shabd-logo

हे राम

19 अगस्त 2022

16 बार देखा गया 16

हे राम तुम्हारे चरणों को,
पाना चाहूं,कैसे पाऊं?
क्षणिक बुलबुले सा,
अस्तित्व है मेरा,
कैसे भला सागर बन पाऊं?

कहाँ मैं वो शबरी जिसने,
पूरा जीवन बस राम किया,
आते हर क्षण में,हर श्वास में,
बस राम जिया,बस राम पिया।

कहाँ मैं वो पत्थर जिसका,
भाग्य अकल्पित और निराला,
स्वयं अपने हाथों से जिसपर,
राम तुमने राम रच डाला।

कहाँ मैं वो रावण जिसने,
सदा तेरा विरोध जिया ,
पर तनिक भाग्य देखो,
तेरे ही हाथों मृत्युपान किया।

कहाँ मैं वो तुलसी जिसने,
जीवन ही राममय कर डाला,
निज मानस की कलम से,
पूरा रामचरित मानस रच डाला।

नहीं हूं मैं वो हवायें,
वो नौका,वो फिजायें,
वो वादियां ,वो शिलायें,
जो तुझको पा अभिभूत हुयीं,
तेरा सानिध्य पाकर जो,
सब की सब प्रभूत हुयीं।

मैं कलियुग की साधारण नारी,
इच्छायें प्रबल पर बेचारी,
धरती तक सीमित भर,
व्योम भला कैसे छू पाऊं?
हे राम तुम्हारे चरणों को,
पाना चाहूं कैसे पाऊं?
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

9
रचनाएँ
आध्यात्मिक रचनायें
0.0
आध्यात्मिक रचनायें
1

माँ सरस्वती

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे माँ सरस्वती , सुनो पुकार, थाम लो कर में , मेरा ह्रदय सितार, बैठ मानस मराल पर, छेड़ दो ज्ञान ज्योति, की नव झंकार। माँ ,करो विवेक विस्तार, सुनो पुकार , दे दो ,लेखनी , में वो दम,कि ये सोये को ज

2

है वक्त की पुकार

19 अगस्त 2022
0
0
0

है वक्त की पुकार, सुनो अनसुनी पुकार, लेके धनुष-तलवार, लो फिर अवतार, प्रभु उबार दो। छाया तम है अपार, दिख रहा न कोई द्वार, हुयी अपनों से शर्मसार, मानवता है तार-तार, प्रभु कोई तो आधार दो। लिये रक्षा का भ

3

हे देव दिवाकर

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे देव दिवाकर, मुझ निरीह पर कृपा कर ! तम मिटा, सुख रश्मियाँ लुटा, जीवन में उदय होकर। हे प्रभाकर, इस प्रभा में प्रभा भर! अज्ञान मिटाकर, ज्ञान जगाकर, रोम-रोम प्रकाशित कर। हे दिनकर, अर्थ की अरुणिमा ला, स

4

समझा जीवन का सार

19 अगस्त 2022
0
0
0

अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्मीं,तज दी वो संतान,जो जनमानस की प्रज्ञा बनी,बनी शक्त पहचान।वह 'रामबोला' राम बोला था,पिता आत्माराम,माँ हुलसी का तुलसी हुआ,तुलसीदास महान।रसना पर जिसके सरस्वती,किया रामचरित बखान

5

हे राम

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे राम तुम्हारे चरणों मे मेरा, शत शत बार नमस्कार है। तुम्हारा दिया दुख भी मुझको, सहर्ष स्वीकार शिरोधार्य है। मेरी जीवन नैया के खेवनहार, सुन लो तुम मेरी करुण पुकार, इस नैया को पार लगाकर, मुझ आत्म पथिक

6

हे राम

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे राम , थक गयी हूँ ,चल चल कर, मैं इस जीवन के पथ पर, अब तो कर दो प्रभु उद्धार, कर दो अब तो , जीवन नौका पार प्रभु ,कर दो अब , जीवन नौका पार। ये सृष्टि ,ये जीवन, प्रतीत हो रहा दुखद सपना, देख रही हर ओर

7

जंग

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे राम !!! मिला ये जीवन, किस पाप से !!!! एक जंग ही , तो नित्य , लड़ती हूँ ,अपने आप से !!! अपने भाग्य से !!! हर बार उससे , मात ही खाती हूँ !!! मिले इन , गहन अँधियारों से , हे दशरथ नंदन, बहुत विकल हो ज

8

हे राम

19 अगस्त 2022
0
0
0

हे राम तुम्हारे चरणों को, पाना चाहूं,कैसे पाऊं? क्षणिक बुलबुले सा, अस्तित्व है मेरा, कैसे भला सागर बन पाऊं? कहाँ मैं वो शबरी जिसने, पूरा जीवन बस राम किया, आते हर क्षण में,हर श्वास में, बस राम जिया,बस

9

जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
1
0
0

मोहिनी मूरत ,सूरत श्याम,श्याम की,मोर मुकुट,सुंदर शीश पर सजाए हैं।वसुदेव नंदन,नंद बाबा के दुलारे श्याम,श्याम अवतार ले,पालने में आए हैं।करने कंस का संहार,हरने सकल,भूमि भार,सुनकर आर्त पुकार,गिरि शीश पर उ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए