बचपन के दिन.....
वो भी क्या उमर थी,जब मस्ती अपने संग थी ,सारी फिकर और जिम्मेदारियाँ, किसी ताले मे बंद थी,वो गलियाँ जिसमे खेलते थे क्रिकेट,पतंग उड़ाते कभी थे,कभी तोड़ते थे कांच तो कभी पेंच लड़ाते वो हम थे,क्या सच में वो दिन थे बचपन के ?बारिश मे भीगना ,क्लासेस बँक करना ,कीचड़ के पानी मे खुद को भिगोना,छत पे खड़े होके सीटी ब