shabd-logo

खिलखिलाता रहे खड़गपुर...

23 अक्टूबर 2018

127 बार देखा गया 127

ढाक भी वही सौगात भी वही

पर वो बात कहां जो बचपन में थी

ठेले भी वही , मेले भी वही

मगर वो बात कहां जो बचपन में थी

ऊंचे से और ऊंचे तो

भव्य से और भव्य होते गए

मां दुर्गा के पूजा पंडाल

लेकिन परिक्रमा में वो बात कहां जो बचपन में थी

हर कदम पर सजा है बाजार

मगर वो रौनक कहां जो बचपन में थी।

नए कपड़े तो हैं अब भी मगर

पहनने को वो सुख कहां

जो बचपन में थी

भरी जेब के साथ पंडालों में घूमा बहुत

लेकिन वो खुशी मिली नहीं

जो खाली जेब में भी बचपन में थी

समय के साथ बदल गया बहुत कुछ

न बदला तो मां दुर्गा का ममतामय रूप

माता भवानी से है बस चाह इतनी

बुलंद रहे भारत

खिलखिलाता रहे खड़गपुर ...

तारकेश कुमार ओझा की अन्य किताबें

1

बचपन की स्मृतियों

2 जुलाई 2018
0
1
1

मामूली हैं मगर बहुत खास है...बचपन से जुड़ी वे यादेंवो छिप छिप कर फिल्मों के पोस्टर देखनामगर मोहल्ले के किसी भी बड़े को देखते ही भाग निकलनासिनेमा के टिकट बेचने वालों का वह कोलाहलऔर कड़ी मशक्कत से हासिल टिकट लेकरकिसी विजेता की तरह पहली पंक्ति में बैठ कर फिल्में देखनाबचपन की भीषण गर्मियों में शाम होने

2

भगवान सरकारी बंगला किसी से न खाली करवाए... .!! - हास्य- व्यंग्य

2 जुलाई 2018
0
0
0

मैं जिस शहर में रहता हूं इसकी एक बड़ी खासियत यह है कि यहां बंगलों काही अलग मोहल्ला है। शहर के लोग इसे बंगला साइड कहते हैं। इस मोहल्ला याकॉलोनी को अंग्रेजों ने बसाया था। इसमें रहते भी तत्कालीन अंग्रेजअधिकारी ही थे। कहते हैं कि ब्रिटिश युग में किसी भारतीय का इस इलाके मेंप्रवेश वर्जित था। अंग्रेज चले

3

बदनाम हस्तियों पर फिल्म बनाने की बॉलीवुड की बढ़ती प्रवृति

2 जुलाई 2018
0
0
0

जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है...नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार हैनाम से ज्यादा बदनामी की पूछबजता डंका जोरदार है...नेक माने जा रहे बेवकूफधूर्त - बेईमानों की जय - जयकार हैअग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंगहिस्ट्रीशीटरों की बहार ही बहार हैन जाने कहां रुकेगा ये सिलसिलासोच कर भी मच

4

वाह कोलकाता. आह कोलकाता .!!

2 जुलाई 2018
0
0
0

देश की संस्कारधानी कोलकाता पर गर्व करने लायक चीजों में शामिल है फुटपाथपर मिलने वाला इसका बेहद सस्ता खाना। बचपन से यह आश्चर्यजनक अनुभव हासिलकरने का सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है । देश के दूसरे महानगरों केविपरीत यहां आप चाय - पानी लायक पैसों में खिचड़ी से लेकर बिरियानी तक खासकते हैं। अपने शहर खड़गपुर

5

दूसरों की कमाई , हमें क्यों बताते हो भाई ....!!

10 जुलाई 2018
0
0
0

उस विवादास्पद अभिनेता पर बनी फिल्म की चर्चा चैनलों पर शुरू होते हीमुझे अंदाजा हो गया कि अगले दो एक - महीने हमें किसी न किसी बहाने से इसफिल्म और इससे जुड़े लोगों की घुट्टी लगातार पिलाई जाती रहेगी। हुआ भीकाफी कुछ वैसा ही। कभी खांसी के सिरप तो कभी किसी दूसरी चीज के प्रचार केसाथ फिल्म का प्रचार भी किया

6

मेरे बाबा तो भोलेनाथ

13 जुलाई 2018
0
0
0

देश में सनसनी फैला रहे बाबाओं के कारनानों पर पढ़िए खांटी खड़गपुरियातारकेश कुमार ओझा की नई कविता...बाबा का संबोधन मेरे लिए अब भीहै उतना ही पवित्र और आकर्षकजितना था पहलेअपने बेटे और भोलेनाथ कोमैं अब भी बाबा पुकारता हूंअंतरात्मा की गहराईयों सेक्योंकि दुनियावी बाबाओं के भयंकर प्रदूषणसे दूषित नहीं हुई द

7

खिलखिलाता रहे खड़गपुर...

23 अक्टूबर 2018
0
0
0

ढाक भी वही सौगात भी वहीपर वो बात कहां जो बचपन में थीठेले भी वही , मेले भी वहीमगर वो बात कहां जो बचपन में थीऊंचे से और ऊंचे तोभव्य से और भव्य होते गएमां दुर्गा के पूजा पंडाललेकिन परिक्रमा में वो बात कहां जो बचपन में थीहर कदम पर सजा है बाजारमगर वो रौनक कहां जो बचपन में थी।नए कपड़े तो हैं अब भी मगर पहन

8

हाहाकार के बीच आंदोलन ...!!

23 अक्टूबर 2018
0
0
0

दो दिनों के अंतराल पर एक बंद और एक चक्का जाम आंदोलन। मेरे गृह प्रदेशपश्चिम बंगाल में हाल में यह हुआ। चक्का जाम आंदोलन पहले हुआ और बंद एकदिन बाद। बंद तो वैसे ही हुआ जैसा अमूमन राजनैतिक बंद हुआ करते हैं।प्रदर्शनकारियों का बंद सफल होने का दावा और विरोधियों का बंद को पूरीतरह से विफल बताना। दुकान - बाजार

9

बदहाल अर्थ व्यवस्था में आखिर क्या करे आदमी ....!!

23 अक्टूबर 2018
0
0
0

कहां राजपथों पर कुलांचे भरने वाले हाई प्रोफोइल राजनेता और कहां बालविवाह की विभीषिका का शिकार बना बेबस - असहाय मासूम। दूर - दूर तक कोईतुलना ही नहीं। लेकिन यथार्थ की पथरीली जमीन दोनों को एक जगह ला खड़ीकरती है। 80 के दशक तक जबरन बाल विवाह की सूली पर लटका दिए गए नौजवानोंकी हालत बदहाल अर्थ व्यवस्था में

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए