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गायत्री कुछ सेकण्ड्स तक उसे घूरकर देखती रहीं, तभी वो लड़की बाहर आ गई तो उसने उससे मिलवाया, “प्रिया, इनसे मिलो, यह है, गायत्री मेरी मंगतेर।“ गायत्री यह है, “प्रिया मेरी राखी सिस्टर।“ प्रिया ने उससे हाथ मिलाया, गायत्री थोड़ा
झेंप गई पर उसके चेहरे पर अब भी विकास के लिए सवाल नज़र आ रहें हैं। अब वह धीरे से
गायत्री को बोला, “पहले शॉपिंग कर लें, फिर बताता हूँ।“
श्याम काफ़ी थक चुका है, उसके ऊपर फेस्ट
की जिम्मेदारी है, इसलिए हॉस्पिटल
की थकान से ज़्यादा उसे कॉलेज की थकान है। तभी अम्मा के कहने के बावजूद, वह कुछ खाए
बिना ही सो गया। शाम के साढ़े छह बजे अम्मा के चिल्लाने पर उसकी आँख खुली तो उसने
खाना खाया। अब नित्या भी पढ़ने के लिए आ गई। उसने उसे ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।
शॉपिंग के बाद, गायत्री, सुजाता, विकास और प्रिया पिज़्ज़ा हट में साथ बैठकर पिज़्ज़ा
खा रहें हैं। अब गायत्री ने सवाल किया,
विकास को कबसे राखी बाँध रही हो ?
जब हम स्कूल में थें, मेरा कोई भाई नहीं था तो एक दिन विकास ने मुझे
राखी बांधने के लिए कहा। अब मैं दो साल से पुणे में हूँ, मगर
इसे राखी भेजना नहीं भूलती।
इसलिए इसे शॉपिंग करवाकर राखी के पेंडिंग गिफ्ट दे रहा था। वैसे तुम यहाँ क्या
रही हो, गायत्री? हम तो डिनर पर
मिलने वाले थें?
गायत्री ने सुजाता की ओर देखा तो वह झेंप गई, मगर फिर कुछ सोचते हुए बोली, “अपनी सहेली सुजाता के साथ मैं भी शॉपिंग ही कर
रहीं थीं कि तभी तुम पर नज़र चली गई । अब विकास ने सुजाता को मुस्कुराकर देखा तो वह भी
मुस्कुराने लगी।
बबलू इमरती को घर लेकर आया, उसकी अम्मा ने उसे आराम से बिस्तर पर बिठाया और फिर दोनों मियाँ बीवी को अकेला छोड़कर वहाँ से चली गई। बबलू उसके पास बैठते
हुए बोला,
“मैं तो बहुत डर गया था।“ वह उसके गाल चूमने लगा
तो उसने उसे पीछे झटक दिया। “तुम्हें याद नहीं है कि डॉक्टर ने क्या कहा था? “ “डॉक्टर ने रिश्ता बनाने से मना किया है, चूमने
से नहीं।“ “अरे बेवकूफ आदमी। यह वायरस मेरे होंठो के ज़रिए तुममें आ जायेगा। समझे!!
इसलिए अब तुम दूसरे कमरे में सोना।“
बबलू ने उदास होकर कहा, “तीन महीने हुए
है, हमारी शादी को। पता है, कितना मुश्किल है, तुमसे
दूर रहना।“ “अगर ज़्यादा मुश्किल लग रहा है तो आ जाओ, इस बीमारी की चपेट में, पता चल जाएगा, जब बेकरी
में बैठने लायक भी नहीं रहोंगे।“ उसने चिढ़कर कहा तो वह भी बिदक गया। “ठीक है, तुम रह सकती हो तो मैं भी रह सकता हूँ।" वह
गर्व से कहते हुए, अपनी दुकान के लिए निकल गया। “जान छूटी!!” अब वह आँखे बंद करकर लेट गई।
ट्यूशन के बाद, श्याम ने नित्या को कहा कि वह अपनी एक्टिवा से उसे कैफ़े छोड़ देता है, उसने मना भी किया,
मगर फिर उसके बहुत कहने पर वह मान गई। ठीक
पंद्रह मिनट बाद, उसने उसे ब्लू कैफ़े के
बाहर छोड़ा तो वह उसे थैंक्स कहती हुई अंदर
चली गई। उसमें शीशे की खिड़कियाँ होने की वजह से वह कैफ़े के अंदर देख सका, कुछ लोग
खाना एन्जॉय कर रहें है तो एक तरफ कंप्यूटर रखे हैं, ताकि कोई काम
करना चाहे तो कर लें।
अब उसकी नज़र एक लड़की पर आकर ठहर गई। यह चेहरा तो जाना पहचाना लगता है। उसने अब
गौर से देखा तो वह कोई और नहीं बल्कि माधुरी है। यह यहाँ क्या कर रही हैं। आज मैं
इसे नहीं छोडूंगा , बड़ा बेवकूफ बनाया इसने।
वो तो मैंने ही बबलू को नहीं बताया, वरना यह मुझसे हज़ारों रुपए लूट चुकी है। अब वह
अपनी एक्टिवा को साइड में लगाने लगा कि तभी माधुरी कैफ़े से निकली और बाहर खड़े एक
ऑटो में सवार हो गई। उसने भी अपनी एक्टिवा उस ऑटो के पीछे लगा दीं।