भारत को हाइड्रोजन का हब बनाने के लिए और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सन् 2021 में भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा नेशनल हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है जिसके लिए भारतीय सरकार के द्वारा 19744 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।
इसके अनुसार भारतीय सरकार ने लक्ष्य रखा है कि उनके द्वारा 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
कार्बन उत्सर्जन से बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए भारतीय सरकार के द्वारा यह एक महत्वपूर्ण कदम के रुप में साबित होगा।
इस समय प्रदूषण किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक समस्या है जो वायु प्रदूषण के माध्यम से वातावरण की हवा को लगातार दूषित कर रहा है जिसके कारण आज के समय मनुष्य के जीवन पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और मनुष्य के शरीर में कैंसर, हृदयाघात जैसी घातक बीमारियां पैदा हो रही है।
हमें अपने देश और मानवता की रक्षा के लिए नेशनल हरित हाइड्रोजन मिशन में अपनी भागीदारी निभाते हुए कार्बन का उत्सर्जन करने वाले साधनों का कम से कम उपयोग करना होगा
कार्बन उत्सर्जन की समस्या को कम करने के लिए सरकार ने बड़ी पहल के साथ ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरूआत की है। भारत ही नहीं दुनियाभर के देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत की तलाश कर रहे हैं। इसी कोशिश के तहत ग्रीन हाइड्रोजन का रूख किया जा रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन मतलब हाइड्रोजन गैस (Hydrogen Gas) का निर्माण,लेकिन बिना प्रदूषण के। हाइड्रोजन गैस के फॉर्म में उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसे पानी यानी H2O ने निकाला जाता है। पानी से जब बिजली गुजरती है तो हाइड्रोजन टूटकर अलग हो जाता है। इससे निकलने वाली ऊर्जा बिल्कुल साफ और स्वच्छ होती है। इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से H2O को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में अधिकांश देश परंपरागत ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए इसे ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hyderogen) कहा जाता है। वहीं जब ये प्रक्रिया रिन्यूवल एनर्जी यानी सोलर एनर्जी, वाटर एनर्जी, विंड एनर्जी, बायोमास जैसे ऊर्जा स्त्रोतों से किया जाता है तो इसे ग्रीन एनर्जी (Green Energy) का नाम दिया जाता है। ग्रीन एनर्जी में प्रदूषण ना के बराबर होती है।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक भारत में 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण किया जा सके। इस ग्रीन एनर्जी से देश की रिन्यूवल एनर्जी क्षमता में 125 मेगावाट की बढ़ोतरी होगी। सरकार इस प्रोजेक्ट को लागू करने पर 17 हजार 490 रुपये खर्च करेगी। वहीं 1,466 करोड़ रुपये पायलट प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे। स्टडी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सरकार इस मिशन के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के साथ उसकी मांग और निर्यात को भी बढ़ाने पर बल देगी। इस मिशन के लिए स्ट्रैटेजिक इंटरवेंशन्स फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (SIGHT) तैयार किया जाएगा। भारत के लिए ये लक्ष्य मुश्किल नहीं है, क्योंकि ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पानी और सस्ती बिजली चाहिए। दोनों ही भारत के पास प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं।
लेखक इंजीनियर शशिकुमार मूलतः राजस्थान प्रांत के करौली जिले के छोटे से गांव में पैदा हुए हैं। जिन्होंने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई गांव के स्कूल से ही किया है।
इसके बाद इन्होंने राजस्थान के कोटा विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री समाजशास्त्र (एम.ए.) और राजनीतिक विज्ञान (एम.ए.) से प्राप्त की।
वर्तमान में लेखक दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में जुनियर इंजिनियर (J. EN/ELECTRICAL) के पद पर कार्यरत हैं। मेरी ड्यूटी को पूरी करने के बाद बचे हुए समय में ,मैं अपना वक्त निकालकर लेखन कार्य निरंतर प्रवाह में करने की कोशिश कर रहा हूं।
इन्हें बचपन से ही गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं का साहित्य पढ़ने का शौक था। गांव के जीवन साहित्य के पढते-पढते प्रकृति के अद्भुत नजारों को देखते हुए आने मन की कल्पनाएं कविताओं के रुप में आने लगी।
छोटी-छोटी कविताएं लिखते हुए कवि ने लेखन कार्य की शुरुआत की। इस समय लेखक ने विभिन्न ई बुक्स प्लेटफॉर्म पर हजारों रचनाओं पर लेखन कार्य किया है।
लेखक के द्वारा प्रेम और रोमांस , सामाजिक,वीरता और हॉरर रचनाओं पर लेखन का कार्य चल रहा है।
मेरी रचनाओं में "प्यार एक धोखा" "भेदभाव की आग"
"कॉलेज का इश्क" जैसी अनेकों रचनाएं प्रसिद्ध है।
अमर उजाला, मेट्रो की अर्द्ध वार्षिक पत्रिका, बोधिसत्व जैसी अनेक पत्रिकाओं में मेरी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है ।
"शब्द.इन" पर मैंने सैकड़ों रचनाओं का प्रकाशन किया है।
लेखक द्वारा रचित "मां" उपन्यास जो अमेजन, फ्लिपकार्ट और किंडल पर उपलब्ध है।
"मन के गीत मेरे शब्दों में" अर्थात् मेरे विचारों को लफ्जों के अल्फाजों से सजाकर मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। मेरे जीवन में होने वाले संघर्ष , मेरे आसपास में घटित घटनाओं से मुझे रचनाओं को लिखने की बहुत प्रेरणा मिलती है।
लेखक वर्तमान समय और परिस्थिति को शब्दों के संगम को रचनाओं में ढालकर लोगों के अंदर जागरूकता,प्रेरणा और नई ऊर्जा का संचार करने की कोशिश कर रहा है।