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हे देव दिवाकर

19 अगस्त 2022

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हे देव दिवाकर,
मुझ निरीह पर कृपा कर !
तम मिटा,
सुख रश्मियाँ लुटा,
जीवन में उदय होकर।

हे प्रभाकर,
इस प्रभा में प्रभा भर!
अज्ञान मिटाकर,
ज्ञान जगाकर,
रोम-रोम प्रकाशित कर।

हे दिनकर,
अर्थ की अरुणिमा ला,
संतोष का भाव जगा,
कीर्ति किरणों को विस्तारित कर।

हे अँशुमाली,
मत दुखित कर,
मार्तण्ड बनकर ।

कृपाकर,नैन द्वार आकर,
ह्रदय में समाकर,
ह्रदय को आलोकित कर ।

न संतृस्त कर ,
न अस्त-व्यस्त कर,
हे भास्कर,
भाग्य रवि न अस्त कर।

गर्मियाँ ला,रिश्तों में,
नर्मियाँ ला ,भावनाओं में,
बादलों का अत्याचार असह,
तुझे क्यों और कैसे सह !
पवन का ले प्रशय,
तेरी शरण में हूँ,दे आश्रय ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'


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रचनाएँ
आध्यात्मिक रचनायें
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आध्यात्मिक रचनायें
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माँ सरस्वती

19 अगस्त 2022
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हे माँ सरस्वती , सुनो पुकार, थाम लो कर में , मेरा ह्रदय सितार, बैठ मानस मराल पर, छेड़ दो ज्ञान ज्योति, की नव झंकार। माँ ,करो विवेक विस्तार, सुनो पुकार , दे दो ,लेखनी , में वो दम,कि ये सोये को ज

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है वक्त की पुकार

19 अगस्त 2022
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है वक्त की पुकार, सुनो अनसुनी पुकार, लेके धनुष-तलवार, लो फिर अवतार, प्रभु उबार दो। छाया तम है अपार, दिख रहा न कोई द्वार, हुयी अपनों से शर्मसार, मानवता है तार-तार, प्रभु कोई तो आधार दो। लिये रक्षा का भ

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हे देव दिवाकर

19 अगस्त 2022
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हे देव दिवाकर, मुझ निरीह पर कृपा कर ! तम मिटा, सुख रश्मियाँ लुटा, जीवन में उदय होकर। हे प्रभाकर, इस प्रभा में प्रभा भर! अज्ञान मिटाकर, ज्ञान जगाकर, रोम-रोम प्रकाशित कर। हे दिनकर, अर्थ की अरुणिमा ला, स

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समझा जीवन का सार

19 अगस्त 2022
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अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्मीं,तज दी वो संतान,जो जनमानस की प्रज्ञा बनी,बनी शक्त पहचान।वह 'रामबोला' राम बोला था,पिता आत्माराम,माँ हुलसी का तुलसी हुआ,तुलसीदास महान।रसना पर जिसके सरस्वती,किया रामचरित बखान

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हे राम

19 अगस्त 2022
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हे राम तुम्हारे चरणों मे मेरा, शत शत बार नमस्कार है। तुम्हारा दिया दुख भी मुझको, सहर्ष स्वीकार शिरोधार्य है। मेरी जीवन नैया के खेवनहार, सुन लो तुम मेरी करुण पुकार, इस नैया को पार लगाकर, मुझ आत्म पथिक

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हे राम

19 अगस्त 2022
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हे राम , थक गयी हूँ ,चल चल कर, मैं इस जीवन के पथ पर, अब तो कर दो प्रभु उद्धार, कर दो अब तो , जीवन नौका पार प्रभु ,कर दो अब , जीवन नौका पार। ये सृष्टि ,ये जीवन, प्रतीत हो रहा दुखद सपना, देख रही हर ओर

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जंग

19 अगस्त 2022
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हे राम !!! मिला ये जीवन, किस पाप से !!!! एक जंग ही , तो नित्य , लड़ती हूँ ,अपने आप से !!! अपने भाग्य से !!! हर बार उससे , मात ही खाती हूँ !!! मिले इन , गहन अँधियारों से , हे दशरथ नंदन, बहुत विकल हो ज

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हे राम

19 अगस्त 2022
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हे राम तुम्हारे चरणों को, पाना चाहूं,कैसे पाऊं? क्षणिक बुलबुले सा, अस्तित्व है मेरा, कैसे भला सागर बन पाऊं? कहाँ मैं वो शबरी जिसने, पूरा जीवन बस राम किया, आते हर क्षण में,हर श्वास में, बस राम जिया,बस

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जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
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मोहिनी मूरत ,सूरत श्याम,श्याम की,मोर मुकुट,सुंदर शीश पर सजाए हैं।वसुदेव नंदन,नंद बाबा के दुलारे श्याम,श्याम अवतार ले,पालने में आए हैं।करने कंस का संहार,हरने सकल,भूमि भार,सुनकर आर्त पुकार,गिरि शीश पर उ

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