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कविता : देखो ,नया वर्ष आया है

30 दिसम्बर 2021

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आ रहा व्योम से मदभरा प्यार
बह रही हर गली में सुधा धार
कौमुदी का बिखरता मदिर गान
हर किरन के अधर पर सरस तान
प्रगति का नया दौर आया है
जीवन में खुशियां लाया है
देखो नया वर्ष आया है ||
जलाओ पौरुष अनल महान
वेद गाता  जिसका यश गान  
उठ रहा खुशियों का ज्वार
कर रहा गर्जन बारम्बार
लुटाने को तुम पर सर्वस्व
धरती पर ,आकाश आया है
देखो नया वर्ष आया है ||
पहन रही धरती नव पीताम्बर
गगन से उतरी है श्री धरा पर
मंगल आरती के स्वर निनादित
दुन्दुभी गुरु घोष है गर्जित
भीना भीना मादक सौरभ
अभिसार निमंत्रण लाया है
देखो नया वर्ष आया है
जीवन में खुशियां लाया है
देखो नया वर्ष आया है || 

प्रभात पांडेय की अन्य किताबें

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

वाह! उत्तम👍

30 दिसम्बर 2021

shiv Kumar

shiv Kumar

Bahut Sundar

30 दिसम्बर 2021

Ram Maurya

Ram Maurya

A very beautiful poem on new year

30 दिसम्बर 2021

Amit Dixit

Amit Dixit

Very nice

30 दिसम्बर 2021

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हमने वक्त को अच्छे से आजमाया है……

16 अगस्त 2020
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वक्त ने किससे क्या क्या न करवाया हैकभी रोते को हंसाया है तो कभी हँसते को रुलाया हैकभी ख़ुशी से दामन भर देता है तो कभीग़मों को तकदीर में शामिल कर देता हैगम और ख़ुशी पर तो वक्त की चिलमन पड़ी हैजब जिसके चिलमन को गिराया हैतो वक्त सामने आया हैवक्त ने किसी का इंतजार कब कियाहर आदमी वक्त के हांथों मजबूर हुआवक्त

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गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं….

17 अगस्त 2020
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गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं जहाँ रिश्ते तो हैं ,वह मिठास नहीं जहाँ मिट्टी तो है ,पर खुशबू नहीं जहाँ तालाब तो है ,पर पानी नहीं जहाँ आम बौराते तो हैं ,पर सुगन्ध का महकना नहीं गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं यहाँ लोग बेगाने से हो गये लोग सुख साधन के भूंखे हो गये गांव अब शहरों में तब्दील हो

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महेंद्र सिह धोनी प्राउड ऑफ़ इंडियन क्रिकेट टीम

17 अगस्त 2020
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जब जब गरजा धोनी का बल्ला विश्व पताका लहराई 1983 के बाद ,2011 में ट्रॉफी आई स्टम्पिंग और बैटिंग देखकर जिसकी दुनिया स्तब्ध हो जाती थी शान्त रहकर कैसे देते हैं मात धोनी ने ही सिखायी थी फौलादी था जिगर जिसका न झुकने वाला हौसला था दुनिया ने माना था लोहा जब हेलीकॉप्टर शॉट निकला था २८ साल का ख्वाब जब कोई पू

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खुशहाली

19 अगस्त 2020
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अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार खुशहाली वह दीप है यारों ,हर कोई जलाना चाहता है खुशहाली वह रंग है यार्रों ,हर कोई रमना चाहता है खुशहाली वह दौर था यारों ,कागज़ की नावें होती थीं मिट्टी के घरौंदे थे ,छप्पर की दुकानें होती थी कहीं सुनाई देती थी रामायण ,कहीं रो

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बचपन के दिन.....

20 अगस्त 2020
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वो भी क्या उमर थी,जब मस्ती अपने संग थी ,सारी फिकर और जिम्मेदारियाँ, किसी ताले मे बंद थी,वो गलियाँ जिसमे खेलते थे क्रिकेट,पतंग उड़ाते कभी थे,कभी तोड़ते थे कांच तो कभी पेंच लड़ाते वो हम थे,क्या सच में वो दिन थे बचपन के ?बारिश मे भीगना ,क्लासेस बँक करना ,कीचड़ के पानी मे खुद को भिगोना,छत पे खड़े होके सीटी ब

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अंजान सफर

22 अगस्त 2020
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चला जा रहा हूँ अंजान से एक सफर में साथ न कोई साथी किसी मंजिल का एक साये के पीछे न जाने किसकी तलाश में एक चेहरा ढूंढता हूँ न जाने किसकी आस में कभी कोई मिलता है तो ये सोंचता हूँ कि ये वही तो नहीं जिसका ये साया है इस अंजान से चेहरे ने ,न जाने किसका चेहरा पाया है क्यूँ नहीं समझ पाता ,मैं उसकी बातें इसी

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गणपति बप्पा मोरिया

23 अगस्त 2020
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बुद्धि विनायक पार्वतीनंदन ,मंगलकारी हे गजबंदन वक्रकुंड तुम महाकाय तुम ,करता हूँ तेरा अभिनंदन कंचन -कंचन काया तेरी ,मुखमंडल पर तेज समाया है मूषक वाहन करो सवारी ,मोदक तुमको प्यारा है भक्ति भाव में तेरी देखो,खोया ये जग सारा है मोहनी मूरत सुन्दर सूरत भोले बाबा के तुम प्यारे हो गौरी माता के लाल तुम्ही त

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ॐ साई राम

24 अगस्त 2020
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कविता :बाबा जी मैं जपूं तेरा नाम सांई नाम की अलख जगा ले भोली सी सूरत अपने मन में बिठा ले सच्चा प्यारे सांई नाम बाबा जी जपूं मैं तेरा नाम कृपा दृष्टि की तेरी माया मन कोमल मृदु शीतल काया तेरी महिमा कोई जान न पाया मुखमंडल पर आभा की छाया प्यार का जो अमृत बरसाया सुमिरन कर लो सांई नाम बाबा जी मैं जपूं त

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बेटे के जन्मदिन पर कविता

26 अगस्त 2020
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एक छोटा सा सपना पूरा हुआ जब मेरा बेटा आर्यन आया तोतली सी बोली से जब तुमने मुझे पापा बुलाया दिल के सारे दर्द दूर हुए जब नन्हा चेहरा मुस्कुराया तू मेरा लाडला राजकुमार मेरा ही दर्पण कहलाया नटखट भोली सी शैतानी तेरी ,सबके मन को भाए दादा दादी देख देखकर मंद मंद मुस्काए मम्मी तेरी नजर उतारे वारी वारी जाये

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क्योंकि आज रविवार है

30 अगस्त 2020
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थोड़ी देर और मस्ती करने दो क्योंकि आज रविवार है सपनों की दुनिया में खोने दो क्योंकि आज रविवार है जिंदगी बहुत हैं शिकवे तुमसे चल रहने दे छोड़ सब क्योंकि आज रविवार है मुझे मालूम है ये ख्वाब झूठे और ख्वाहिशें अधूरी हैं मगर जिंदा रहने के लिए कुछ चिंतन जरुरी है आज ख़ुशी व चिंतन का वार है क्योंकि आज रविवार

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जीवन का शाश्वत सत्य

31 अगस्त 2020
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हम सबने मानव जीवन पाया कुछ अच्छा कर दिखलाने को सब धर्म एक है ,एक ही शिक्षा फिर हम सब हैं इतने बेगाने क्यों जो दूसरों का है दुःख समझते दुःख रहता उनके पास नहीं औरों को हंसाने वाले रहते कभी उदास नहीं आचरण हमारा ही हम सबको हर ऊँचाई तक पहुंचाता है अगर यह दुराचरण बन जाये तो गर्त तक ले जाता है कष्ट उठाने स

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माँ

4 सितम्बर 2020
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प्रेम के सागर में अमृत रूपी गागर है माँ मेरे सपनों की सच्ची सौदागर है भूल कर अपनी सारी खुशियां हमको मुस्कुराहट भरा समंदर दे जाती है अगर ईश्वर कहीं है ,उसे देखा कहाँ किसने माँ धरा पर तो तू ही ,ईश्वर का रूप है हमारी आँखों के अंशु ,अपनी आँखों में समा लेती है अपने ओंठों की हंसी हम पर लुटा देती है हमारी

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गुरु महिमा

5 सितम्बर 2020
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गुरु अर्चना ,गुरु प्रार्थना ,गुरु जीवन का आलंबन है गुरु की महिमा ,गुरु की वाणी जैसे परमात्मा का वंदन है प्रेम का आधार गुरु है ,ज्ञान का विस्तार गुरु है भविष्य का निर्माण वही है ,कर्म का आकाश वही है मैं तो हूँ एक कोरा कागज़ ,मेरा अंतरज्ञान वही है वो उद्धारक ,वो विस्तारक, वक्क की आवाज वही है ज्ञान रू

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कैसा ये सभ्य समाज

6 सितम्बर 2020
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इन्सानियत को हमने रुलाया है आज डर ने मुकाम दिल में बनाया है मंदिर से अधिक मधुशालाएं हैं ऐसा बदलाव अपने देश में आया है ये वस्त्रहीन सभ्यता अपने देश की नहीं पर्दा ही आज ,लाज पर से उठाया है बेकारी ,भूंख प्यास ने सबको रुलाया है भारत में यह कैसा अच्छा दिन आया है साहित्य से क्यों दूर हैं आज की पीढ़ियां इस

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बेरोजगारी

18 सितम्बर 2020
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सरकारें बदलती हैं यहाँ पर नवयुवकों को आश्वासन देती हैं झूठे भाषण देती हैं पर नौकरियां नहीं देती हैं हर जगह लम्बी हैं कतारें व्यवस्था में हैं खामियां बड़बड़ाते हुये घिसट जाती हैं ,देखो कितनी जिन्दगानियाँ आत्मनिर्भरता का स्वप्न दिखाती झूठी दिलासाएँ देती है सब कुछ है कागजों पर पर नौकरियां नहीं देती हैं

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आईपीएल २०२०

29 सितम्बर 2020
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लो आ गया चौके छक्कों का सफर ये सुहाना आईपीएल का हुआ हर कोई दीवाना गूंजा रण ताली से सारा जमाना आईपीएल का हुआ हर कोई दीवाना बुमराह की यार्कर ,रसेल का सिक्सर आर्चर की बाउन्सर ,डी विलियर्स का स्कूपर संजू सैमसन का गेंदबाजों को डराना आईपीएल का हुआ हर कोई दीवाना चहल की गुगली ,है अबूझ पहेली रबाडा का बाउन्

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कविता :मोहनदास करमचन्द गांधी

2 अक्टूबर 2020
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दुनियां में हैं शख्स लाख ,पर दिल के पास हैं गाँधी अहिंसा ,सत्य ,समता शांति की तलवार हैं गाँधी अटल ,अविजेय ,अविचल ,वज्र की दीवार हैं गाँधी अडिग विश्वास ,जीवन का उमड़ता ज्वार हैं गाँधी उमड़ता कोटि प्राणों का ,पुलकमय प्यार हैं गाँधी मनुजता के अमर आदर्श की झंकार हैं गाँधी सूर्य सम कांतिमयी दीप्तिमान हैं

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वो एकतरफा प्यार

8 अक्टूबर 2020
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वो एकतरफा प्यार ,जिसके लिये हुआ दिल बेक़रार मैं ढूंढता रहा उसे ,होकर बेक़रार उसका मुस्कुराना देखकर आँखों का झुकना देखकर उसके आगे लगने लगे महखाने सारे बेअसर वो जाते जिधर जिधर मैं पहुंचता उधर उधर जैसे मृग कस्तूरी के लिए ,भटके इधर उधर अब तो दिन कटता था ,रस्ता उनका देखकर उनसे मिलने का मौका ढूंढता था ,दिल

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कविता : पतित पावनी गंगा मैया

27 अक्टूबर 2020
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देवी देवता करते हैं गंगा का गुणगानइसके घाटों पर बसे हैं ,सारे पावन धामगंगा गरिमा देश की ,शिव जी का वरदानगोमुख से रत्नाकर तक ,है गंगा का विस्तारभागीरथी भी इन्हे ,कहता है संसारसदियों से करती आई लोगों का उद्धारशस्य श्यामल गंगा के जल से ,हुआ है ये संसारजन्म से लेकर मृत्यु तक ,करती है सब पर उपकारलेकिन बद

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कविता : ऐ चाँद ,तुम जल्दी आ जाना

3 नवम्बर 2020
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आज ,अखण्ड सौभाग्यवती कामाँ उमा से है वर पाना ऐ चाँद, तुम जल्दी आ जाना || आज पिया के लिये है सजना संवरना अमर रहे सदा मेरा सजना ऐसा वर तुम देते जाना ऐ चाँद ,तुम जल्दी आ जाना || अहसानों के बोझ तले मुझे मत दबाना आज आरजू है यही इबादत में मोहब्बत का विस्तार कराना रहे सदा साथ सजना का ऐसा वर तुम देते जाना

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देश में कुछ ऐसा बदलाव होना चाहिए

8 नवम्बर 2020
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जीवन में बुलन्दियों को छूना है अगर कुछ कर दिखाने का दिल में,जुनून होना चाहिए दामन को रखिए दूर ,दलदलों से पाप की शालीनता और स्वच्छता को ,जीवन में होना चाहिए || अधिकार गर समान सभी के लिये नहीं अब ऐसी व्यवस्था में,बदलाव होना चाहिए पीढ़ी है दिग्भ्रमित ,यहाँ निर्णय हैं खोखले अब शिक्षा व्यवस्था में बदलाव ह

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दीपों का त्यौहार

13 नवम्बर 2020
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दीपों की जगमग है दिवाली दीपों का श्रृंगार दिवाली है माटी के दीप दिवाली मन में खुशियाँ लाती दिवाली || रंगोली के रंग दिवाली लक्ष्मी संग गणपति का आगमन दिवाली स्नेह समर्पण प्यार भरी मिठास का विस्तार दिवाली अपनों के संग अपनों के रंग में घुल जाने की प्रीति दिवाली हाथी घोड़े मिट्टी के बर्तन फुलझड़ियों का

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कविता : देखो ,नया वर्ष आया है

30 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d448d42f7ed561c8

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