ढाक भी वही सौगात भी वहीपर वो बात कहां जो बचपन में थीठेले भी वही , मेले भी वहीमगर वो बात कहां जो बचपन में थीऊंचे से और ऊंचे तोभव्य से और भव्य होते गएमां दुर्गा के पूजा पंडाललेकिन परिक्रमा में वो बात कहां जो बचपन में थीहर कदम पर सजा है बाजारमगर वो रौनक कहां जो बचपन में थी।नए कपड़े तो हैं अब भी मगर पहन