम घर में सोने के लिए बिस्तर पर लेटा तो उसके सामने गायत्री का
चेहरा आ गयाI स्कूल में सिर्फ एक वो ही थी जो मुझसे बात करने का मौका
ढूंढती थीं और मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगता था, मगर एक दिन मुझे
ज्योति अच्छी लगने लगीI आह!! ज्योति स्मार्ट, ब्यूटीफुल और सेक्सी हर लड़का उसके पीछे था, मगर वो किसी को
इतनी आसानी से घास नहीं डालती थींI
मैं पढ़ाई
में होशियार था, इसलिए मुझसे कुछ
ज़्यादा ही बात करती, नोट्स लेना, टूयशन साथ जानाI उसे मेरा गायत्री से बात करना पसंद नहीं था, इसलिए मैंने उसे
अनदेखा करना शुरू कर दियाI फिर सोचा उसे बारहवीं के बोर्ड के बाद प्रपोज़
कर दो, मगर फिर हुई, मेरे बाप उमेश बाबू गुप्ता की मौत !!! और
कर्ज़दारो की लम्बी लाइन घर के बाहर लग गईI अम्मा उनकी गालियां सुनने के लिए मुझे आगे कर
देती, कई कर्ज़दारो ने तो गुस्से में मेरी पिटाई भी कर दीं थींI
किसी तरह कह सुनकर, वे लोग इस बात के
लिए राज़ी हुए कि मकान के कागज़ दोI मकान गया तो फिर अम्मा मेरे पीछे पड़ गई, पढ़ लिख ले,
वरना सड़क पर आ
जायेंगेI उसके बाद, हर वक्त किताबें ही किताबेंI यहाँ तक कि बाथरूम में भी इन्हे साथ लेकर जाता थाI तभी तो पहली बार में ही नेट क्लियर कर लिया और
अठाइस साल की उम्र में यूनिवर्सिटी में लेक्चरर लग गया, लेकिन फिर एहसास
हुआ कि मेरा व्यक्तित्व इतना सिमट चुका है कि मैं यह भी भूल गया कि मैं एक आदमी
हूँ और मेरी भी कुछ ज़रूरतें हैI