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जब वह इमरती को दोबारा मारने लगा कि तभी श्याम ने उसे रोक लिया और गायत्री ने
इमरती को संभाल लिया। “क्या कर रहा है, यार!!! ? क्यों मार रहा है?”
“श्याम इस बदचलन औरत ने मुझे कही मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा, इसने मुझे धोखा
दिया है।“ अब उसने मनोहर और इमरती की हरकत बता दी फिर इमरती भी जोश में आ गई, उसने चिल्लाकर कहा, “मैंने कोई धोखा नहीं दिया, हम उससे प्यार करते हैं और उसी के साथ रहेंगे।“
अब बबलू उसे फिर मारने दौड़ा तो श्याम ने
उसे कसकर पकड़ लिया।
भैया !! छोड़ दीजिए, इस आदमी को हम भी तो देखे कि “कितना दम है, इस नामर्द में ।“
अब तीनों इमरती को घूरने लगें। श्याम ने भी बबलू पर अपनी पकड़ ढीली कर दीं।
“क्यों, कुछ गलत कह रहें हैं मोटे !! तू भैया को मेल कहता फिरता है, “ माफ़ करना भैया, हमने
आपकी बात सुन ली थीं।“ उसने श्याम की तरफ मुँह करकर कहा। अब बबलू की तरफ देखकर
दहाड़ी, “जबसे शादी करके आये हैं, हमे गाय और गँवार समझा हुआ है, तुझे परमात्मा
मानकर तेरे लिए समोसे तलते रहें तो तू खुश है, हमारी ख़ुशी का क्या। कभी हमसे पूछा है, एक पढ़ाई करनी थी तब भी तुझे भैया ने समझाया, मॉडर्न
कपड़े तू पहनने नहीं दे रहा था । कभी घुमाने तू नहीं लेकर गया। सुबह छह बजे से ग्यारह बजे तक सिर्फ बेकरी बेकरी। तेरे अंदर से इतनी बदबू आती है, हमे
पता है, तुझे बिस्तर पर कैसे झेलते थें, वजन तू कम नहीं करता, अरे !!! हमें दर्द नहीं होगा क्या, जब कोई सांड हमारे ऊपर चढ़ेगा तो??? वो तो भगवान का शुक है कि हमें यह बीमारी हो गई
और तुझसे हमारी जान छूटी।“ अब बबलू का सिर घूमने लगा। मगर इमरती अब भी बोले जा रही
हैं,
“तू काहे का मेन ? तू अपनी बीवी को इज़्ज़त
नहीं दे सकता, उसकी ख़ुशी नहीं समझ सकता,
उल्टा उसे अपना गुलाम मानकर उस पर हाथ
उठाना अपना हक़ समझता हो और जो बीवी की कमाई पर ऐश करें, उसके बलबूते पर अपना काम धंधा चलाए, वो है मेल।
समझा ।“ सही मायने में तो श्याम भैया मेन है, जो अपनी कमी की
बावजूद दूसरी लड़कियों को सिर्फ मज़े की चीज़
नहीं समझते। उन्हे पता है कि औरत मर्द के
बराबर नहीं है बल्कि उसे कही गुणा ऊँची है। अरे !! हम है, तभी तो तुम्हारा अस्तित्व है, वुमन से ही मेन निकलता है, ऐसा
मैंने नहीं, एक अंग्रेजी के लेखक ने कहा है। क्यों गायत्री, तुम्हे तो नाम पता
होगा। गायत्री उसकी बातें सुनकर उस पर गर्व कर रही है। अब इमरती की अम्मा आकर उस पर चिल्लाने लगी।
“ओह बुढ़िया चुप कर !!! आज दिमाग सटक गया है, हमारा। अगर इतना
बोझ लगते थें तो पैदा होते ही मार देते, इस मोटे के पल्ले क्या सोचकर बांधा। अब अपना
बिस्तर उठा और निकल यहाँ से ।“ मैं भी जा रही हूँ।“ वह अब अपने आंसू पोंछकर वहाँ
से निकल गई।“ गायत्री उसके पीछे गई, मगर उसने उसे आने से मना कर दिय । बबलू वही ज़मीन
पर बैठ गया। श्याम ने उसे संभालना चाहा तो उसने मना करते हुए वहां से जाने के लिए
कह दिया।
अब दोनों वापिस अपने घर की तरह चुपचाप
आ रहें हैं। वैसे इमरती सही कह रही थी, श्याम ने गायत्री
का मुँह ताका।
हाँ, बबलू की भी गलती है।
वो तुम्हारे बारे में सही कह रही थीं, इसलिए श्याम तुम
इस फोबिया से उभर जाओ कि तुम किसी औरत के लायक नहीं हूँ, हर लड़की तुम्हारा जैसा ही पति चाहेगी। अच्छा
सेक्स ज़िन्दगी का हिस्सा है, मगर ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए इससे कही ज़्यादा
चाहिए होता है। श्याम ने भी गायत्री को गौर से देखा। “तुमने अपने बारे में क्या
सोचा है? “ |मुझे राजीव माथुर ने शादी के लिए पूछा था।“
श्याम ने सुना तो उसका मुँह उतर गया
।
जब वह अपने घर पहुँचा तो उसने देखा कि
उसके घर के बाहर माधुरी खड़ी है।
माधुरी तुम?
तुमने मनीष की पुलिस में शिकायत की?
मुझे तुममें या तुम्हारे मनीष में कोई दिलचस्पी नहीं है।
अब वह रो पड़ी, घरवाले मुझे रोज़ दुत्कारते है। भाई तो कभी कभी मरता भी है। मनीष ने घर खरीदने के लिए चोरी की गाड़ियों वाला काम किया ताकि शादी के बाद,
हम वहां रह सकें । वरना वो इतना बुरा नहीं है, कोई उसे जेल से
नहीं छुड़वा रहा है। उसके अपने माँ बाप तो
बचपन में चल बसे थें और अब सब रिश्तेदारों
ने भी हाथ खड़े कर लिए हैं । वह रोती जा रही है।
अच्छा चलो, मेरे साथ ।
कहाँ ?
कभी तुमने मुझे उम्मीद दी थी आज मैं दे रहा हूँ।