हे राम ,
थक गयी हूँ ,चल चल कर,
मैं इस जीवन के पथ पर,
अब तो कर दो प्रभु उद्धार,
कर दो अब तो ,
जीवन नौका पार
प्रभु ,कर दो अब ,
जीवन नौका पार।
ये सृष्टि ,ये जीवन,
प्रतीत हो रहा दुखद सपना,
देख रही हर ओर प्रभु,
पर दिख रहा न कोई अपना
थक चुकी हूँ ,
सह सह कर अब प्रहार
कर दो प्रभु अब उद्धार,
सुन लो पुकार,
कर दो जीवन नौका पार ।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'