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तुम्हारे शहर में आयेंगे

13 फरवरी 2024

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तुम्हारे शहर में हम शायर बन कर आयेंगे।                            अपनी अपबीती सबको सुना जायेंगे।।                                            जिक्र तुम्हारी मोहब्बत का होगा किरदार                                        किसी और को बना जाएंगे।                                                        इस बहाने से तुम्हारी मोहब्बत के जख्मों को                                 तुम्हारे शहर को सुना जाएंगे।।
      तुम्हारे शहर में हम शायर बन कर आयेंगे।
अपनी अपबीती सबको सुना जायेंगे।।                                   प्यार के खूबसूरत लम्हों को तोड़ने का                                     जो गुरूर तुम्हारा सब को दिखलाएंगे।                                  अपनी जख्मी शायरियों से आज                                          तुम्हारे उसे गुरुर को भी तोड़ जाएंगे।।                                  तुम्हारे शहर में हम शायर बनकर आएंगे।
अपनी अपबीती सबको सुना जाएंगे।।
जानें क्यूँ दिल कुछ सोचता हैं।                                               कुछ तो ऐसी कमी रही होंगी।                                                       मुझकों छोड़ कर जानें की                                                          कुछ तो बजाय रही होंगी।।                                                        तुम्हारे शहर में हम शायर बन कर आयेंगे।                                    अपनी अपबीती सबको सुना जायेंगे।।                                 



मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत बेहतरीन लिखा है आपने सर 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

13 फरवरी 2024

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रचनाएँ
अतीत के पन्ने
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जब इन्सान का जन्म होता है तो जन्म के बाद बचपन से बुढ़ापे तक उसके अन्दर भावना जुड़ जाती हैकुछ जीवन की खट्टी यादें होती है कुछ मीठी यादें होती है जब आदमी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसका अनुभव भी बढ़ने लगता हैउसके अतीत में बीती हुई घटनाओं को है काव्य का रूप देता है कुछ ग़ज़ल कहते हैं कुछ कवितायें कहते हैं कुछ अपने अनुभव के आधार से भविष्य में होने वाली बातों को कविता के रूप में ,काव्य के रूप में कहते हैं जब व्यक्ति अकेला बैठा होता है तो वे अपनी डायरी पर लिखे हुए अतीत के पन्नों को खोलता है तो नई ऊर्जा के साथ ज़िंदगी को अच्छी तरह जीने की कोशिश करता हैये जो लिखी हुई कुछ कविता है किसी के जीवन में काम आ सके तो मेरी लेखनी सार्थक हो जाएगी
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मैं कांच का टुकड़ा हीरा ना बन पाया।बहुत तराशा खुद को पर हीरा ना बन पाया।।जो ना काबिल था वो काबिल बन गया।मैं काबिल होकर भी काबिल ना बन पाया। &nbs

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सब भाषाओं का सम्मान करता हुँ।अपनी हिंदी भाषा से प्रेम करता हुँ।।भारत देश का वासी हुँ मैं।हिंदी में बात करता हुँ मैं।।मैं जहां भी जाता हूं मेरी पहचान मेरी हिंदी है।दिलों में बसने वाली ऐसी भाषा मेरी हिं

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