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इमरती को वो दिन याद आए, जब वो दसवीं
कक्षा में पढ़ती थीं और मनोहर बारहवीं
कक्षा में पढ़ता था । वे दोनों गॉंव के दूसरे बच्चो के साथ घूमते, खेतों
की मुँडेर पर बैठे रहते, तालाब में तैरते और
खूब मस्ती करते । एक दिन मनोहर का बारहवीं का रिजल्ट आया तो उसने कहा, “ इमरती मैं अब शहर
जा रहा हूँ । वही से बी.ए. करूँगा । लेकिन छुट्टियों में गॉंव आता रहूँगा । यह सुनकर इमरती उदास हो गई, मगर मनोहर की आँखों में कुछ बनने के सपने को वह
देख पा रही है, इसलिए उसने उसे
हँसते-हँसते विदा किया । जब उसका बारहवीं का परीक्षा फल आने था तो उसने मनोहर ने
उसे भी श्हर चलने के लिए कहा,
मैं कैसे जाऊँगी?? मेरा कौन सा तुम्हारा तरह कोई चाचा रहता है??
अरे !!! वहां पर लड़कियाँ हॉस्टल में रहती है ।
बापू नहीं मानेंगे । तुम मुझसे ब्याह कर लो ।
अभी तो मैं कुछ कमाता भी नहीं हूँ ।
ब्याह करकर मुझे यही छोड़ जाना और बाद में आकर ले जाना ।
“कोशिश कर सकता हूँ, “ “अब उसने इमरती के होंठ चूम लिए।“ “ठीक है,” फिर ज़वाब में उसने भी उनके होठ चूम लिए, अब वह बेतहाशा
उसके होंठ चूमता रहा। फिर उसने उसके ब्लाउज में हाथ दिया और फिर दोनों खेतो में ही
एक दूसरे को चरम सुख का आनंद देने लगे। जब तक मनोहर गॉंव में रहता, दोनों एक दूसरे
में खोए रहते। उनका रिश्ता दोस्ती से आगे था, मगर प्यार तक
नहीं पहुँचा था । फिर एक दिन बबलू का रिश्ता आया और अम्मा-बापू ने पढ़ाई का सपना
दिखाया और मनोहर, मनोहर कहानियों की तरह हो
गया। अब अपने स्टेशन का नाम सुनकर वह उतर गई । उसने लड़कियों को पश्चिमी परिधान
में देखा तो उसकी भी ऐसे कपड़े पहनकर क्लॉस में जाने की इच्छा हुई
। “आज बबलू जी से बात करते हैं ।“
श्याम एक रेस्ट्रा में ज्योति से मिला, जीन्स और टी-शर्ट
पहने श्याम बहुत अच्छा लग रहा है । ज्योति तो उसे हमेशा से हर लिबास में अच्छी
लगती है । श्याम ने उससे पूछकर खाना आर्डर किया,
तुम्हे मेरी पसंद का हमेशा ख़्याल रहता है ।
क्यों नहीं, तुम मेरी दोस्त जो हो ।
काश !!!पापा का तबादला न हुआ होता तो हमारी दोस्ती और गहरी हो जाती । श्याम ने
सुना तो उसकी दिल में घंटियाँ बजने लगी ।
“जब जागो, तभी सवेरा ।“
ज्योति हँसी । अब उनका खाना आ गया तो वे
दोनों बात करते हुए खाना खाने लगे । खाना
खाने के बाद, दोनों रेस्ट्रा
से निकलकर मॉल घूमने लगे, तभी उसकी नजर एक
लड़की के साथ घूमते नकुल पर गई, “अरे !! बाप रे!!!
इसने मुझे देख लिया तो तान्या को बता देगा ।“ वह जल्दी से एक शर्ट खरीदने का कहकर, ज्योति को लेकर एक ऑउटलेट में घुस गया। वह शर्ट कम देख रहा है, ध्यान ज्यादा देख रहा है ।
मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम किसी से छुप रहें हो?
“नहीं, ऐसा तो नहीं है ।“
उसने सफाई दी । अब उसने देखा कि उस लड़की के साथ नकुल भी उसी ऑउटलेट में आ रहा है। वह शर्ट लेकर जल्दी से ट्रायल रूम
में घुस गया ।
वह अंदर आया, उसने अपने लिए
शर्ट देखी और ट्रायल रूम के अंदर जाने लगा, मगर दोनों ट्रायल
रूम तो अंदर से बंद है। अब वह एक-दो शर्ट
और देखने लगा। श्याम ने हल्का सा ट्रायल रूम का दरवाजा खोला और बाहर देखा तो नकुल
ऑउटलैट में ही है। अब ज्योति को अपनी तरफ
आते देखकर उसने दरवाजा बंद कर लिया। “श्याम!
अगर शर्ट ठीक लग रही है तो बाहर आ जाओ।“ अब नकुल वापिस ट्रायल रूम की तरफ आ गया। “मैडम
सही कह रही है, सर हमें भी चेंज
करना है।“ नकुल की आवाज सुनकर उसकी साँस ही रुक गई। “मैं तान्या को खोना नहीं
चाहता।“