यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है इस कहानी के पात्र या घटना अगर किसी से जुड़े हैं,तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा,इस कहानी का किसी के निजी जीवन से या किसी जाति - धर्म से कोई लेना - देना नहीं है यह कहानी सिर्फ पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी गई है।
एक बार की बात है एक गांव में तेजपाल नाम का एक व्यक्ति रहता था तेजपाल बहुत ही ईमानदार और मेहनती था वह जिस काम को करने की सोच लेता उसे पूरा किए बिना नहीं रुकता था परंतु वह बहुत गरीब था,वह अपनी गरीबी के कारण थोड़ा परेशान रहता था।
तेजपाल दिनभर मजदूरी करता और शाम को अपने और अपने परिवार के खाने के लिए आटा, दाल,चावल आदि की व्यवस्था कर लेता, तेजपाल के परिवार में उसकी पत्नी सरला और दो बच्चे थे।एक बेटा जिसका नाम चिंटू और दूसरी बेटी जिसका नाम रिंकी था।तेजपाल का घर ऐसा था की अगर बारिश या हवा तेजी से आ जाए तो उसकी छत टूट सकती थी उसका घर बहुत कमजोर था बारिश के मौसम में घर टपकता था वह अपने घर को सही करने की बहुत कोशिश करता पर उतने पैसे नहीं इकट्ठा कर पा रहा था वो जितना भी कमाता था वो सिर्फ अपने और अपने परिवार के पालन - पोषण के लिए ही होता था।
तेजपाल भगवान भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था वह हमेशा सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करने जाता उसके बाद भोलेनाथ को जल चढ़ाता तत्पश्चात कोई और काम करने की सोचता भोलेनाथ भी उसकी इस प्रतिभा को देखकर बहुत खुश थे,तेजपाल सोचता था की यह साल उसके लिए बहुत परेशानी भरा है शायद भोलेनाथ उसकी परीक्षा ले रहे है यह सोचते हुए वह सोचता है की शायद अगला साल उसके लिए अच्छा साबित हो वह जानता था की कभी न कभी उसकी भी किस्मत खुलेगी और उसको भी अच्छी जिंदगी जीने को मिलेगी यही सब सोच रहा था की उसकी पत्नी उसको खाना खाने के लिए बुलाती है वह जाता है और सभी साथ बैठकर खाना खाते है और ईश्वर का धन्यवाद करते है वह अच्छा बुरा हर एक काम ईश्वर की इच्छा समझकर करता था उसका भोलेनाथ पर अपार विश्वास देखकर उसकी पत्नी भी खुश थी वो जानती थी कि कभी न कभी उनका भाग्य खुलेगा ही,तत्पश्चात तेजपाल मजदूरी के लिए जाता है जहा उसको काम मिले और वह अपने परिवार के लिए खाने की व्यवस्था कर पाए।
वह इधर उधर मजदूरी करके शाम को थका हारा घर आता था और खाना खाकर सो जाता था ऐसे ही बहुत दिनो तक चलता रहा कुछ समय बीत गया अब तेजपाल को कोई काम करने के लिए नहीं बोल रहा था वह काम की तलास में इधर- उधर भटकता रहा पर उसको काम न मिल सका आज वह घर खाली हाथ आया उसकी पत्नी ने पूछा की आज आप कुछ राशन नहीं लाए तेजपाल अपनी पत्नी की ओर दुःख भरी निगाहों से देखता है और बोलता है आज मुझे कही काम नहीं मिला यह सुनकर पत्नी परेशान हो गई की अब सब खायेंगे क्या पर उसने अपने पति का साथ दिया और बोली कोई बात नहीं आज खाना नहीं खायेंगे तो क्या है,उसने सोचा जो कुछ खाना रखा है वह बच्चो को खिला के खुद खाली पेट सो जायेंगे।
यह सोचकर वह बच्चो को खाना खिला देते है और स्वयं बिना कुछ खाए ऐसे ही सो जाते हैं अगले दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार था तेजपाल सुबह उठकर स्नान करता है और फिर बेलपत्र आदि भोलेनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाता है और भोलेनाथ से मदद की गुहार लगाता है,पूजा पाठ के बाद वह काम की तलाश में निकलता है और आज फिर उसको सुबह से शाम तक कोई काम नहीं मिलता है और वह आज भी बिना कुछ लिए घर वापस आता है पत्नी को आज भी वही हाल बताता है और सभी परेशान हो जाते है उन्होंने पिछले दिन से कुछ नहीं खाया था उन सबको भूख लगी थी।
तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है तेजपाल दरवाजा खोलने जाता है,दरवाजे पर रवि होता है जोकि उसके पड़ोस में रहता है तेजपाल उसको अंदर बुलाता है और उससे पूछता है की बेटा क्या बात है तुम इतने टाइम कोई परेसनी है इतना पूछते ही रवि बोल पड़ता है नहीं कोई परेशानी नहीं है पिताजी ने आपको और आपके पूरे परिवार को आज रात्रि के महाशिवरात्रि के कार्यक्रम में आने को कहा है वहा कार्यक्रम के बाद भंडारे का भी प्रबंध है आप सब को आकर कार्यक्रम और भंडारे में शामिल होना है,इतना सुनते ही सबका चेहरा खिल उठा। तेजपाल बोलता है हम लोग आएंगे और फिर रवि चला जाता है कुछ देर बाद सभी तैयार होकर रात के कार्यक्रम के लिए निकलते है और वहा पहुंचकर सभी उसमे भाग लेते हैं!
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सभी भंडारे का आनंद लेते हैं और प्रसाद ग्रहण करके अपने घर के लिए वापस निकल जाते है घर पहुंचकर तेजपाल अपनी पत्नी से कहता है देखा हमने बोला था कि भोलेनाथ हमारी मदद जरूर करेंगे और हमे भोजन भी मिलेगा यह सुनकर उसकी पत्नी की आखों से आंसू निकल आए तेजपाल ने बोला की तुम रो क्यों रही हो तो उसकी पत्नी बोली मैने आपके जैसा महादेव का भक्त नहीं देखा आप का भोलेनाथ पर इतना विश्वास हम सभी खुश इसी वजह से है आपकी प्रार्थना को भोलेनाथ अवश्य सुनेंगे। इतना कहकर उसकी पत्नी बोलती है चलिए अब सो जाइए तेजपाल बोलता है हा ठीक है सो जाते हैं सुबह कही काम की तलाश में जाना होगा और काम ढूंढना होगा।
इतना कहकर सभी सोने के लिए जाते है और सो जाते हैं सुबह तेजपाल जल्दी उठता है और स्नान करके भोलेनाथ को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करता है और काम की तलाश में जाने के लिए अपनी पत्नी से बोलता है उसकी पत्नी बोलती है ठीक है जाइए पर आज कोशिश करके काम ढूंढ लेना और राशन ले आना हम सभी आपका इंतजार करेंगे इतना कहती है और तेजपाल नम आखों से राशन ले आयेंगे ऐसा बोलता है तेजपाल जानता था की सुबह से शाम तक खाना नहीं खायेंगे तो पत्नी तो परेशान होगी ही पर बच्चे सबसे ज्यादा परेशान होंगे यही सूचते हुए वह घर से निकलता है और हर एक जगह काम की तलाश करता है जहा - जहा उसको काम मिल सकता था पर उसको काम नहीं मिलता है वह परेशान होने लगता है की अगर आज काम नहीं मिला तो वह राशन कहा से ले जायेगा।