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हीरा

20 फरवरी 2024

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मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।
बहुत तराशा खुद को पर हीरा ना बन पाया।।
जो ना काबिल था वो काबिल बन गया।
मैं काबिल होकर भी काबिल ना बन पाया।                          शराबी पीकर शराब फिर भी होश में चलने लगे।
हम बिन पिये शराब फिर भी लड़खड़ाने लगे।।
मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।
बहुत तराशा खुद को हीरा ना बन पाया।।                               लोग कहते हैं सच्चा प्यार होता है मिल जाता है। 
सच तो ये हैं आज के दौर में प्यार कहाँ होता हैं।।
खुद तबाह होकर दूसरों की जिंदगी बचाने लगें।
बन कर रहनुमा उनके दुखों पर मरहम लगाने लगे।।
मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।
बहुत तराशा खुद को हीरा ना बन पाया।।
जो खुद भटके थे रास्ते से आज वो रास्ता बताने लगें हैं।
जो कभी राजदार थे हमारे वही आज राज छुपाने लगें।।          अपनी बेकसी को किस किस भाषा में समझाऊं तुमको।
मेरा दर्द हर बार एक सा रहता है कैसा बतलाऊं तुमको।।
 मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।
बहुत तराशा खुद को हीरा ना बन पाया।।
                                                                          
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रचनाएँ
अतीत के पन्ने
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जब इन्सान का जन्म होता है तो जन्म के बाद बचपन से बुढ़ापे तक उसके अन्दर भावना जुड़ जाती हैकुछ जीवन की खट्टी यादें होती है कुछ मीठी यादें होती है जब आदमी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसका अनुभव भी बढ़ने लगता हैउसके अतीत में बीती हुई घटनाओं को है काव्य का रूप देता है कुछ ग़ज़ल कहते हैं कुछ कवितायें कहते हैं कुछ अपने अनुभव के आधार से भविष्य में होने वाली बातों को कविता के रूप में ,काव्य के रूप में कहते हैं जब व्यक्ति अकेला बैठा होता है तो वे अपनी डायरी पर लिखे हुए अतीत के पन्नों को खोलता है तो नई ऊर्जा के साथ ज़िंदगी को अच्छी तरह जीने की कोशिश करता हैये जो लिखी हुई कुछ कविता है किसी के जीवन में काम आ सके तो मेरी लेखनी सार्थक हो जाएगी
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मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।बहुत तराशा खुद को पर हीरा ना बन पाया।।जो ना काबिल था वो काबिल बन गया।मैं काबिल होकर भी काबिल ना बन पाया। &nbs

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