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हरिहर वैष्णव के बारे में

हरिहर वैष्णव (जन्म 19 जनवरी 1955 मृत्यु 23 सितंबर 2021) एक हिन्दी साहित्यकार एवं बस्तर, छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर अनुसन्धान कर्ता हैं। ये मूलतः कथाकार एवं कवि हैं साथ ही इन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी की है। इनकी अभी तक २४ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें से इनकी मुख्य कृतियाँ हैं: लछमी जगार और बस्तर का लोक साहित्य। इनके साहित्यों के कारण इन्हें 'उमेश शर्मा साहित्य सम्मान 2009' सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनके ज़्यादातर कविताएं और साहित्य बस्तर के बारे में लिखे हैं। बस्तर के लोक साहित्य के संकलन में वे किशोरावस्था से ही संलग्न रहे। बस्तर से इनका बहुत जुड़ाव रहा है। बस्तर की परम्पराओं और संस्कृति को अपने काव्य और गद्य में उतारने पर इनके लेख प्रामाणिक माने जाते हैं। इन्होंने बहुत से बस्तर की जनजातियों में सदियों से गाये-बजाये जाने वाले गीतों को एकत्रित करके उनका अनुवाद करने में किया है। हरिहर वैष्णव वन विभाग में लेखाकार के पद पर कार्यरत थे, लेकिन शोध कार्य के लिए पर्याप्त समय न मिल पाने के कारण उन्होंने सेवानिवृत्ति से चार साल पहले ही स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली।

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हरिहर वैष्णव की पुस्तकें

 बस्तर का आदिवासी एवं लोक संगीत

बस्तर का आदिवासी एवं लोक संगीत

'बस्तर' कहते हैं कि यहां जो बसता है, तर जाता है। एक तरफ महाराष्ट्र तो दूसरी ओर उड़ीसा, तीसरी ओर आंध्र प्रदेश और चौथी दिशा में छत्तीसगढ़ से घिरे बस्तर अंचल के लोक जीवन, संगीत, परंपराओं, भाषाओं पर वेहद मिश्रित प्रभाव हैं। बस्तर के आदिवासी और लोक कई-कई

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 बस्तर का आदिवासी एवं लोक संगीत

बस्तर का आदिवासी एवं लोक संगीत

'बस्तर' कहते हैं कि यहां जो बसता है, तर जाता है। एक तरफ महाराष्ट्र तो दूसरी ओर उड़ीसा, तीसरी ओर आंध्र प्रदेश और चौथी दिशा में छत्तीसगढ़ से घिरे बस्तर अंचल के लोक जीवन, संगीत, परंपराओं, भाषाओं पर वेहद मिश्रित प्रभाव हैं। बस्तर के आदिवासी और लोक कई-कई

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