वक्त ने किससे क्या क्या न करवाया है
कभी रोते को हंसाया है तो कभी हँसते को रुलाया है
कभी ख़ुशी से दामन भर देता है तो कभी
ग़मों को तकदीर में शामिल कर देता है
गम और ख़ुशी पर तो वक्त की चिलमन पड़ी है
जब जिसके चिलमन को गिराया है
तो वक्त सामने आया है
वक्त ने किसी का इंतजार कब किया
हर आदमी वक्त के हांथों मजबूर हुआ
वक्त ने किससे क्या क्या न करवाया है
कभी रोते को हंसाया है तो कभी हँसते को रुलाया है
कई बार वक्त ने मुझे भी तड़पाया है
हर जगह मैंने फिर भी खुद को समझाया है
वक्त ने मुझे कभी कभी इस तरह आजमाया है
कि हर लम्हे आँखों में आंसुओं को पाया है
वक्त और हालात ने
ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा किया है
कि न चाहते हुए भी खुद को मजबूर पाया है
होठों पर झूठी मुस्कुराहट को पाया है
आज हमने वक्त को अच्छे से आजमाया है……
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लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाओं व समाचार - पत्रों में समसामयिक मुद्दों पर इनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं
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