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शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022

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धरती पर इंसानों का अस्तित्व एक बुद्धिजीवी जीव के रूप में हुआ है । इंसानों ने आदिकाल से आज तक अपने जीवन में बहुत बदलाव लाएं हैं । नई - नई खोज की , नए आविष्कार किए ,  जो किसी और जीव के लिए मुमकिन नहीं था इंसानों ने वो भी कर डाला । इंसान धरती की गहराई और आसमान की ऊंचाई तक पहुंच गए , लेकिन इंसान धीरे - धीरे आगे बढ़ते - बढ़ते इंसानियत ही भूल गए और एक दूसरे को गिरा कर खुद आगे बढ़ने लगे । 

धीरे - धीरे एकता में अनेकता बढ़ने लगे । अपने स्वार्थ के लिए इंसान एक - दूसरे का गला भी काटने को तैयार हो गया । इंसानों ने चंद रुपयों के खातिर दंगा - फसाद , राजनीतिक दांव - पेंच , भोले - भले इंसानों को मारना , जबरदस्ती किसी का हक ले लेना । इंसानियत भुलाकर हैवानियत करके अपना उल्लू सीधा करना आम बात हो गई है । 

एक इंसान अपने बुरे कर्मों से , दूसरे इंसान के अच्छे कर्मों को कर डालता है बर्बाद । 
धीरे - धीरे हैवानियत बढ़ती गई , शर्मशार होता गया इंसान ।

🙏🙏🙏🙏



"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

वाह...आधुनिक दुश्चरित्र मनुष्य का चरित्र चित्रण👌👌👌👌👌

23 सितम्बर 2022

Sanju Nishad

Sanju Nishad

23 सितम्बर 2022

धन्यवाद सर 🙏🙏

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रचनाएँ
नारी शक्ति
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नारी से ही है ये संसार , नारी कर सकती है दुष्टों का संहार , नारी असहाय नहीं है बिलकुल , नारी से ही बढ़ता है कुल । कुछ लोग कहते है की , इन नारियों का नहीं है कोई घर , लेकिन नारियों के बिना भी , कोई घर , घर नहीं । एक बेटी , बहु , पत्नी , मां , सब धर्म निभाती है नारी , फिर भी हमेशा रहती है मुस्कुराती , क्योंकि पुरुषों से महान है नारी । फिर भी मारा , पीटा जाता है , प्रताड़ित किया जाता है , पुरुषों द्वारा नारी को , ना जाने ये कब समझेंगे की , जीवन की दात्री है नारी ।
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नारी की आवाज

20 सितम्बर 2022
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नारी शक्ति का करो सम्मान , नारी को ऐसे धूतकारो ना तुम , तुम भी जन्मे एक नारी से , नारी की एहमियत मानो तुम ।जब तक नारी का सम्मान नहीं , तब तक हम आजाद नहीं , नारी भोग , विलासी ह

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शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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धरती पर इंसानों का अस्तित्व एक बुद्धिजीवी जीव के रूप में हुआ है । इंसानों ने आदिकाल से आज तक अपने जीवन में बहुत बदलाव लाएं हैं । नई - नई खोज की , नए आविष्कार किए , जो किसी और जीव के लिए मुमकिन न

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शक्ति और उपासना

26 सितम्बर 2022
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Hello friendsशक्ति और उपासना पौराणिक समय से ही चली आ रही है । पहले के पूर्वज प्रकृति की उपासना करते थे फिर धीरे - धीरे मूर्तियों का प्रचलन हुआ । मनुष्य मूर्तियों की पूजा करने लगा । शक्ति और उपास

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