तेरी आवाज सुनने के लिए मैंने अपना नंबर भी नहीं बदला है। तेरे दिए गए रुखसत के फूलों को आज भी डायरी में संभाल रखा है।।
ऐसे जाने कितने ख्यालों को आज भी अपने दिल में दफन कर रखा है। कुछ पुराने तेरे वादे इस बेवफा जमाने में हमने आज भी दिल में जिंदा रखा है।।
तू खुश रहें अपनी दुनियां में ऐसी उम्मीदों के सच्चे दिये जला रखें हैं। पर एक ख्याल आज भी मेरे दिल में दफन है। बिना जानें मेरी मज़बूरी यूँ छोड़ जाना। बिना बताये मेरा दिल तोड़ जाना। ऐसे जख्मों के कितने घाव मेरे दिल में आज भी कचौटते है। अमीरी गरीबी की जो दिवार थी। मैं उसको अपने हालातों से ना तोड़ पाया। आज वक्त मेरा भी बदल गया हैं। अब भविष्य मेरा भी सवंर गया है ।।. पर तुम्हारी तस्वीर मेरे दिल से निकलती नहीं। तुम्हारी मुस्कुराटा आज भी दिल से निकलती नहीं ।।