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जम्मू और लद्दाख भारत में खुश हैं तो कश्मीर क्यों नहीं है

23 अगस्त 2016

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जम्मू और लद्दाख भारत में खुश हैं तो कश्मीर क्यों नहीं है "घर को ही आग लग गई घर के चिराग से " 8 जुलाई 2016 को कश्मीर के एक स्कूल के प्रिंसिपल का बेटा और हिजबुल मुजाहिदीन का दस लाख रुपए का ईनामी आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद से आज तक लगातार सुलगता कश्मीर कुछ ऐसा ही आभास कराता है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को मुद्दा बनाने के मकसद से घाटी में पाक द्वारा इस प्रकार की प्रायोजित हिंसा कोई पहली बार नहीं है। 15 अगस्त 1947 में भारत की आज़ादी के महज़ दो महीने के भीतर 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला करके अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। तब से लेकर आज तक कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं 1947 , 1965 ,और 1999 में कारगिल। आमने सामने की लड़ाई में हर बार असफल होने पर अब पाक इस प्रकार से बार बार पीठ पीछे वार करके अपने नापाक इरादों को सफल करने की असफल कोशिशों में लगा है । 12 अगस्त 2016 , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है। वह जम्मू कश्मीर के चार हिस्सों : जम्मू , कश्मीर घाटी , लद्दाख और पीओके में शामिल है और बातचीत में इन सभी को शामिल करना होगा । इससे पहले भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी इसी प्रकार का वक्तव्य दे चुके हैं । 22 अक्तूबर 1947 से इस बात को कहने के लिए इतने साल लग गए ।पहली बार भारत ने कश्मीर मुद्दे पर दिए जाने वाले अपने बयान में मूलभूत बदलाव किया है ।भारत सरकार ने पहली बार कश्मीर मुद्दे पर रक्षात्मक होने के बजाये आक्रामक शैली अपनाई हैarticle-image .प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर पाक को स्पष्ट रूप से यह सन्देश दे दिया है कि अब बात केवल पाक अधिकृत कश्मीर पर एवं घाटी में पाक द्वारा प्रयोजित हिंसा पर ही होगी .साथ ही बलूचिस्तान एवं पी ओ के में रहने वाले लोगों की दयनीय स्थिति एवं वहाँ होने वाले मानव अधिकारों के हनन के मुद्दे को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठा कर न सिर्फ भारतीय राजनीति में बल्कि पाक एवं वैश्विक स्तर पर भी राजनैतिक परिद्रश्य बदल दिया है . बीते अक्तूबर में यूनाइटेड नेशनस जनरल एसेम्बली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा था कि मुद्दा "पीओके " है न कि जम्मू कश्मीर। कश्मीर हमारे देश की जन्नत है भारत का ताज है और हमेशा रहेगा लेकिन क्यों आज तक हमने कभी अपने ताज के उस हिस्से के बारे में जानने की कोशिश नहीं करी जो पाकिस्तान के कब्जे में है ? हमारे अपने ही देश से कश्मीर में मानव अधिकार हनन का मुद्दा कई बार उठा है लेकिन क्या कभी एक बार भी राष्ट्रीय अथवा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पाक अधिकृत कश्मीर में मानव अधिकारों के हनन पर चर्चा हुई है ? इसे पाक सरकार की कूटनीतिक चातुरता और अब तक की भारतीय सरकारों की असफलता ही कहा जा सकता है कि पाक द्वारा लगातार प्रायोजित आतंकवाद , सीमा पर गोली बारी और घुसपैठ के कारण कश्मीर में होने वाली मासूमों की मौतों के बावजूद अन्तराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर एक मुद्दा है लेकिन पीओके पर किसी का कोई बयान नहीं आता , उसकी कोई चर्चा नहीं होती । दरअसल कश्मीर समस्या की जड़ को समझें तो शुरुआत से ही यह एक राजनैतिक समस्या रही है जिसे पंडित नेहरू ने यू एन में ले जाकर एक अन्तराष्ट्रीय समस्या में तब्दील कर दिया था । यह एक राजनैतिक उद्देश्य से प्रायोजित समस्या है जिसका हल राजनीति कूटनीति और दूरदर्शिता से ही निकलेगा। कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में स्वीकार किया है कि कुल दो प्रतिशत लोग हैं जो कश्मीर की आज़ादी की मांग करते हैं और अस्थिरता फैलाते हैं जबकि वहाँ का आम आदमी शांति चाहता है रोजगार चाहता है तरक्की चाहता है और अपने बच्चों के लिए एक सुनहरा भविष्य चाहता है।कहने की आवश्यकता नहीं कि यह दो प्रतिशत लोग वे ही हैं जो पाकिस्तान के छिपे एजेन्डे को ही आगे बढ़ा रहे हैं । प्रधानमंत्री मोदी ने सही कहा कि जिन हाथों में लैपटॉप होने चाहिए थे उनमें पत्थर थमा दिए अब उन हाथों से पत्थर छुड़ा कर लैपटॉप थमाने की राह निश्चित ही आसान तो नहीं होगी। कश्मीर भारत के उत्तरी इलाक़े का वो राज्य है जिसमें जम्मू , कश्मीर और लद्दाख आता है। यहाँ यह प्रश्न उठता है कि आज़ादी के बाद से ही जम्मू और लद्दाख भारत में खुश हैं तो कश्मीर क्यों नहीं है ? क्यों आज कश्मीर का उल् लेख भारत के एक राज्य के रूप में न होकर समस्या के रूप में होता है। क्यों आज कश्मीर की जब हम बात करते हैं तो विषय होते हैं आतंकवाद , राजनीति , कश्मीरी पंडित या लाइन आफ कंट्रोल पर होने वाली गोलाबारी ? article-imageवहाँ की खूबसूरती , वहाँ का पर्यटन उद्योग क्यों नहीं होता ? हम केवल अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले कश्मीर की बात करते आये हैं वो भी बैकफुट पर ! लेकिन क्या हमने कभी पाक अधिकृत कश्मीर की बात करी ? कश्मीर में आतंकवादियों तक के मानव अधिकारों की बातें तो बहुत हुई लेकिन क्या कभी पीओके अथवा तथाकथित आज़ाद कश्मीर में रहने वाले कश्मीरियों की हालत के बारे में हमने जानने की कोशिश की ? क्या हमने कभी यह जानने की कोशिश की कि कितना " आज़ाद " है ' आज़ाद कश्मीर ' ! हाल ही में ब्रिटिश थिंक टैंक "चथम हाउस " द्वारा पीओके में कराए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य निकल कर आया है कि वहाँ के 98% स्थानीय कश्मीरी पाकिस्तान में विलय नहीं चाहते हैं। कश्मीरी नागरिक अरीफ शहीद द्वारा उर्दू में लिखी उनकी पुस्तक "कौन आज़ाद कौन ग़ुलाम " में उन्होंने तथाकथित आज़ाद कश्मीरियों के दर्द को बखूबी प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार भारत में रहने वाले कश्मीरी आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से उसी प्रकार आज़ाद हैं जैसे भारत के किसी अन्य राज्य के लोग । किन्तु पाक अधिकृत कश्मीर में आने वाले गिलगित और बाल्टिस्तान के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। जहाँ भारत सरकार आज तक इस बात को सुनिश्चित करती है कि किसी भी दूसरे राज्य का व्यक्ति कश्मीर में रह नहीं सकता , वहाँ का नागरिक नहीं बन सकता , वहीं दूसरी ओर पीओके आतंक का अड्डा बन चुका है । वहाँ पर आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैम्प चलते हैं और वह लश्कर ए तैयबा का कार्य स्थल है।इन ट्रेनिंग कैम्पों के कारण वहाँ का स्थानीय नागरिक बहुत परेशान है ।उनमें से कुछ ने तो वहाँ से पलायन कर लिया है और भारत में शरणार्थी बन गए हैं । सबसे दुखद पहलू यह है कि 26/11 के आतंकवादी हमले को अंजाम देने वाला अजमल कसाब की ट्रेनिंग भी यहीं हुई थी । आज जब पश्चिमी मीडिया और भारतीय मीडिया के कुछ गिने चुने लोगों द्वारा पीओके की सच्चाई दुनिया के सामने आ रही है तो प्रश्न यह उठता है कि अगर अब तक इस मुद्दे की अनदेखी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था तो यह भारत के ख़िलाफ एक बहुत ही भयानक साजिश थी लेकिन यदि यह नादानी अथवा अ ज्ञान ता वश हुआ तो यह हमारी अत्यधिक अक्षमता ही कही जाएगी। पाकिस्तान द्वारा अन्तराष्ट्रीय मंचों पर बार बार कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग उठाई जाती रही है । उसकी इस मांग पर अखबारों एवं टीवी चैनलों पर अनेकों वाद विवाद हुए लेकिन यह भारतीय मीडिया एवं अब तक की सरकारों की अकर्मण्यता ही है कि आज तक 13 अगस्त 1948 के उस यू एन रेसोल्यूशन का पूरा सच देश के सामने नहीं रखा गया कि किसी भी प्रकार के जनमत संग्रह के बारे में 'सोचने ' से भी पहले पाकिस्तान को कश्मीर के उस हिस्से को खाली करना होगा। समस्या कोई भी हो हल निकाला जा सकता है आवश्यकता इच्छाशक्ति की होती है। यह सर्वविदित है कि कश्मीर मुद्दा पाक नेतृत्व के लिए संजीवनी बूटी का काम करता है इसी मुद्दे के सहारे वे सरकारें बनाते हैं और इसी के सहारे अपनी नाकामयाबियों से वहाँ की जनता का ध्यान हटाते हैं तो कश्मीर समस्या का हल पाक कभी चाहेगा नहीं , सबसे पहले इस तथ्य को भारत को समझना चाहिए । अत: इस समस्या का समाधान तो भारत को ही निकालना होगा। सबसे पहले भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान की रोटियाँ कश्मीर की आग से सिकनी बन्द हों । कुछ ऐसी कूटनीति करनी होगी कि जिस आग से वह अपना घर आज तक रोशन करता आया है , वही आग उसका घर जला दे । कश्मीर का राजनैतिक लाभ तो अब तक बहुत उठा लिया गया है अब समय है राजनैतिक हल निकाल कर अपने ताज के टूटे हुए हिस्से को वापस लाने का । डाँ नीलम महेंद्र

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आपनी असफलता सवालों से छुपाते हमारे नेता

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समाजवादी पार्टी की कलह पारिवारिक या राजनैतिक उप्र की राजनीति इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है । सत्ता की कुर्सी पर अखिलेश हैं लेकिन चाबी मुलायम सिंह के पास है। यह सत्ता की लड़ाई तो है ही पर विचारों की लड़ाई भी है । जहाँ एक तरफ अखिलेश को अपने काम और वि

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भारत को असली ख़तरा आतंकवादियों से नहीं उनके मददगारों से है दीपावली की रात जेल से भागे 8 आतंकवादी जो कि प्रतिबंधित संगठन सिमी से ताल्लुक रखते थे उन्हें मध्यप्रदेश पुलिस 8 घंटे के भीतर मार गिराने के लिए बधाई की पात्र है । बधाई स्थानीय लोगों को भी जिन्होंने पुलिस की मदद कर के देशभक्ति का परिचय देते ह

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नये भारत की नींव लोकमंथन "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी "! आगामी 12 ,13 ,14 नवंबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकमंथन कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है।जैसा कि इस आयोजन का नाम अपने विषय में स्वयं ही बता रहा है लोक के साथ मंथन ।किसी भी समाज की उन्नति में विच

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आम आदमी का नाम लेकर सरकार को ललकारना बन्द करो मैं एक आम आदमी हूँ और काफी समय से देश में जो चल रहा है उसे समझने की कोशिश कर रहा हूँ । सरकार द्वारा काला धन और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 1000 और 500 के नोट बन्द करने के फैसले से मुझे भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्ति की उम्म

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अगर बदलाव लाना है तो कानून नहीं सोच बदलनी होगी

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अगर बदलाव लाना है तो कानून नहीं सोच बदलनी होगी नोट बंदी के फैसले को एक पखवाड़े से ऊपर का समय बीत गया है बैंकों की लाइनें छोटी होती जा रही हैं और देश कुछ कुछ संभलने लगा है। जैसा कि होता है , कुछ लोग फैसले के समर्थन में हैं तो कुछ इसके विरोध में स्वाभाविक भी है किन्तु सम

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क्यों न स्त्री होने का उत्सव मनाया जाए

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स्त्री ईश्वर की एक खूबसूरत कलाकृति ! यूँ तो समस्त संसार एवं प्रकृति ईश्वर की बेहतरीन रचना है किन्तु स्त्री उसकी अनूठी रचना है , उसके दिल के बेहद करीब । इसीलिए तो उसने उसे उन शक्तियों से लैस करके इस धरती पर भेजा जो स्वयं उसके पास हैं मसलन प्रेम एवं ममता से भरा ह्दय ,

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“हम भारत के लोग “ और नेताओं के बीच यह अंतर क्यों

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“हम भारत के लोग “ और नेताओं के बीच यह अंतर क्योंलोकतंत्र में देश की प्रजा उसका शरीर होती हैलोकतंत्र उसकी आत्मा जबकि लोगों के लिए , लोगों के ही द्वारा चुनी गई सरकार उस देश का मस्तिष्क होता है उसकी बुद्धि होती है । यह लोगों द्वारा चुनी ह

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नेता जी ने शायद ऐसा अन्त तो नहीं सोचा होगा देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली राजनैतिक परिवार में कुछ समय से चल रहा राजनैतिक ड्रामा लगभग अपने क्लाइमैक्स पर पहुंच ही गया ( कुछ कुछ फेरबदल के साथ )। दरअसल यू पी के होने वाले चुनावों और मुलायम सिंह की छ

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अनुशासन कि आड़ में कहीं शोषण तो नहीं भ्रष्टाचार जिसकी जड़ें इस देश को भीतर से खोखला कर रही हैं उससे यह देश कैसे लड़ेगा ? यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी अरसे बाद इस देश के बच्चे बूढ़े जवान तक में एक उम्मीद जगाई है। इस देश का आम आदमी भ्रष्टाचार और सिस्

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कई सच छुपाए गए तो कई अधूरे बताए गए

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क्या यह पूरा न्याय है 'व्यापम' अर्थात व्यवसायिक परीक्षा मण्डल, यह उन पोस्ट पर भर्तियाँ या एजुकेशन कोर्स में एडमिशन करता है जिनकी भर्ती मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता है जैसे मेडिकल इंजीनियरिंग पुलिस नापतौल इंस्पेक्टर शिक्षक आदि। साल भर पूरी मेहनत से पढ़कर बच्चे इस परीक्षा को एक बेहतर भविष्

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यह कैसी पढ़ाई है और ये कौन से छात्र हैं

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1 अप्रैल 2017
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सुख की खोज में हमारी खुशी कंहीं खो गई ताजा ग्लोबल हैप्पीनैस इंडैक्स में 155 देशों की सूची में भारत 122 स्थान पर है । भारत जैसा देश जहाँ की आध्यात्मिक शक्ति के वशीभूत विश्व भर के लोग शांति की तलाश में खिंचे चले आते हैं , उस देश के लिए यह रिपोर्ट न सिर्फ चौकाने वाली है बल

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विरोध का गिरता स्तर गोवध

1 जून 2017
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विरोध का गिरता स्तर गोवध किसी भी राज्य या फिर राष्ट्र की उन्नति अथवा अवनति में राजनीति की एक अहम भूमिका होती है। मजबूत विपक्ष एवं सकारात्मक विरोध की राजनीति विकास के लिए आवश्यक भी हैं लेकिन केवल विरोध करने के लिए विरोध एवं नफरत की राजनीति जो हमारे देश में आज कुछ लोग कर

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क्यों न फिर से निर्भर हो जाए

7 जून 2017
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क्यों न फिर से निर्भर हो जाए आज की दुनिया में हर किसी के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक माना जाता है। स्त्रियाँ भी स्वावलंबी होना पसंद कर रही हैं और माता पिता के रूप में हम अपने बच्चों को भी आत्मनिर्भर होना सिखा रहे हैं। इसी कड़ी में आज के इस बदलते परिवेश में हम लोग प्ल

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आहार से उपजे विचार ही शिशु के व्यक्तित्व को बनाते हैं

19 जून 2017
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आहार से उपजे विचार ही शिशु के व्यक्तित्व को बनाते हैं क्या मनुष्य केवल देह है या फिर उस देह में छिपा व्यक्तित्व? यह व्यक्तित्व क्या है और कैसे बनता है? भारत सरकार के आयुष मन्त्रालय द्वारा हाल ही में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जिसमें कहा गया है कि गर्

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कश्मीर में शान्ति बहाली ही शहीदों को सच्ची श्रधांजलि होगी

25 जुलाई 2017
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कश्मीर में शान्ति बहाली ही शहीदों को सच्ची श्रधांजलि होगी 26 जुलाई 2017, 18 वाँ कारगिल विजय दिवस वो विजय जिसका मूल्य वीरों के रक्त से चुकाया गया, वो दिवस जिसमें देश के हर नागरिक की आँखें विजय की खुशी से अधिक हमारे सैनिकों की शहादत के लिए सम्मान में नम होती हैं । 1999 क

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आजादी आपनी सोच में लायें

31 जुलाई 2017
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आजादी आपनी सोच में लायें भारत हर साल 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। यह दिन जहां हमारे आजाद होने की खुशी लेकर आता है वहीं इसमें भारत के खण्ड खण्ड होने का दर्द भी छिपा होता है। वक्त के गुजरे पन्नों में भारत से ज्यादा गौरवशाली इतिहास किसी भी देश का नहीं हुआ। लेक

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क्यों हम बेटियों को बचाएँ

9 अगस्त 2017
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“मुझे मत पढ़ाओ , मुझे मत बचाओ,, मेरी इज्जत अगर नहीं कर सकते ,तो मुझे इस दुनिया में ही मत लाओमत पूजो मुझे देवी बनाकर तुम,मत कन्या रूप में मुझे 'माँ' का वरदान कहोअपने अंदर के राक्षस का पहले तुम खुद ही संहार करो।“ एक बेटी का दर्द चंडीगढ़ की स

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खुशियों का फैसला

24 अगस्त 2017
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खुशियों का फैसला जो भावना मानवता के प्रति अपना फर्ज निभाने से रोकती हो क्या वो धार्मिक भावना हो सकती है? जो सोच किसी औरत के संसार की बुनियाद ही हिला दे क्या वो किसी मजहब की सोच हो सकती है? जब निकाह के लिए लड़की का कुबूलनामा जरूरी होता है तो तलाक में उसके कुबूलनामे को अ

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जनता तो भगवान बनाती है साहब लेकिन शैतान आप

28 अगस्त 2017
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जनता तो भगवान बनाती है साहब लेकिन शैतान आप 13 मई 2002 को एक हताश और मजबूर लड़की, डरी सहमी सी देश के प्रधानमंत्री को एक गुमनाम ख़त लिखती है। आखिर देश का आम आदमी उन्हीं की तरफ तो आस से देखता है जब वह हर जगह से हार जाता है। निसंदेह इस पत्र की जानकारी उनके कार्याल

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३५ए जैसे दमनकारी कानूनों का बोझ देश क्यों उठाए

4 सितम्बर 2017
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35A जैसे दमनकारी कानूनों का बोझ देश क्यों उठाए भारत का हर नागरिक गर्व से कहता कि कश्मीर हमारा है लेकिन फिर ऐसी क्या बात है कि आज तक हम कश्मीर के नहीं हैं? भारत सरकार कश्मीर को सुरक्षा सहायता संरक्षण और विशेष अधिकार तक देती है लेकिन फिर भी भारत के नागरिक के कश्मीर में क

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साहब भारत इसी तरह तो चलता है

17 सितम्बर 2017
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साहब भारत इसी तरह तो चलता है वैसे तो भारत में राहुल गाँधी जी के विचारों से बहुत कम लोग इत्तेफाक रखते हैं (यह बात 2014 के चुनावी नतीजों ने जाहिर कर दी थी) लेकिन अमेरिका में बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में जब उन्होंने वंशवाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में "भारत इसी तरह चलता है " कहा,

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क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें

23 सितम्बर 2017
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क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें “रावण को हराने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है ।“ विजयादशमी यानी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि जो कि विजय का प्रतीक है। वो विजय जो श्रीराम ने पाई थी रावण पर, वो रावण जो प्रतीक है बुराई का, अधर्म का ,अहम् का, अहंका

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जागरूक जनता ही करेगी स्वच्छ भारत का निर्माण

2 अक्टूबर 2017
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जागरूक जनता ही करेगी स्वच्छ भारत का निर्माण 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को अक्टूबर 2017 में तीन वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के मकसद की बात करें तो इसके दो हिस्से हैं, एक सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर साफ सफाई तथा दूसरा भारत के गाँवों को खुले

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न जयप्रकाश आंदोलन कुछ कर पाया न ही अन्ना आंदोलन

14 अक्टूबर 2017
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न जयप्रकाश आंदोलन कुछ कर पाया न ही अन्ना आंदोलन वीआईपी कल्चर खत्म करने के उद्देश्य से जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मई 2017 में वाहनों पर से लालबत्ती हटाने सम्बन्धी आदेश जारी किया गया तो सभी ने उनके इस कदम का स्वागत किया था लेकिन एक प्रश्न रह रह कर देश के हर नागरिक के मन मे

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क्यों न दिवाली कुछ ऐसे मनायें

16 अक्टूबर 2017
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क्यों न दिवाली कुछ ऐसे मनायें दिवाली यानी रोशनी, मिठाईयाँ, खरीददारी , खुशियाँ और वो सबकुछ जो एक बच्चे से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर मुस्कान लेकर आती है। प्यार और त्याग की मिट्टी से गूंथे अपने अपने घरौंदों को सजाना भाँति भाँति के पकवान बनाना नए कपड़े और पटाखों की खरीददारी

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क्या विश्व महाविनाश के लिए तैयार है

10 नवम्बर 2017
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क्या विश्व महाविनाश के लिए तैयार है अमेरीकी विरोध के बावजूद उत्तर कोरिया द्वारा लगातार किए जा रहे हायड्रोजन बम परीक्षण के परिणाम स्वरूप ट्रम्प और किम जोंग उन की जुबानी जंग लगातार आक्रामक होती जा रही है। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब जुलाई में किम जोंग ने अपनी इन्टरकाँ

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क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं?

17 नवम्बर 2017
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क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं? मैं वो भारत हूँ जो समूचे विश्व के सामने अपने गौरवशाली अतीत पर इठलाता हूँ। गर्व करता हूँ अपनी सभ्यता और अपनी संस्कृति पर जो समूचे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। अभिमान होता है उन आदर्शों पर जो हमारे समाज के महानायक हमें

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आखिर क्यों हम अपने बच्चों को नहीं बचा पा रहे

6 दिसम्बर 2017
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आखिर क्यों हम अपने बच्चों को नहीं बचा पा रहे 1 दिसंबर 2017,कोलकाता के जीडी बिरला सेन्टर फाँर एजुकेशन में एक चार साल की बच्ची के साथ उसी के स्कूल के पी टी टीचर द्वारा दुष्कर्म। 31 अक्तूबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोचिंग से लौट रही एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार। इसी साल सितंबर में रेहान

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क्या कभी नारी को गुस्सा आया है

17 दिसम्बर 2017
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क्या कभी नारी को गुस्सा आया है आज से पांच साल पहले 16 दिसंबर 2012 को जब राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दिल दहला देने वाला निर्भया काण्ड हुआ था तो पूरा देश बहुत गुस्से में था । अभी हाल ही में हरियाणा के हिसार में एक पाँच साल की बच्ची के साथ निर्भया कांड जैसी ही बरबरता की ग

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सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ

20 दिसम्बर 2017
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सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ "चिड़ियाँ नाल मैं बाज लड़ावाँ गिदरां नुं मैं शेर बनावाँ सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ" सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह द्वारा 17 वीं शताब्दी में कहे गए ये शब्द आज भी सुनने या पढ़ने वाले की आत्मा को

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क्या यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अपमान नहीं है

24 दिसम्बर 2017
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क्या यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अपमान नहीं है वर्तमान में चल रहे संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय लोकतंत्र की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा माफी की मांग पर सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा डालने का काम कर रही है। वैसे ऐसा पहली

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डूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे

29 दिसम्बर 2017
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डूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे पेड़ अपनी जड़ों को खुद नहीं काटता, पतंग अपनी डोर को खुद नहीं काटती, लेकिन मनुष्य आज आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ें और अपनी डोर दोनों काटता जा रहा है।काश वो समझ पाता कि पेड़ तभी तक आज़ादी से मिट्टी में ख

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क्या भंसाली निर्दोष हैं?

29 जनवरी 2018
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क्या भंसाली निर्दोष हैं? 26 जनवरी 2018, देश का 69 वाँ गणतंत्र दिवस, भारतीय इतिहास में पहली बार दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित, पूरे देश के लिए गौरव का पल, लेकिन अखबारों की हेडलाइन क्या थीं? समारोह की तैयारियाँ? विदेशी मेहमानों का आगमन और स्वागत? जी

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नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने वाला कौन है?

20 फरवरी 2018
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नीरव मोदी को नीरव मोदी बनाने वाला कौन है एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ देश के एक प्रमुख बैंक में 11400 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। लोग अभी ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि हीरों का व्यवसाय करने वाले नीरव

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क्यों ना इस महिला दिवस पुरुषों की बात हो ?

7 मार्च 2018
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"हम लोगों के लिए स्त्री केवल गृहस्थी के यज्ञ की अग्नि की देवी नहीं अपितु हमारी आत्मा की लौ है, रबीन्द्र नाथ टैगोर।" 8 मार्च को जब सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत में भी "महिला दिवस" पूरे जोर शोर से मनाया जाता है और खासतौर पर जब 2018 में यह आय

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नई ऊर्जा के साथ नववर्ष का स्वागत करें

16 मार्च 2018
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नई ऊर्जा के साथ नववर्ष का स्वागत करें कर्नाटक में युगादि, तेलुगु क्षेत्रों में उगादि, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंधी समाज में चैती चांद, मणिपुर में सजिबु नोंगमा नाम कोई भी हो तिथि एक ही है चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा, हिन्दू पंचांग के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति का दिन, न

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नक्सलवाद को हराती सरकारी नीतियाँ

1 मई 2018
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नक्सलवाद को हराती सरकारी नीतियाँ 24 अप्रैल 2017 को जब "नक्सली हमले में देश के 25 जवानों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे" यह वाक्य देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, तो देशवासियों के जहन में सेना द्वारा 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की यादें ताजा हो गई थी

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कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है?

19 मई 2018
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कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है? चुनावों के दौरान चलने वाला सस्पेन्स आम तौर पर परिणाम आने के बाद खत्म हो जाता है लेकिन कर्नाटक के चुनावी नतीजों ने सस्पेन्स की इस स्थिति को और लम्बा खींच दिया है। राज्य में जो नतीजे आए हैं और इसके परिणामस्वरूप जो स्थिति निर्मित हुई है और

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जीवन जीने की कला है योग

21 जून 2018
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जीवन जीने की कला है योग"योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है, गीता "योग के विषय में कोई भी बात करने से पहले जान लेना आवश्यक है कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आदि काल में इसकी रचना, और वर्तमान समय में इसका ज्ञान एवं इसका प्रसार स्वहित

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देश देख रहा है

3 अगस्त 2018
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देश देख रहा है आज राजनीति केवल राज करने अथवा सत्ता हासिल करने मात्र की नीति बन कर रह गई है उसका राज्य या फिर उसके नागरिकों के उत्थान से कोई लेना देना नहीं है। यही कारण है कि आज राजनीति का एकमात्र उद्देश्य अपनी सत्ता और वोट बैंक की सुरक्षा सुनिश्चित करना रह गया है न कि र

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सीक्रेट्स ऑफ़ वूमेन एम्पावरमेंट

8 अगस्त 2018
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सीक्रेट्स ऑफ़ वूमेन एम्पावरमेंट

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क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

1 सितम्बर 2018
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क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प? क्या यह संभव है कि दुनिया की नजर में विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी कभी बेबस और लाचार हो सकता है? क्या हम कभी अपनी कल्पना में भी ऐसा सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति जो विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है, उसके साथ उस

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केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।

14 अक्टूबर 2018
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,केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।पुरानीयादें हमेशा हसीन और खूबसूरत नहीं होती। मी टू कैम्पेन के जरिए आज जब देश में कुछमहिलाएं अपनी जिंदगी के पुराने अनुभव साझा कर रही हैं तो यह पल निश्चित ही कुछपुरुषों के लिए उनकी नींदें उड़ाने वाले साबित हो रहे होंगे और कुछ अपनी सांसें थामकर बैठे होंगे। इति

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महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का ही समर्थन नहीं

1 नवम्बर 2018
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महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का हीसमर्थन नहीं मनुष्य की आस्था ही वो शक्ति होती है जो उसे विषम से विषम परिस्थितियों से लड़कर विजयश्री हासिल करने की शक्ति देती है। जब उस आस्था पर ही प्रहार करने के प्रयास किए जाते हैं, तो प्रयास्कर्ता स्वयं आग से खेल रहा होता है।क्योंकि वह यह भूल जाता है कि

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राष्ट्रवाद एक विवाद

5 नवम्बर 2018
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डॉ नीलम महेंद्र कृत“राष्ट्रवाद एक विवाद” में राष्ट्रवाद की सीमाओं का विश्लेषण डॉ नीलम महेंद्र कृत राष्ट्रवाद एक विवाद निश्चित हीएक महत्वपूर्ण कृति है कम से कम पठनीय एवं विचारणीय तो अवश्य ही है। इसचिंतन पटक कृति के आवरण पर पुस्तक के शीर्षक के साथ ही उसकी मूल विषय वस्तुको स्पष्ट करने वाला वाक्य राष्ट्

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क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

21 नवम्बर 2018
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क्या यह दबी चिंगारी को हवा देनेकी कोशिश है?अभीज्यादा दिन नहीं हुए थे जब सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने एक कार्यक्रम के दौरानपंजाब में खालिस्तान लहर के दोबारा उभरने के संकेत दिए थे। उनका यह बयान बेवजहनहीं था क्योंकि अगर हम पंजाब में अभी कुछ ही महीनों में घटित होने वाली घटनाओं परनजर डालेंगें तो समझ मे

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बांग्लादेश चुनाव परिणाम भाजपा के लिए केस स्टडी हो सकते हैं

4 जनवरी 2019
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बांग्लादेश चुनाव परिणाम भाजपाके लिए केस स्टडी हो सकते हैं वैसे तो आने वाला हर साल अपनेसाथ उत्साह और उम्मीदों की नई किरणें ले कर आता है, लेकिन यह सालकुछ खास है। क्योंकि आमतौर पर देश की राजनीति में रूचि न रखनेवाले लोग भी इस बार यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि 2019 में राजनीति का ऊँठ किस करवटबैठेगा। खास

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सामाजिक न्याय की तरफ एक ठोस कदम

15 जनवरी 2019
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सामाजिक न्याय की तरफ एक ठोस कदमभारत की राजनीति का वो दुर्लभदिन जब विपक्ष अपनी विपक्ष की भूमिका चाहते हुए भी नहीं नहीं निभा पाया और न चाहतेहुए भी वह सरकार का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गया, इसे क्या कहा जाए?कांग्रेस यह कह कर क्रेडिट लेनेकी असफल कोशिश कर रही है कि बिना उसके समर्थन के भाजपा इस बिल को

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महागठबंधन देश हित या स्वार्थ

26 जनवरी 2019
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महागठबंधन देश हित या स्वार्थ‘’मंजिल दूर है, डगर कठिन हैलेकिन दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते चलिए", कोलकाता मेंविपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन के लिए आयोजित ममता की यूनाइटिड इंडिया रैली में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का यहएक वाक्य "विपक्ष की एकता" और उसकी मजबूरी दोनों का ही बखानकरने के लिए काफी है।

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नए भारत का आगाज़

18 फरवरी 2019
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नए भारत का आगाज़ यह सेना की बहुत बड़ी सफलता है किउसने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाज़ी को आखिरकार मार गिराया हालांकिइस ऑपरेशन में एक मेजर समेत हमारे चार जांबांज सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए। देश इस समय बेहद कठिन दौर से गुज़र रहा है क्योंकि हमारे सैनिकों कीशहादत का सिलसिला लगातार जारी है। अभ

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न्यू इंडिया

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न्यू इंडिया

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ट्रिपल तलक आस्था नही, अधिकारों की लड़ाई है ।

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ट्रिपल तलक आस्था नही,अधिकारों की लड़ाई है ।ट्रिपल तलाक पर रोक लगाने काबिल लोकसभा से तीसरी बार पारित होने के बाद एक बार फिरचर्चा में है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ही इसे असंवैधानिक करार दे दिया था लेकिन इसे एक कानून का रूप लेने केलिए अभी और कितना इंतज़ार करना होगा यह तो समय ही बताएगा। क्योंकि

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केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिक मुक्ति अधूरी कोशिश होगी

29 सितम्बर 2019
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केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिकमुक्ति अधूरी कोशिश होगीवैसे तो विज्ञान के सहारे मनुष्यने पाषाण युग से लेकर आज तक मानव जीवन सरल और सुगम करने के लिए एक बहुत लंबासफर तय किया है। इस दौरान उसने एक से एक वो उपलब्धियाँ हासिल कीं जोअस्तित्व में आने से पहले केवल कल्पना लगती थीं फिर चाहे वो बिजली से चलने वालाबल्ब

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आपने स्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं

25 दिसम्बर 2019
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आपनेस्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं जब देश के पढ़े –लिखे बुद्धिजीवी लोग जिनमें कुछ डॉक्टर वकील, शिक्षक,प्रोफेसर, स्कूल कॉलेज के डायरेक्टर, पत्रकार, संपादक जैसे लोग सी ए ए और एन आर सी में अंतर समझे बिना मुस्लिम समुदाय को भृमित करने वाली बातें सोशल मीडिया मेंकथित

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कब तक सामने आते रहेंगे प्यारेमियाँ जैसे चरित्र ?

25 जुलाई 2020
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कब तक सामने आते रहेंगे प्यारेमियाँ जैसे चरित्र ? “हरचेहरेपर नकाबहै यहाँबेनकाबकोई चेहरानहींहर दामनमें दागहै यहाँबेदागकोई दामननहीं।यह अजीबशहर हैजहाँऔरत बेपर्दाकर दीजाती हैलेकिनसफेदपोशोंके नकाबकायम हैंयहाँ” मध्यप्रदेशकीराजधानीएकबारफिरकलंकितहुई।एकबारफिरसाबितहुआकिहमएकसभ्यसमाजहोनेकाकितनाभीढोंगकरेंलेकिनसत

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आदिवासी दिवस के बहाने अलगाववाद की राजनीति

3 अगस्त 2020
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आदिवासी दिवस के बहाने अलगाववाद कीराजनीति वैशविक परिदृश्य में कुछ घटनाक्रम ऐसेहोते हैं जो अलग अलग स्थान और अलग अलग समय पर घटित होते हैं लेकिन कालांतर में अगरउन तथ्यों की कड़ियाँ जोड़कर उन्हें समझने की कोशिश की जाए तो गहरे षड्यंत्र सामने आतेहैं। इन तथ्यों से इतना तो कहा ही जा सकता है कि सामान्य से लगने

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मौत में अपना अस्तित्व तलाशता मीडिया

3 सितम्बर 2020
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मौतमेंअपनाअस्तित्वतलाशतामीडियाआजकलजबटीवीऑनकरतेहीदेशकालगभगहरचैनल "सुशांत केस में नया खुलासा" या फिर "सबसे बडी कवरेज" नाम के कार्यक्रम दिन भर चलाता है तो किसी शायर के ये शब्द याद आ जाते हैं, "लहूकोहीखाकरजिएजारहेहैं,हैखूनयाकिपानी,पिएजारहेहैं।" ऐसालगताहैकिएकफिल्मीकलाकारमरतेमरतेइनचैनलोंकोजैसेजीवनदानदेगय

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क्या लोकतांत्रिक सरकार की यही कार्यशैली है ?

15 सितम्बर 2020
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महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है। जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटो के भीतर ही एक अभिनेत्री के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई उससे राज्य सरकार के लिए भी एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बचने के लिए भले ही शि

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वो यात्रा जो सफलता से अधिक संघर्ष बयाँ करती है।

19 सितम्बर 2020
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वो यात्रा जो सफलता से अधिक संघर्षबयाँ करती है।आज भारत विश्व में अपनी नई पहचान केसाथ आगे बढ़ रहा है। वो भारत जो कल तक गाँधी का भारत था जिसकी पहचान उसकी सहनशीलताथी,आज मोदी का भारत है जो खुद पहल करता नहीं, किसीको छेड़ता नहीं लेकिन अगर कोई उसे छेड़े तो छोड़ता भी नहीं। गाँधी के भारत से शायद हीकिसी ने सर्जिकल

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किसान मुद्दा क्या केवल विपक्ष जिम्मेदार है?

2 अक्टूबर 2020
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किसानमुद्दा क्या केवल विपक्ष जिम्मेदार है?ऐसापहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश कीसड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनोंको लेकर है। देखाजाए तो ब्रिटिश शासन काल

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बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में।

16 अक्टूबर 2020
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बिहार चुनाव फैसला किसके पक्ष में।बिहारदेश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहाँ कोरोना महामारी के बीच चुनाव होने जारहे हैं और भारत शायद विश्व का ऐसा पहला देश। आम आदमी कोरोना से लड़ेगा औरराजनैतिक दल चुनाव। खास बात यह है कि चुनाव के दौरान सभी राजनैतिक दल एक दूसरेके खिलाफ लड़ेंगे लेकिन चुनाव के बाद अपनी

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बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशा तय करेगा।

26 दिसम्बर 2020
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बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशातय करेगा।बंगाल एक बार फिर चर्चा मेंहै। गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर,स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, औरोबिंदो घोष, बंकिमचन्द्र चैटर्जी जैसी महान विभूतियोंके जीवन चरित्र की विरासत को अपनी भूमि में समेटे यह धरती आज अपनी सांस्कृतिक धरोहरनहीं बल्कि अपनी हिंसक राजनीति के

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