हे माँ सरस्वती ,
सुनो पुकार,
थाम लो कर में ,
मेरा ह्रदय सितार,
बैठ मानस मराल पर,
छेड़ दो ज्ञान ज्योति,
की नव झंकार।
माँ ,करो विवेक विस्तार,
सुनो पुकार ,
दे दो ,लेखनी ,
में वो दम,कि
ये सोये को जगा दे,
नव चेतना जगा दे,
आलस्य और मद में,
डूबे को दे उबार।
माँ सुनो पुकार।
घिरा संकटों का घोर तम,
कहाँ बढा़ऊँ मैं कदम?
कर दो माँ उपकार
सुनो पुकार ।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'