जब जब गरजा धोनी का बल्ला
विश्व पताका लहराई
1983 के बाद ,2011 में ट्रॉफी आई
स्टम्पिंग और बैटिंग देखकर जिसकी
दुनिया स्तब्ध हो जाती थी
शान्त रहकर कैसे देते हैं मात
धोनी ने ही सिखायी थी
फौलादी था जिगर जिसका
न झुकने वाला हौसला था
दुनिया ने माना था लोहा
जब हेलीकॉप्टर शॉट निकला था
२८ साल का ख्वाब जब कोई पूरा न कर पाया था
अपने सिक्सर से जीत दिलाकर
धोनी ने ही जश्न मनवाया था
कभी धोनी की उड़ती जुल्फों का
मुशर्रफ ने गुणगान गाया था
अपने कप्तानी की कूटनीति से
पाकिस्तानियों को नचाया था
जब झुक गए थे भारत के कन्धे
देश को टी 20 विजेता बनवाया था
जब चल रहे हों आखरी ओवर
धोनी का बल्ला आग उगलता था
ऐसे ही नहीं चेन्नई सुपर किंग्स को
आईपीएल विजेता बनाया था
महेंद्र सिंह धोनी ही वह नाम है
जो कप्तानों का कप्तान है
वह शूरवीर योद्धा ही नहीं
पूरे भारत का अभिमान है
धोनी तुम्हारी खेली पारियों के सम्मत
मैं शीश झुकाता हूँ
आगे भी हो उज्जवल भविष्य तुम्हारा
ईश्वर से यह मनाता हूँ
प्रभात पांडेय की अन्य किताबें
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाओं व समाचार - पत्रों में समसामयिक मुद्दों पर इनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं
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