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यह हैं असली नायिकाएँ

29 जनवरी 2017

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यह हैं असली नायिकाएँ

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भंसाली का कहना है कि पद्मावती एक काल्पनिक पात्र है ।इतिहास की अगर बात की जाए तो राजपूताना इतिहास में चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का नाम बहुत ही आदर और मान सम्मान के साथ लिया जाता है। भारतीय इतिहास में कुछ औरतें आज भी वीरता और सतीत्व की मिसाल हैं जैसे सीता द्रौपदी संयोगिता और पद्मिनी। यह चारों नाम केवल हमारी जुबान पर नहीं आते बल्कि इनका नाम लेते ही जहन में इनका चरित्र कल्पना के साथ जीवंत हो उठते है। रानी पद्मिनी का नाम सुनते ही एक ऐसी खूबसूरत वीर राजपूताना नारी की तस्वीर दिल में उतर आती है जो चित्तौड़ की आन बान और शान के लिए 16000 राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर में कूद गई थीं।

आज भी रानी पद्मिनी और जौहर दोनों एक दूसरे के पर्याय से लगते हैं। इतिहास गवाह है कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के महल में प्रवेश किया था तो वो जीत कर भी हार चुका था क्योंकि एक तरफ रानी पद्मिनी को जीवित तो क्या मरने के बाद भी वो हाथ न लगा सका । लेकिन भंसाली तो रानी पद्मिनी नहीं पद्मावती पर फिल्म बना रहे हैं । बेशक उनके कहे अनुसार वो एक काल्पनिक पात्र हो सकता है लेकिन जिस काल खण्ड को वह अपनी फिल्म में दिखा रहे हैं वो कोई कल्पना नहीं है। जिस चित्तौड़ की वो बात कर रहे हैं वो आज भी इसी नाम से जाना जाता है।

जिस राजा रतनसिंह की पत्नी के रूप में रानी पद्मावती की " काल्पनिक कहानी " वे दिखा रहे हैं वो राजा रतन सिंह कोई कल्पना नहीं हमारे इतिहास के वीर योद्धा हैं। और 'लास्ट बट नौट द लीस्ट ' जो अलाउद्दीन खिलजी आपकी इस फिल्म में पद्मावती पर फिदा है उसके नाम भारतीय इतिहास का सबसे काला पन्ना और खुद मुग़ल इतिहास में सबसे क्रूर शासक के नाम से दर्ज है। तो सोचने वाली बात यह है कि यह कैसी काल्पनिक कहानी है जिसका केवल ' एक ' ही पात्र काल्पनिक है ? कोई भी कहानी या तो कल्पना होती है या सत्य घटना पर आधारित होती है । भंसाली शायद भूल रहे हैं कि यदि अतीत की किसी सत्य घटना में किसी कल्पना को जोड़ा जाता है तो इसी को 'तथ्यों को गलत तरीके से पेश करना ' या फिर 'इतिहास से छेड़छाड़ करना ' कहा जाता है।

चलो मान लिया जाए कि रानी पद्मावती एक काल्पनिक पात्र है लेकिन भंसाली शायद यह भी भूल गए कि काल्पनिक होने के बावजूद रानी पद्मावति एक भारतीय रानी थी जो किसी भी सूरत में स्वप्न में भी किसी क्रूर मुस्लिम आक्रमण कारी पर मोहित हो ही नहीं सकती थी। हमारे इतिहास की यह स्त्रियाँ ही हर भारतीय नारी की आइकान हैं । रानी पद्मिनी जैसी रानियाँ किसी पटकथा का पात्र नहीं असली नायिकाएँ हैं , वे किवदन्तियाँ नहीं हैं आज भी हर भारतीय नारी में जीवित हैं।

डॅा नीलम महेंद्र

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आम आदमी का नाम लेकर सरकार को ललकारना बन्द करो मैं एक आम आदमी हूँ और काफी समय से देश में जो चल रहा है उसे समझने की कोशिश कर रहा हूँ । सरकार द्वारा काला धन और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 1000 और 500 के नोट बन्द करने के फैसले से मुझे भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्ति की उम्म

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अनुशासन कि आड़ में कहीं शोषण तो नहीं भ्रष्टाचार जिसकी जड़ें इस देश को भीतर से खोखला कर रही हैं उससे यह देश कैसे लड़ेगा ? यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी अरसे बाद इस देश के बच्चे बूढ़े जवान तक में एक उम्मीद जगाई है। इस देश का आम आदमी भ्रष्टाचार और सिस्

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नवसंवत्सर एक नये सफर की शुरूआत

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7 जून 2017
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कश्मीर में शान्ति बहाली ही शहीदों को सच्ची श्रधांजलि होगी

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क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें “रावण को हराने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है ।“ विजयादशमी यानी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि जो कि विजय का प्रतीक है। वो विजय जो श्रीराम ने पाई थी रावण पर, वो रावण जो प्रतीक है बुराई का, अधर्म का ,अहम् का, अहंका

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जागरूक जनता ही करेगी स्वच्छ भारत का निर्माण

2 अक्टूबर 2017
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जागरूक जनता ही करेगी स्वच्छ भारत का निर्माण 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को अक्टूबर 2017 में तीन वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के मकसद की बात करें तो इसके दो हिस्से हैं, एक सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर साफ सफाई तथा दूसरा भारत के गाँवों को खुले

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न जयप्रकाश आंदोलन कुछ कर पाया न ही अन्ना आंदोलन

14 अक्टूबर 2017
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न जयप्रकाश आंदोलन कुछ कर पाया न ही अन्ना आंदोलन वीआईपी कल्चर खत्म करने के उद्देश्य से जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मई 2017 में वाहनों पर से लालबत्ती हटाने सम्बन्धी आदेश जारी किया गया तो सभी ने उनके इस कदम का स्वागत किया था लेकिन एक प्रश्न रह रह कर देश के हर नागरिक के मन मे

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क्यों न दिवाली कुछ ऐसे मनायें

16 अक्टूबर 2017
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क्यों न दिवाली कुछ ऐसे मनायें दिवाली यानी रोशनी, मिठाईयाँ, खरीददारी , खुशियाँ और वो सबकुछ जो एक बच्चे से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर मुस्कान लेकर आती है। प्यार और त्याग की मिट्टी से गूंथे अपने अपने घरौंदों को सजाना भाँति भाँति के पकवान बनाना नए कपड़े और पटाखों की खरीददारी

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क्या विश्व महाविनाश के लिए तैयार है

10 नवम्बर 2017
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क्या विश्व महाविनाश के लिए तैयार है अमेरीकी विरोध के बावजूद उत्तर कोरिया द्वारा लगातार किए जा रहे हायड्रोजन बम परीक्षण के परिणाम स्वरूप ट्रम्प और किम जोंग उन की जुबानी जंग लगातार आक्रामक होती जा रही है। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब जुलाई में किम जोंग ने अपनी इन्टरकाँ

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क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं?

17 नवम्बर 2017
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क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं? मैं वो भारत हूँ जो समूचे विश्व के सामने अपने गौरवशाली अतीत पर इठलाता हूँ। गर्व करता हूँ अपनी सभ्यता और अपनी संस्कृति पर जो समूचे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। अभिमान होता है उन आदर्शों पर जो हमारे समाज के महानायक हमें

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आखिर क्यों हम अपने बच्चों को नहीं बचा पा रहे

6 दिसम्बर 2017
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आखिर क्यों हम अपने बच्चों को नहीं बचा पा रहे 1 दिसंबर 2017,कोलकाता के जीडी बिरला सेन्टर फाँर एजुकेशन में एक चार साल की बच्ची के साथ उसी के स्कूल के पी टी टीचर द्वारा दुष्कर्म। 31 अक्तूबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोचिंग से लौट रही एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार। इसी साल सितंबर में रेहान

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क्या कभी नारी को गुस्सा आया है

17 दिसम्बर 2017
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क्या कभी नारी को गुस्सा आया है आज से पांच साल पहले 16 दिसंबर 2012 को जब राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दिल दहला देने वाला निर्भया काण्ड हुआ था तो पूरा देश बहुत गुस्से में था । अभी हाल ही में हरियाणा के हिसार में एक पाँच साल की बच्ची के साथ निर्भया कांड जैसी ही बरबरता की ग

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सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ

20 दिसम्बर 2017
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सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ "चिड़ियाँ नाल मैं बाज लड़ावाँ गिदरां नुं मैं शेर बनावाँ सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ" सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह द्वारा 17 वीं शताब्दी में कहे गए ये शब्द आज भी सुनने या पढ़ने वाले की आत्मा को

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क्या यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अपमान नहीं है

24 दिसम्बर 2017
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क्या यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अपमान नहीं है वर्तमान में चल रहे संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय लोकतंत्र की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा माफी की मांग पर सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा डालने का काम कर रही है। वैसे ऐसा पहली

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डूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे

29 दिसम्बर 2017
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डूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे पेड़ अपनी जड़ों को खुद नहीं काटता, पतंग अपनी डोर को खुद नहीं काटती, लेकिन मनुष्य आज आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ें और अपनी डोर दोनों काटता जा रहा है।काश वो समझ पाता कि पेड़ तभी तक आज़ादी से मिट्टी में ख

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क्या भंसाली निर्दोष हैं?

29 जनवरी 2018
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क्या भंसाली निर्दोष हैं? 26 जनवरी 2018, देश का 69 वाँ गणतंत्र दिवस, भारतीय इतिहास में पहली बार दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित, पूरे देश के लिए गौरव का पल, लेकिन अखबारों की हेडलाइन क्या थीं? समारोह की तैयारियाँ? विदेशी मेहमानों का आगमन और स्वागत? जी

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नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने वाला कौन है?

20 फरवरी 2018
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नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने वाला कौन है एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ देश के एक प्रमुख बैंक में 11400 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। लोग अभी ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि हीरों का व्यवसाय करने वाले नीरव

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क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?

7 मार्च 2018
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"हम लोगों के लिए स्त्री केवल गृहस्थी के यज्ञ की अग्नि की देवी नहीं अपितु हमारी आत्मा की लौ है, रबीन्द्र नाथ टैगोर।" 8 मार्च को जब सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत में भी "महिला दिवस" पूरे जोर शोर से मनाया जाता है और खासतौर पर जब 2018 में यह आय

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नई ऊर्जा के साथ नववर्ष का स्वागत करें

16 मार्च 2018
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नई ऊर्जा के साथ नववर्ष का स्वागत करें कर्नाटक में युगादि, तेलुगु क्षेत्रों में उगादि, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंधी समाज में चैती चांद, मणिपुर में सजिबु नोंगमा नाम कोई भी हो तिथि एक ही है चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा, हिन्दू पंचांग के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति का दिन, न

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नक्सलवाद को हराती सरकारी नीतियाँ

1 मई 2018
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नक्सलवाद को हराती सरकारी नीतियाँ 24 अप्रैल 2017 को जब "नक्सली हमले में देश के 25 जवानों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे" यह वाक्य देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, तो देशवासियों के जहन में सेना द्वारा 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की यादें ताजा हो गई थी

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कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है?

19 मई 2018
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कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है? चुनावों के दौरान चलने वाला सस्पेन्स आम तौर पर परिणाम आने के बाद खत्म हो जाता है लेकिन कर्नाटक के चुनावी नतीजों ने सस्पेन्स की इस स्थिति को और लम्बा खींच दिया है। राज्य में जो नतीजे आए हैं और इसके परिणामस्वरूप जो स्थिति निर्मित हुई है और

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जीवन जीने की कला है योग

21 जून 2018
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जीवन जीने की कला है योग"योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है, गीता "योग के विषय में कोई भी बात करने से पहले जान लेना आवश्यक है कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आदि काल में इसकी रचना, और वर्तमान समय में इसका ज्ञान एवं इसका प्रसार स्वहित

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देश देख रहा है

3 अगस्त 2018
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देश देख रहा है आज राजनीति केवल राज करने अथवा सत्ता हासिल करने मात्र की नीति बन कर रह गई है उसका राज्य या फिर उसके नागरिकों के उत्थान से कोई लेना देना नहीं है। यही कारण है कि आज राजनीति का एकमात्र उद्देश्य अपनी सत्ता और वोट बैंक की सुरक्षा सुनिश्चित करना रह गया है न कि र

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सीक्रेट्स ऑफ़ वूमेन एम्पावरमेंट

8 अगस्त 2018
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सीक्रेट्स ऑफ़ वूमेन एम्पावरमेंट

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क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

1 सितम्बर 2018
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क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प? क्या यह संभव है कि दुनिया की नजर में विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी कभी बेबस और लाचार हो सकता है? क्या हम कभी अपनी कल्पना में भी ऐसा सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति जो विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है, उसके साथ उस

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केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।

14 अक्टूबर 2018
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,केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।पुरानीयादें हमेशा हसीन और खूबसूरत नहीं होती। मी टू कैम्पेन के जरिए आज जब देश में कुछमहिलाएं अपनी जिंदगी के पुराने अनुभव साझा कर रही हैं तो यह पल निश्चित ही कुछपुरुषों के लिए उनकी नींदें उड़ाने वाले साबित हो रहे होंगे और कुछ अपनी सांसें थामकर बैठे होंगे। इति

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महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का ही समर्थन नहीं

1 नवम्बर 2018
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महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का हीसमर्थन नहीं मनुष्य की आस्था ही वो शक्ति होती है जो उसे विषम से विषम परिस्थितियों से लड़कर विजयश्री हासिल करने की शक्ति देती है। जब उस आस्था पर ही प्रहार करने के प्रयास किए जाते हैं, तो प्रयास्कर्ता स्वयं आग से खेल रहा होता है।क्योंकि वह यह भूल जाता है कि

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राष्ट्रवाद एक विवाद

5 नवम्बर 2018
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डॉ नीलम महेंद्र कृत“राष्ट्रवाद एक विवाद” में राष्ट्रवाद की सीमाओं का विश्लेषण डॉ नीलम महेंद्र कृत राष्ट्रवाद एक विवाद निश्चित हीएक महत्वपूर्ण कृति है कम से कम पठनीय एवं विचारणीय तो अवश्य ही है। इसचिंतन पटक कृति के आवरण पर पुस्तक के शीर्षक के साथ ही उसकी मूल विषय वस्तुको स्पष्ट करने वाला वाक्य राष्ट्

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क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

21 नवम्बर 2018
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क्या यह दबी चिंगारी को हवा देनेकी कोशिश है?अभीज्यादा दिन नहीं हुए थे जब सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने एक कार्यक्रम के दौरानपंजाब में खालिस्तान लहर के दोबारा उभरने के संकेत दिए थे। उनका यह बयान बेवजहनहीं था क्योंकि अगर हम पंजाब में अभी कुछ ही महीनों में घटित होने वाली घटनाओं परनजर डालेंगें तो समझ मे

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बांग्लादेश चुनाव परिणाम भाजपा के लिए केस स्टडी हो सकते हैं

4 जनवरी 2019
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बांग्लादेश चुनाव परिणाम भाजपाके लिए केस स्टडी हो सकते हैं वैसे तो आने वाला हर साल अपनेसाथ उत्साह और उम्मीदों की नई किरणें ले कर आता है, लेकिन यह सालकुछ खास है। क्योंकि आमतौर पर देश की राजनीति में रूचि न रखनेवाले लोग भी इस बार यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि 2019 में राजनीति का ऊँठ किस करवटबैठेगा। खास

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सामाजिक न्याय की तरफ एक ठोस कदम

15 जनवरी 2019
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सामाजिक न्याय की तरफ एक ठोस कदमभारत की राजनीति का वो दुर्लभदिन जब विपक्ष अपनी विपक्ष की भूमिका चाहते हुए भी नहीं नहीं निभा पाया और न चाहतेहुए भी वह सरकार का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गया, इसे क्या कहा जाए?कांग्रेस यह कह कर क्रेडिट लेनेकी असफल कोशिश कर रही है कि बिना उसके समर्थन के भाजपा इस बिल को

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महागठबंधन देश हित या स्वार्थ

26 जनवरी 2019
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महागठबंधन देश हित या स्वार्थ‘’मंजिल दूर है, डगर कठिन हैलेकिन दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते चलिए", कोलकाता मेंविपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन के लिए आयोजित ममता की यूनाइटिड इंडिया रैली में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का यहएक वाक्य "विपक्ष की एकता" और उसकी मजबूरी दोनों का ही बखानकरने के लिए काफी है।

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नए भारत का आगाज़

18 फरवरी 2019
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नए भारत का आगाज़ यह सेना की बहुत बड़ी सफलता है किउसने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाज़ी को आखिरकार मार गिराया हालांकिइस ऑपरेशन में एक मेजर समेत हमारे चार जांबांज सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए। देश इस समय बेहद कठिन दौर से गुज़र रहा है क्योंकि हमारे सैनिकों कीशहादत का सिलसिला लगातार जारी है। अभ

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न्यू इंडिया

18 फरवरी 2019
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न्यू इंडिया

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ट्रिपल तलक आस्था नही, अधिकारों की लड़ाई है ।

29 जुलाई 2019
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ट्रिपल तलक आस्था नही,अधिकारों की लड़ाई है ।ट्रिपल तलाक पर रोक लगाने काबिल लोकसभा से तीसरी बार पारित होने के बाद एक बार फिरचर्चा में है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ही इसे असंवैधानिक करार दे दिया था लेकिन इसे एक कानून का रूप लेने केलिए अभी और कितना इंतज़ार करना होगा यह तो समय ही बताएगा। क्योंकि

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केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिक मुक्ति अधूरी कोशिश होगी

29 सितम्बर 2019
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केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिकमुक्ति अधूरी कोशिश होगीवैसे तो विज्ञान के सहारे मनुष्यने पाषाण युग से लेकर आज तक मानव जीवन सरल और सुगम करने के लिए एक बहुत लंबासफर तय किया है। इस दौरान उसने एक से एक वो उपलब्धियाँ हासिल कीं जोअस्तित्व में आने से पहले केवल कल्पना लगती थीं फिर चाहे वो बिजली से चलने वालाबल्ब

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आपने स्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं

25 दिसम्बर 2019
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आपनेस्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं जब देश के पढ़े –लिखे बुद्धिजीवी लोग जिनमें कुछ डॉक्टर वकील, शिक्षक,प्रोफेसर, स्कूल कॉलेज के डायरेक्टर, पत्रकार, संपादक जैसे लोग सी ए ए और एन आर सी में अंतर समझे बिना मुस्लिम समुदाय को भृमित करने वाली बातें सोशल मीडिया मेंकथित

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कब तक सामने आते रहेंगे प्यारेमियाँ जैसे चरित्र ?

25 जुलाई 2020
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कब तक सामने आते रहेंगे प्यारेमियाँ जैसे चरित्र ? “हरचेहरेपर नकाबहै यहाँबेनकाबकोई चेहरानहींहर दामनमें दागहै यहाँबेदागकोई दामननहीं।यह अजीबशहर हैजहाँऔरत बेपर्दाकर दीजाती हैलेकिनसफेदपोशोंके नकाबकायम हैंयहाँ” मध्यप्रदेशकीराजधानीएकबारफिरकलंकितहुई।एकबारफिरसाबितहुआकिहमएकसभ्यसमाजहोनेकाकितनाभीढोंगकरेंलेकिनसत

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आदिवासी दिवस के बहाने अलगाववाद की राजनीति

3 अगस्त 2020
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आदिवासी दिवस के बहाने अलगाववाद कीराजनीति वैशविक परिदृश्य में कुछ घटनाक्रम ऐसेहोते हैं जो अलग अलग स्थान और अलग अलग समय पर घटित होते हैं लेकिन कालांतर में अगरउन तथ्यों की कड़ियाँ जोड़कर उन्हें समझने की कोशिश की जाए तो गहरे षड्यंत्र सामने आतेहैं। इन तथ्यों से इतना तो कहा ही जा सकता है कि सामान्य से लगने

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मौत में अपना अस्तित्व तलाशता मीडिया

3 सितम्बर 2020
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मौतमेंअपनाअस्तित्वतलाशतामीडियाआजकलजबटीवीऑनकरतेहीदेशकालगभगहरचैनल "सुशांत केस में नया खुलासा" या फिर "सबसे बडी कवरेज" नाम के कार्यक्रम दिन भर चलाता है तो किसी शायर के ये शब्द याद आ जाते हैं, "लहूकोहीखाकरजिएजारहेहैं,हैखूनयाकिपानी,पिएजारहेहैं।" ऐसालगताहैकिएकफिल्मीकलाकारमरतेमरतेइनचैनलोंकोजैसेजीवनदानदेगय

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क्या लोकतांत्रिक सरकार की यही कार्यशैली है ?

15 सितम्बर 2020
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महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है। जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटो के भीतर ही एक अभिनेत्री के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई उससे राज्य सरकार के लिए भी एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बचने के लिए भले ही शि

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वो यात्रा जो सफलता से अधिक संघर्ष बयाँ करती है।

19 सितम्बर 2020
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वो यात्रा जो सफलता से अधिक संघर्षबयाँ करती है।आज भारत विश्व में अपनी नई पहचान केसाथ आगे बढ़ रहा है। वो भारत जो कल तक गाँधी का भारत था जिसकी पहचान उसकी सहनशीलताथी,आज मोदी का भारत है जो खुद पहल करता नहीं, किसीको छेड़ता नहीं लेकिन अगर कोई उसे छेड़े तो छोड़ता भी नहीं। गाँधी के भारत से शायद हीकिसी ने सर्जिकल

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किसान मुद्दा क्या केवल विपक्ष जिम्मेदार है?

2 अक्टूबर 2020
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किसानमुद्दा क्या केवल विपक्ष जिम्मेदार है?ऐसापहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश कीसड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनोंको लेकर है। देखाजाए तो ब्रिटिश शासन काल

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बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में।

16 अक्टूबर 2020
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बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में।बिहारदेश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहाँ कोरोना महामारी के बीच चुनाव होने जारहे हैं और भारत शायद विश्व का ऐसा पहला देश। आम आदमी कोरोना से लड़ेगा औरराजनैतिक दल चुनाव। खास बात यह है कि चुनाव के दौरान सभी राजनैतिक दल एक दूसरेके खिलाफ लड़ेंगे लेकिन चुनाव के बाद अपनी

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बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशा तय करेगा।

26 दिसम्बर 2020
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बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशातय करेगा।बंगाल एक बार फिर चर्चा मेंहै। गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर,स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, औरोबिंदो घोष, बंकिमचन्द्र चैटर्जी जैसी महान विभूतियोंके जीवन चरित्र की विरासत को अपनी भूमि में समेटे यह धरती आज अपनी सांस्कृतिक धरोहरनहीं बल्कि अपनी हिंसक राजनीति के

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