काव्य संग्रह
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एक से एक कविता संग्रह।
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<p><br></p> <p>यह कविता कैसे हो सकती हैयह कविता कैसे हो सकती है</p> <p>उस खौफजदा पल का</p> <p>जब दस
<p>लहरों के थपेड़े</p> <p><br></p> <p>बैठाती है वह बच्चों को</p> <p>तीक्ष्ण अद्भुत ध्वनियों से भरी</
<p>मैंने देखें हैं बड़े बड़े जाल</p> <p>समझते हुए फूलों को</p> <p>जहां आकाश टूटते हैं बिजली में</p>
<p>बहुत देख चुका</p> <p>शहरों का शोरगुल</p> <p>जीवन के प्रतिरोध</p> <p><br></p> <p>जब दृश्य की ऊंचाई
<p>तुम सुनो उतना ही</p> <p>जितना मैं देखती हूं</p> <p>अवसन्न हवा में</p> <p>सोचो की आहटे</p> <p>कब ज
<p>हमने समय की कूर्रता देखी</p> <p>देखी आदमी की गति</p> <p>समय के गति से भागते हुए</p> <p><br></p> <
<p>हो सकता है</p> <p>नदी और आकाश के प्रसंग में</p> <p>कहीं भी नहीं ठहरती हो</p> <p>हमारी प्रार्थनाएं
<p>अनसुना</p> <p><br></p> <p>मेरे कंधे पर</p> <p>श्मशान के रास्ते</p> <p>झुल रहे हैं</p> <p>और सभी ल
<p>अपना कोई भी कदम</p> <p>नये रूपों के सामने</p> <p>कर्म और विचार के अंतराल में</p> <p>अनुभव से उपजी
<p>बहुत क्षण ऐसे आये</p> <p>जब आसमान में तने</p> <p>ऐन सूरज के नीचे</p> <p>गुम हो गई सारी पंक्तियां<
<p>जब खेतों की हरियाली</p> <p>सावन को साथ लाने की</p> <p>जिद लिए जी रहे हो</p> <p>जब उम्मीदों की घास
<p>आग जब सबकुछ जला देगी</p> <p>कुछ तिलिस्म जिंदगी भर के वास्ते</p> <p>धुंधला जाने के लिए</p> <p>उम्म
<p>मानवी सुख की उस खोह में</p> <p>फैलाए हुए हाथ की गर्मी को</p> <p>नहीं पकड़ सका मैं</p> <p>जैसे पार
<p>वापस कर दो</p> <p><br></p> <p>अगर बमुश्किल था</p> <p>बगैर पशुओं के</p> <p>बगैर झंडों के</p> <p>मि
<p>अभी नहीं है उनके पास</p> <p>मंत्र मुग्ध कर देने की कला</p> <p>कि स्त्री की औसत झल्लाहट</p> <p>रोक
<p>समय तब भी बरसता था</p> <p>जब नहीं दिखे थे</p> <p>अपनी आंखों का सूरज</p> <p>और भूले बिसरे बीज</p>
<p>यह मैं हूं</p> <p>ख़ामोश भीड़ के सामने चीखते हुए</p> <p>सभी विलापो को दरकिनार करते</p> <p>प्रतिरो
<p>मैं अंतरिक्ष में भटक रहा हूं</p> <p>पिंजरे में कैद मात्र एक शून्य की तरह</p> <p>न कोई मेरा पूर्व
<p>खोई हुई प्रतिध्वनि</p> <p>तैरने लगे हैं तालाब में</p> <p>बाढ़ में बहते झाड़ झंकार</p> <p>छाती की
<p>मेरी इच्छा होती है</p> <p>देह के सुस्वाद अंधकार से</p> <p>हरे मद की तरह</p> <p>किसी नरम मुंगिया र
<p>अपनी अप्रत्याशित उपस्थिति का</p> <p>रतिकलांत देह लेकर</p> <p>अनाहत गली के कोने से</p> <p>जब सहसा
<p>कितने बदल चुके हैं</p> <p>सिकुड़े हुए अंतरिक्ष में</p> <p>मौन तिलक लगाकर</p> <p>मेहराब से टूटता क
<p>दर्पण में हूं मैं</p> <p>आज के उजाड़ मानवता की तरह</p> <p>जहां से प्रेम</p> <p>पहाड़ों के पीछे सर
<p>तुम्हारे आने के बाद भी</p> <p>किताब डूबने के इंतजार में</p> <p>खड़ा रह सके कोई वियोग</p> <p>खोए र
<p>जहां कहीं भी होगा</p> <p>उठती अंतस से हूक</p> <p>अवसाद के चक्रवात में</p> <p>रेखांकित नहीं उसका व
<p>जिंदगी की राह पर</p> <p>शूल की चिंता</p> <p>अभी कहां छूटी है</p> <p>बूढ़े बरगद की उस छांव में</p>
<p>मैं दरअसल हर चीज के प्रति</p> <p>दिल की गहराईयों से उठती चीख की तरह</p> <p>हमेशा से किनारा करता ग
<p>मेरी भीतरी सतह</p> <p>पथरीले चेहरे से</p> <p>पानी की एक बूंद सा</p> <p>चमकता रहा है हर पल</p> <p>
<p>हम यह भी नहीं बता सकते</p> <p>कितने कंकड़ पत्थर</p> <p>हर अफरा तफरी मे</p> <p>महाद्वीप में तब्दील
<p>वे मुझे पकड़ने के लिए आए</p> <p>जब मैंने देखा</p> <p>मैं अपने गांव में था</p> <p>देवदार के पेड़ क
<p>मैं कहां जाऊं</p> <p>किसी स्वर्ग जैसा</p> <p>अब नर्क कहां बचा है यहां</p> <p>जहां कशिश से भरी आंख
<p>अभी अभी शाम की लालिमा</p> <p>जिस झुरमुट की ओट में</p> <p>इतराने को आतुर</p> <p>मचलती हुई से बैठी
<p>रोशनी का बुरा दिन</p> <p>देखने योग्य बची कहां है</p> <p>कि खिझा हुआ अंधकार</p> <p>अपने लंबे नाखून
<p>मैं जब</p> <p>घर से बाहर निकलता हूं</p> <p>अपनी आंखों को दराज में</p> <p>कानों को अलमारी में</p>
<p><br></p> <p>आकाश का नीलापन</p> <p>जब तैरता है</p> <p>सागर के अंतस में</p> <p>तब विचरने की प्रक्रि
<p>अभी समय के भंडार में</p> <p>ब्लैकहोल होने की बात</p> <p>सुगबुगाहट तक सीमित नहीं है</p> <p>और ना ह
<p>मैं</p> <p>पौधे का वह फूल हूं</p> <p>जिसे आजतक</p> <p>किसी ने भी</p> <p>सहजने की कोशिश नहीं की है
<p>मित्रों</p> <p>काल के इस विकट काल में</p> <p>बहुत सी चीजें</p> <p>मृत्यु से जितनी बाहर है</p> <p>
<p>एक रात</p> <p>जब आकाश</p> <p>बैगर तारों के सूना था</p> <p>और बिना चांद के</p> <p>सन्नाटा पसरा था<
<p>नदी की लय और गति</p> <p>अभी उतनी गंभीर नहीं हुई है</p> <p>कि हमारे आंकने की शक्ति</p> <p>वहीं जाक
<p>सृष्टि की कोख में</p> <p>कई प्रश्न</p> <p>अनुत्तरित रह जाते हैं</p> <p>जैसे मोती बनने की प्रक्रिय
<p>इस बार</p> <p>न तुम्हें</p> <p>न हमें</p> <p>सुदूर क्षितिज तक जाना है</p> <p>ना ही</p> <p>पैबंद क
<p>बुरे समय के लिए</p> <p>हमने बचाए रखे हैं</p> <p>कुछ चिंगारी</p> <p>राख के ढेर में</p> <p>कुछ किरण
<p><br></p> <p>आज वर्षों बाद</p> <p>जब मैं इस गली से गुजर रहा हूं</p> <p>तमाम सुख दुख के सपने</p> <p
<p>जब</p> <p>तुमने तय कर दी है</p> <p>हमारी सीमाएं</p> <p>बांध दी है तुमने</p> <p>हमारी दृष्टि</p> <
<p>रंग</p> <p>अपने रंग के भीतर</p> <p>एक रंग खोज रहा है</p> <p><br></p> <p>संभव है किसी सुबह</p> <p>
<p><br></p> <p>जब सूरज उगा</p> <p>काली परछाईं</p> <p>दुबक गई किसी कोने में</p> <p>और जीवन</p> <p>साक
<p>कुछ शब्द</p> <p>होते हैं</p> <p>बच्चों के खिलौने</p> <p>तो कुछ</p> <p>बुजुर्गों के जुगनू</p> <p><
<p>यह वह नहीं है</p> <p>वह भी यह नहीं है</p> <p><br></p> <p>जब संवेदनाएं देह से गुजरती है</p> <p>और
<p>अनेक चेहरों में</p> <p>युद्ध के हादसे</p> <p>ऐसे डोल रहे हैं</p> <p>जैसे निविड़ तिमिर में</p> <p>
<p>मैंने तो नहीं कहा</p> <p>संगीत बजाती कोई नदी</p> <p>संपूर्ण अर्थ नही रखती</p> <p><br></p> <p>ठीक
<p>हमारे मस्तिष्क में है</p> <p>भाषा का मकड़जाल</p> <p>और भव्य अर्थों के बोझ</p> <p>जिन्हें ढोते हुए
<p>जब कभी भी</p> <p>तुम हो मेरे पास</p> <p>और मैं तुम्हारे पास</p> <p>क्या ऐसे में</p> <p>हमारे बीच
<p>असीम शून्य के भीतर</p> <p>जो पसरा है भयानक सन्नाटा</p> <p>है अभी भी उनमें आग</p> <p>पर शून्य के ब
<p>एक कविता कसमसा रही है</p> <p>और जिद में अड़ी है</p> <p>कि न मुझे कविता बननी है</p> <p>ना ही मैं</
<p>देखा जा सकता है</p> <p>काल को </p> <p>अपने पैरों में बांधे</p> <p>पहाड़ों की श्रृंखलाएं</p>
<p>तुम्हारे भीतर</p> <p>जहां हरे भरे खेतों में</p> <p>फसलों की जगह</p> <p>रखे जा रहे हैं बम</p> <p>क
<p>उसे पता था</p> <p>अपने भीतर की आग</p> <p>कि घर के अंधेरे कोने में</p> <p>काई जैसी हरी आंखों से</p
<p>अपनी जगह पर</p> <p>छुपा है कोई हादसा</p> <p>अर्थ जीवन का बताकर</p> <p>घुलाते हैं जेहन में डर</p>
<p>समय और इस समय से जुड़ी सारी की सारी सच्चाई महज इत्तफाक नहीं है कि हम इसका इंतजार करें और तलाशे इन
<p>लेखक का नाम : मोतीलाल दास</p> <p>जन्मतिथि :