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हाल ए दिल बाय - योगेश धाकड़

2 मार्च 2016

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देखकर भी वो अनदेखा करते है,

तन्हायी जो मेरी सरेआम होती है |


जिनके बिना जि नही सकते,

उन्ही के हाथों में जिंदगी की लगाम होती है |


तोड़ देते है सपने वोही,
जिनसे उम्मीदें तमाम होती है |


कर देते है नजरंदाज वो खामोश चीखों को,
जो मुझे उसकी जरूरत का पैगाम होती है |


सबब ए इश्क और इम्तिहां में,
जिंदगी हराम होती है |


लाख कोशिश करलो रूठे यार को मनाने कि,
सारी की सारी नाकाम होती है |


तड़पती है, छटपटाती है जिंदगी,
ख़बर ही नही होती, कब सुबह और कब शाम होती है |


दगा देते है, रूलाते है,
फिर भी दिल में उनकी एहतराम होती है |


गुस्सा होते है, नाराज होते है,
पर हर एक दुआ उनकी खुशी के नाम होती है |

 - योगेश धाकड़ 

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AuthorYogeshDhakad
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( लेखक , पाठक , फोटोग्राफर , विद्यार्थी ) कहानियां , कविताएं , फोटोज और मेरे विचार

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