हमारा सूरज
उनकी आंखें
बाघ सी चमक रही है
और जीभ
सांप सा लपलपा रहा है
मुझे पता है
अभी वे दौड़ पड़ेंगे
और जला डालेंगे
उन कच्चे मकानों को
और सकेंगे
जिंदा गोश्त को
उन चीखती आंचों से
और खोलेंगे
शराब के ढक्कन हवाओं में
और जलती लाशों का गंध
शराब के गंधों से मिलाकर
वे गटागट पीते मिलेंगे
उनकी आंखें भी
अंगारे सा धधक रहे हैं
और जीभ
सूखता चला जा रहा है
मुझे पता है
अभी वे दौड़ पड़ेंगे
रात के सन्नाटे में
गांव से दूर
उस पीपल के नीचे
और बनाएंगे खैनी
उन पक्के मकानों के
मसल के जिसे
दबाया जा सके मुंह में
ताकि बचाया जा सके
अपनी बहू बेटियों को
उन खूंखार दरिंदों से
मेरी आंखें
देखना चाहती है
प्रकाश की किरणें
पर जलती झोपडिय़ों से
आंखें चौंधिया जाती है
और खैनी का बंद होना मुंह में
बस अंधेरे में टटोलना भर है
न जाने कहां
मेरा सूरज खो गया है.