बुद्धि विनायक पार्वतीनंदन ,मंगलकारी हे गजबंदन
वक्रकुंड तुम महाकाय तुम ,करता हूँ तेरा अभिनंदन
कंचन -कंचन काया तेरी ,मुखमंडल पर तेज समाया है
मूषक वाहन करो सवारी ,मोदक तुमको प्यारा है
भक्ति भाव में तेरी देखो,खोया ये जग सारा है
मोहनी मूरत सुन्दर सूरत
भोले बाबा के तुम प्यारे हो
गौरी माता के लाल तुम्ही
तुम ही आँखों के तारे हो
विघ्न हरण तुम विघ्न को हर लो
खुशियों से झोली को भर दो
धन यश वैभव के भंडार भरो
हमारे सारे दुःख हरो
दिशाहीन हम ज्ञानहीन हम
दिशा का तुम आधार बनो
हे दुखहर्ता ,हैं हम भाग्यहीन
उदय हमारा भाग्य करो
हे अंतर्यामी जग के स्वामी ,पूजे तुमको सारा संसार है
मेरी दुविधा दूर करो प्रभु ,तेरी महिमा अपरंपार है ........
प्रभात पांडेय की अन्य किताबें
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाओं व समाचार - पत्रों में समसामयिक मुद्दों पर इनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं
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