धरती पर इंसानों का अस्तित्व एक बुद्धिजीवी जीव के रूप में हुआ है । इंसानों ने आदिकाल से आज तक अपने जीवन में बहुत बदलाव लाएं हैं । नई - नई खोज की , नए आविष्कार किए , जो किसी और जीव के लिए मुमकिन नहीं था इंसानों ने वो भी कर डाला । इंसान धरती की गहराई और आसमान की ऊंचाई तक पहुंच गए , लेकिन इंसान धीरे - धीरे आगे बढ़ते - बढ़ते इंसानियत ही भूल गए और एक दूसरे को गिरा कर खुद आगे बढ़ने लगे ।
धीरे - धीरे एकता में अनेकता बढ़ने लगे । अपने स्वार्थ के लिए इंसान एक - दूसरे का गला भी काटने को तैयार हो गया । इंसानों ने चंद रुपयों के खातिर दंगा - फसाद , राजनीतिक दांव - पेंच , भोले - भले इंसानों को मारना , जबरदस्ती किसी का हक ले लेना । इंसानियत भुलाकर हैवानियत करके अपना उल्लू सीधा करना आम बात हो गई है ।
एक इंसान अपने बुरे कर्मों से , दूसरे इंसान के अच्छे कर्मों को कर डालता है बर्बाद ।
धीरे - धीरे हैवानियत बढ़ती गई , शर्मशार होता गया इंसान ।
🙏🙏🙏🙏