देखकर भी वो अनदेखा करते है,
तन्हायी जो मेरी सरेआम होती है |
जिनके बिना जि नही सकते,
उन्ही के हाथों में जिंदगी की लगाम होती है |
तोड़ देते है सपने वोही,
जिनसे उम्मीदें तमाम होती है |
कर देते है नजरंदाज वो खामोश चीखों को,
जो मुझे उसकी जरूरत का पैगाम होती है |
सबब ए इश्क और इम्तिहां में,
जिंदगी हराम होती है |
लाख कोशिश करलो रूठे यार को मनाने कि,
सारी की सारी नाकाम होती है |
तड़पती है, छटपटाती है जिंदगी,
ख़बर ही नही होती, कब सुबह और कब शाम होती है |
दगा देते है, रूलाते है,
फिर भी दिल में उनकी एहतराम होती है |
गुस्सा होते है, नाराज होते है,
पर हर एक दुआ उनकी खुशी के नाम होती है |